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Digvijay Singh tweet: राजनीति छोड़ेंगे दिग्विजय सिंह! एमपी के 77 साल के दिग्गज नेता ने किया ट्वीट, मचाई खलबली

Digvijay Singh tweet on defeat in Rajgarh Loksabha Seat 2024 राजगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस का प्रत्याशी बनाए जाने के तुरंत बाद से ही दिग्विजय सिंह इसे अपना अंतिम चुनाव बताते आए हैं। ऐसे में राजगढ़ की हार के बाद दिग्विजय सिंह द्वारा राजनीति छोड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं।

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Digvijay Singh tweet on defeat in Rajgarh Loksabha Seat 2024

Digvijay Singh tweet on defeat in Rajgarh Loksabha Seat 2024

Digvijay Singh tweet on defeat in Rajgarh Loksabha Seat 2024 - मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के क्लीन स्वीप में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता भी हारे हैं। इनमें कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ, दिग्विजय सिंह और कांतिलाल भूरिया शामिल हैं। हार के बाद खासतौर पर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की राजनीतिक पारी पर विराम लग जाने की बातें कही जा रहीं हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस के इन दोनों उम्रदराज दिग्गजों का राजनैतिक केरियर खत्म हो चुका है। कमलनाथ के बाद अब दिग्विजय सिंह ने भी अपने एक्स हेंडल पर इसका जवाब दिया है। दिग्विजय सिंह के ट्वीट ने सियासी हल्कों में खलबली मचा दी है।

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दिग्विजय सिंह अभी राज्यसभा सदस्य हैं हालांकि उनका कार्यकाल कम बचा है। वे 77 साल के हो चुके हैं। राजगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस का प्रत्याशी बनाए जाने के तुरंत बाद से ही दिग्विजय सिंह इसे अपना अंतिम चुनाव बताते आए हैं। ऐसे में राजगढ़ की हार के बाद दिग्विजय सिंह द्वारा राजनीति छोड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं। दिग्विजय सिंह ने कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की एक कविता अपने एक्स हेंडल पर पोस्ट कर इन अटकलों को नकार दिया है।

दिग्विजय सिंह का ट्वीट

यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

स्‍मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खंडहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्‍व की संपत्ति चाहूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

क्‍या हार में क्‍या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्‍यर्थ त्‍यागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्तव्‍य पथ से किंतु भागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

शिवमंगल सिंह ‘सुमन