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एक साल से बिना बिल्डिंग के खुले में पढ़ रहे बच्चे

बच्चों को पेड़ों के नीचे खुले आसमान तले पढ़ाई करनी पड़ रही है। बारिश शुरू होते ही कक्षाएं बंद करनी पड़ती हैं।

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पेड़ के नीचे लग रही कक्षा

छतरपुर. ग्राम पंचायत कौथेहा के अंतर्गत जन शिक्षा केंद्र महयावा के शासकीय प्राथमिक विद्यालय ठकुराइन पुरवा में शिक्षा व्यवस्था बदहाल हो चुकी है। करीब एक साल पहले खस्ताहाल बिल्डिंग को जमींदोज कर दिया गया था, लेकिन आज तक नई बिल्डिंग का निर्माण नहीं हो सका।

65 छात्र-छात्राएं

विद्यालय में वर्तमान में 65 छात्र-छात्राएं और 3 शिक्षक पदस्थ हैं। शाला प्रभारी प्रधानाध्यापक जागेश्वर प्रसाद पटेल ने बताया कि विभाग को कई बार पत्राचार कर भवन निर्माण की मांग की गई, लेकिन अब तक सुनवाई नहीं हुई। हालात यह हैं कि बच्चों को पेड़ों के नीचे खुले आसमान तले पढ़ाई करनी पड़ रही है। बारिश शुरू होते ही कक्षाएं बंद करनी पड़ती हैं। बच्चों ने बताया कि विद्यालय में शौचालय न होने से उन्हें खेतों में खुले में जाने को मजबूर होना पड़ता है, जहां सांप-बिच्छू और अन्य कीट-पतंगों का डर बना रहता है। इससे उनकी सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

पढ़ाई प्रभावित न हो

गांव के ग्रामीण नंदकिशोर पाल, महेश्वरीदीन पाल, कुलदीप पाल, रामबरन खंगार, राहुल पाल, छोटे पटेल, गोरेलाल पटेल, विनोद अनुरागी, जयश्री पाल और आशा पाल का कहना है कि बच्चों को मध्याह्न भोजन भी मीनू अनुसार समय पर नहीं मिल पाता। उन्होंने शासन-प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द विद्यालय की बिल्डिंग का निर्माण कराया जाए, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो।

जर्जर स्कूल भवनों को प्रशासन ने एक वर्ष पहले गिरा दिया

चंदला क्षेत्र अंतर्गत कई कंडम हो चुके जर्जर स्कूल भवनों को प्रशासन ने एक वर्ष पहले गिरा दिया था। इनमें प्राथमिक पाठशाला भगौरा, प्राथमिक पाठशाला लूका और प्राथमिक पाठशाला कंचनपुर प्रमुख हैं। लेकिन नए भवनों का निर्माण आज तक शुरू नहीं किया गया है।पाठशाला ग्राम लूका में दूसरी बिल्डिंग न होने के कारण स्कूल को इस वर्ष जुलाई में टपरा बनाकर संचालित किया गया। जब इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं तो प्रशासन ने जल्दबाजी में स्कूल को आंगनबाड़ी केंद्र में संचालित करवा दिया। लेकिन अब स्थिति यह है कि नए भवन का निर्माण न होने से न केवल स्कूल की गतिविधियां प्रभावित हैं बल्कि आंगनबाड़ी की व्यवस्थाएं भी अस्त-व्यस्त हो गई हैं।

स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब जर्जर भवनों को गिराने की कार्रवाई की गई थी, तब नए भवनों का निर्माण सुनिश्चित क्यों नहीं किया गया। ग्रामीणों ने मांग की है कि बच्चों की शिक्षा और आंगनवाड़ी सेवाओं को बचाने के लिए नए स्कूल भवनों का निर्माण तत्काल शुरू किया जाए।