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सालाना करोड़ों के राजस्व के बाद भी यार्ड में सुविधाएं नजरअंदाज, रैक खाली करने में छूटे पसीने

मेड़ता सिटी (नागौर). गुड्स की लोडिंग-अनलोडिंग को लेकर रेलवे को सालाना करोड़ों रुपए का राजस्व देने वाले जोधपुर मंडल के मेड़ता सिटी रेलवे स्टेशन पर बारिश के इन दिनों में मूलभूत सुविधाओं की कमी खली। यहां आईपीएल एनपीके की रैक पहुंचने के बाद ट्रेक वर्षा पानी से लबालब होने व यार्ड में प्लेटफॉर्म की सुविधा नहीं होने से अनलोडिंग कार्य कई घंटों की देरी से पूरा हुआ। जिससे रेलवे के नियमानुसार लाखों रुपए का डेमरेज झेलना पड़ेगा।

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मेड़ता सिटी. बारिश पानी से लबालब ट्रेक पर खड़ी रैक।

-बारिश पानी से लबालब ट्रेक के बीच रैक अनलोडिंग में हुई दिक्कतें

- नियति अवधि से अधिक समय लगा तो भुगतना पड़ता है डेमरेज

मेड़ता सिटी (नागौर). गुड्स की लोडिंग-अनलोडिंग को लेकर रेलवे को सालाना करोड़ों रुपए का राजस्व देने वाले जोधपुर मंडल के मेड़ता सिटी रेलवे स्टेशन पर बारिश के इन दिनों में मूलभूत सुविधाओं की कमी खली। यहां आईपीएल एनपीके की रैक पहुंचने के बाद ट्रेक वर्षा पानी से लबालब होने व यार्ड में प्लेटफॉर्म की सुविधा नहीं होने से अनलोडिंग कार्य कई घंटों की देरी से पूरा हुआ। जिससे रेलवे के नियमानुसार लाखों रुपए का डेमरेज झेलना पड़ेगा।

ट्रेनों के संचालन को लेकर फ्लॉप जोधपुर मंडल का मेड़ता सिटी रेलवे स्टेशन केवल गुड्स के लोडिंग-अनलोडिंग के बल पर ही आज तक जीवित है। यहां प्रतिमाह उर्वरकों की 3 से 4 रैक आती है। जिससे यह जोधपुर मंडल का आय के लिहाज से अव्वल स्टेशन बना हुआ है। लेकिन फिर भी रेलवे की ओर से यहां किसी तरह की कोई खास सुविधाएं मुहैया नहीं करवाए जाने से उपेक्षित मेड़ता रेलवे स्टेशन यार्ड पर बारिश के इन दिनों में लोडिंग-अनलोडिंग का कार्य करने में काफी दिक्कत झेलनी पड़ रही है। रेलवे स्टेशन तथा यार्ड ट्रेक फाटक संख्या सी-14 से आने वाले वर्षा के पानी से लबालब भरे हुए हैं। यह सिर्फ इस साल ही नहीं हुआ है, हर साल यही आलम रहता है। फिर भी रेलवे तथा नगरपालिका दोनों ही इस वर्षा पानी निकासी का नाला नहीं बनवा पाई है। यह नाला बन जाए तो यार्ड में बारिश का पानी आना बंद हो जाएगा।

लबालब ट्रेक के बीच सीधे वैगन से ट्रक लगाकर करनी पड़ी अनलोडिंग

दरअसल, सोमवार दोपहर गुजरात के कांडला बंदरगाह से 1270.50 मीट्रिक टन यानी 25410 बैग आईपीएल एनपीके की रैक मेड़ता सिटी रेलवे स्टेशन यार्ड पहुंची। यार्ड में बने एक छोटे से 150 मीटर प्लेटफॉर्म के अलावा पूरी रैक ट्रेक पर खाली होती है। ट्रेक पानी से भरे होने के कारण ट्रकों को सीधे वैगन के पास ले जाना पड़ा। कच्चा यार्ड होने से यहां ट्रकों के फंसने पर क्रेन से निकालने जैसी मशक्कत करनी पड़ी। वहीं गुड्स ट्रेन समय पर खाली नहीं होकर स्टेशन पर ही खड़ी होने की वजह से लाखों रुपए के रूप में डेमरेज भी अब भुगतना पड़ेगा।

बने नया यार्ड प्लेटफॉर्म, लगे टीनशेड

इफको, कृभको और आईपीएल यूरिया-डीएपी से जुड़े व्यवस्थापकों, व्यापारियों ने रेलवे से मेड़ता सिटी रेलवे स्टेशन यार्ड पर रैक के मुताबिक नया यार्ड प्लेटफॉर्म बनवाए जाने की मांग की है। ताकि बारिश के मौसम सहित स्थिति में रैक की लोडिंग-अनलोडिंग आसानी से हो सके। वहीं रेलवे स्टेशन की चारदीवारी निर्माण भी जरूरी है। ताकि अनलोड होने वाला माल सुरक्षित रहे और जानवरों की आवाजाही नहीं हो। क्योंकि यहां प्रतिमाह यूरिया, डीएपी की 3 से 4 रैक आती है। जो पड़ोसी अजमेर, पाली सहित कई जिलों में जाती है।

रेलवे के नियमों के मुताबिक यू लगता है डेमरेज

दरअसल, रेलवे के नियम के मुताबिक अगर तय समयावधि के बाद रेलवे स्टेशन पर रैक खाली होती है तो डेमरेज लगता है। 1 घंटे अतिरिक्त गुड्स ट्रेन खड़ी रहने पर प्रति वैगन 150 रुपए डेमरेज लगता है। ऐसे में 58 वैगन वाली रैक का 1 घंटे का 8 हजार 700 रुपए डेमरेज शुल्क लगता है। मेड़ता स्टेशन पर सुविधा नहीं होने से वर्षा इत्यादि मौसम में रैक मंगवाने फर्टिलाइजर विक्रेताओं को लाखों रुपए तक नुकसान उठाना पड़ता है।