
सागर शहर
ढाई साल पहले शासन ने बनाई थी जांच टीम, लेकिन नहीं आई सागर
साल-दर-साल बढ़ती जा रही कलेक्टर गाइडलाइन
सागर. शहर में कलेक्टर गाइडलाइन में साल-दर-साल इजाफा हो रहा है और कई प्रॉपर्टी बेशकीमती हो गईं हैं। नगर निगम क्षेत्र में निगम और नजूल के स्वामित्व वाली करीब दो हजार करोड़ की शासकीय जमीनें वर्तमान में विवादित हैं। शासन-प्रशासन इन संपत्तियों को कब्जा से मुक्त करा ले तो अकेले सागर नगर निगम क्षेत्र से ही बड़ा राजस्व प्राप्त होगा।
ढाई साल पहले बनी समिति, जांच आज तक नहीं
पत्रिका ने शासकीय जमीनों पर कब्जा व अतिक्रमण के मामले में प्रमुखता से उठाए थे, जिसके बाद दिसंबर-2021 में शासन ने आइएएस अफसर के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की थी। इस समिति को सागर पहुंचकर पड़ताल करनी थी, लेकिन यह आज तक सागर नहीं पहुंची है।
दो हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्तियां
वर्णी कॉलोनी, लाखा बंजारा झील, राजीव नगर कॉलोनी, सुभाग्योदय, दुबे तालाब, स्लाटर हाउस पगारा रोड, बख्शीखाना दुकानें, इंद्रा नेत्र चिकित्सालय के पास की जमीन, कांजी हाउस, डॉ. हरिसिंह गौर विवि की जमीन समेत कुछ पहाड़ों पर भी वर्तमान में कब्जा हो रहा है। छोटी-बड़ी सभी जमीनों का बाजार मूल्य दो हजार करोड़ से ज्यादा का बताया जा रहा है।
राजनीतिक दखल के कारण रुकी कार्रवाई
सूत्रों की मानें तो नगर निगम की संपत्तियों की जांच का मामला राजनीतिक दवाब के चलते उलझा है। निगम की अधिकांश संपत्तियों पर नेताओं व उनके करीबियों का कब्जा ही है, जिसके कारण यदि भोपाल से गठित समिति द्वारा जांच की जाएगी तो विवादित स्थिति बन जाएगी। समितियां तो बनती हैं लेकिन कार्रवाई नहीं होती।
ये हैं प्रमुख मामले
वर्णी कॉलोनी- 400 करोड़ बाजार मूल्य की करीब ढाई एकड़ की चरनोई भूमि भी विवादित स्थिति में है। हाई कोर्ट के निर्देश पर कलेक्टर स्तर पर सुनवाई हुई और फिर निगम प्रशासन को अतिक्रमण हटाकर जमीन पर खुद का कब्जा लेने के निर्देश दिए गए। कलेक्टर कोर्ट के निर्देश के बाद निगम के अफसरों ने मामले में आगे कार्रवाई नहीं की।
राजीव नगर कॉलोनी-तिली क्षेत्र में इस पॉश कॉलोनी के जरिए 6 एकड़ जमीन को खुर्द-बुर्द कर किया गया है, जिसकी कीमत वर्तमान में 150 करोड़ रुपए से ज्यादा बताई जा रही है। फर्जीवाड़े में निगम के तत्कालीन जनप्रतिनिधियों के साथ 6 निगमायुक्त, दो डिप्टी कलेक्टर, इंजीनियर्स समेत डेढ़ दर्जन अफसर फंसे हुए हैं।
लाखा बंजारा झील- झील की वेशकीमती 1.17 हेक्टेयर जमीन पर 43 लोगों का कब्जा है, जिसका बाजार मूल्य 100 करोड़ से ज्यादा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल दो बार जिला और निगम प्रशासन को अतिक्रमण हटाने के निर्देश दे चुका है. लेकिन यहां भी राजनीतिक दखल के कारण अफसर कार्रवाई करने का साहस नहीं उठा पा रहे हैं।
सुभाग्योदय- लगभग 500 करोड़ बाजार मूल्य की 28 एकड़ जमीन के मामले में जिला प्रशासन के अधिकारियों ने ही कोर्ट में सही तरीके से पक्ष नहीं रखा। इस मामले में जिला प्रशासन के अफसरों की भूमिका बेहद संदिग्ध है, लेकिन आज तक किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। पिछली दफा अफसरों के पेशियों पर न पहुंचने के कारण कोर्ट ने शासन की याचिका को शून्य भी कर दिया था।
स्लाटर हाउस-पगारा रोड पर स्थित स्लाटर हाउस पर एक एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर निगम प्रशासन और एक जनप्रतिनिधि के बीच विवाद की स्थिति चली आ रही है। राजनीतिक दखल के कारण कार्रवाई के बावजूद मामला शांत है।
दुबे तालाब- यह शहर का सबसे हैरान करने वाला मामला है, जिसमें देखते ही देखते तालाब का अस्तित्व खत्म हो गया। वर्तमान में तालाब के नाम पर थोड़ी सी ही जमीन बची है। भूमाफिया तालाब के किनारों पर मुरम डालकर जमीन पर निर्माण कार्य करते जा रहे हैं। इस जमीन की कीमत 25 करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है।
बख्शीखाना दुकानें- बख्शीखाना मार्केट में 6 दुकानों का मामला भी लंबे समय से उलझा है। पूर्व में निगम प्रशासन ने कार्रवाई का मन बनाया था, लेकिन राजनीतिक दखल ज्यादा होने के कारण अफसर फिर आगे नहीं बढ़े।
हम लगातार कार्रवाई कर रहे हैं
कुछ मामले ऐसे हैं जो कोर्ट में लंबित हैं, इस वजह से उनमें कार्रवाई नहीं हो पा रही है। अन्यथा जिले में जहां भी शासकीय भूमि पर अतिक्रमण की शिकायत मिली, उस पर कार्रवाई की गई है। यह आगे भी जारी रहेगी।
दीपक आर्य, कलेक्टर
Published on:
30 Jul 2024 08:09 pm
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