
अचानक खांसी आने व संास लेने में परेशानी होने पर मरीज को रामगंजमंडी में दिखाया गया, जहां एक्सरे करने पर पता चला कि बालिका ने एक नट बोल्ट निगल लिया। जो कि दाहिने फेफडे में फंस गया। मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए तुरंत झालावाड़ एसआरजी चिकित्सालय के ईएनटी विभाग में रैफर किया।
दूरबिन पद्धति से ऑपरेशन-
विभागाध्यक्ष डॉ.अरूण पटेल ने बताया कि सीटी स्कैन करवाकर दूरबिन पद्धति से ऑपरेशन कर नटबोल्ट सफलता पूर्वक निकाला गया। ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ. अरुण पटेल, डॉ. गौरव पाराशर, निश्चेतना विभाग के डॉ.राजन नंदा, डॉ.सुधिर, डॉ.उपमन्यु सहित रेजीडेंट मौजूद रहे।
ये रखे सावधानी-
- किसी भी छोटे बच्चे को जिसके दांत पूरी तरह नहीं आए है, उनके पास कड़क खाने की चींजे जैसे चना,मंूगफली, सुपारी,नारियल, काजू, बादाम आदि का सेवन नहीं कराएं ना ही बच्चे के पास रखें।
-छोटे बच्चों से कुछ खतरनाक वस्तुएं जैसे नटबोल्ट, एलईडी बल्ब, खिलोनों के सेल आदि दूर रखें। - किसी भी छोटे बच्चे को अचानक से खंासी चलने या सांस लेने में दिक्कत होने पर शिशुरोग विशेषज्ञ या नाक-कान,गला रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।
गुर्दे व पेशाब की नली के बिच का रास्ता रूका था, दूरबिन से ऑपरेशन किया, अब राहत
-गुर्दे को नली से जोड़ किया जटिल ऑपरेशन
झालावाड़ एसआरजी चिकित्सालय एवं मेडिकल कॉलेज में एक मरीज का दूरबिन द्वारा जटिल ऑपरेशन किया गया। मरीज जितेन्द्र कुमार बैरागी (३१ वर्ष) निवासी मनोहरथाना को करीब ३ साल से असहनीय पेट दर्द था। मरीज अन्य जगह दिखाकर एसआरजी चिकित्सालय के यूरोलॉजी विभाग में पहुंंचा। जहां विभागाध्यक्ष डॉ.विशाल नैनीवाल ने आवश्यक जांचें व सोनोग्राफी करवा मरीज को ऑपरेशन की सलाह दी।मरीज का गुर्दे व पेशाब की नली के बिच का रास्ता अतिरिक्त नलिकाओं की वजह से बंद हो चुका था। जिससे मरीज का पेशाब रूका होने से बड़े गुब्बार जैसा आकार ले चुका था। मरीज का दूरबीन से ऑपरेशन किया।जिसमें ५-६ घंटे लगे। इस तरह का ऑपरेशन बड़े शहरों के अस्पतालों में होता है। ऑपरेशन करने वाली टीम में निश्चेतना विभाग के डॉ.राजन नंदा, डॉ.सुधीर शर्मा, डॉ. राकेश चौधरी, डॉ. मोहम्मद मिशाल, डॉ.प्रभा,डॉ.साक्षी, डॉ.राकेश खिंची सर्जन डॉ.चमन नागर, डॉ.कमलसिंह आदि शामिल थे।
Updated on:
01 Jun 2024 09:25 pm
Published on:
01 Jun 2024 09:23 pm
बड़ी खबरें
View Allसमाचार
ट्रेंडिंग
