30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

युवा पीढ़ी को दर्द निवारक दवाओं के जाल में जकड़ रहा ड्रग माफिया

युवा पीढ़ी को दर्द निवारक दवाओं के जाल में जकड़ रहा ड्रग माफिया

2 min read
Google source verification
Drugs in TN

चेन्नई. गांजा, गुटखा और अन्य मादक द्रव्यों के खिलाफ चल रहे अभियान का दूसरा चेहरा दर्द निवारक गोलियों के फलते-फूलते धंधे के रूप में सामने आ रहा है। मादक द्रव्यों की तुलना में सस्ती इन दवाओं को अन्य राज्यों से खरीदकर ग्राहकों को परोसा जा रहा है। युवा पीढ़ी को बर्बाद करने वाले इस धंधे में लिप्त तस्कर वायु व रेलमार्ग का इस्तेमाल कर रहे हैं। पुलिस की चौकसी तो बढ़ी है लेकिन धंधा बदस्तूर तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में महानगर में दर्द निवारक दवाओं के गोरख धंधे में लिप्त बड़े नेटवर्क का राजफाश हुआ है, इससे पुलिस को अन्य चैनलों का पता लगाने में मदद मिलेगी जो अपनी जड़ें फैला चुके हैं।

पकड़े गए गिरोह का टारगेटेड कस्टमर चेन्नई और उपनगरीय कॉलेज का विद्यार्थी वर्ग है, जिनको ऑनलाइन बुकिंग माध्यम से माल पहुंचाया जा रहा था। इस गिरोह का भंडाफोड़ इनके रामापुरम के कस्टमर 24 वर्षीय स्नातक के पकड़ में आने से हुआ।

चौबीस घंटे में बड़ी कार्रवाई

पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले चौबीस घंटों में मादक द्रव्य की तस्करी और बिक्री के खिलाफ पुलिस को दो बड़ी कामयाबी मिली है। दर्द निवारक बेचने वाले गिरोह के सदस्यों वसंत कुमार, हरिहरण और जयराज को पकड़ा गया है। इनकी निशानदेही के बाद हुई छापेमारी में 2,300 दर्द निवारक गोलियां बरामद की गईं। ग्रेजुएशन कर चुके वसंत कुमार और हरिहरण ने अधिक कमाई के लालच में इस धंधे को चुना। इसी तरह अबत्तूर थाना क्षेत्र में ऑटोचालक पार्त्तिपन और निजी कंपनी के कर्मचारी रणजीत को 1100 गोलियों व बीस हजार की नकदी के साथ गिरतार किया गया।

इस तरह पहुंचाया जा रहा माल : ग्राहकों से ऑनलाइन ऑर्डर व भुगतान प्राप्त होने के बाद माल कोे पैक कर जगह विशेष पर रखने के बाद उनको सूचित कर दिया जाता। पोटली इस तरह रखी जाती कि यह आम लोगों को कूड़ा नजर आए। ग्राहक इन गोलियों का घोल बनाते हैं और बाद में इंजेक्शन के रूप में लेते हैं। मामले के जानकारों का कहना है कि राज्य में गोलियों का उपयोग बढ़ रहा है क्योंकि पुलिस ने गांजा और अन्य दवाओं की बिक्री और प्रसार के खिलाफ कार्रवाई कड़ी कर दी है।

कीमत मुबई और हैदराबाद में आधी

चेन्नई में जिन गोलियों को खपाया जा रहा है कि उनकी कीमत मुबई और हैदराबाद में आधी बताई गई है। वसंत और हरिहरण जो गोलियां बेच रहे थे वह चेन्नई में तीन सौ तो मुबई में केवल डेढ़ सौ रुपए में उपलब्ध है। ये लोग लाइट पकड़ मुबई जाते और बल्क में माल खरीदकर रेल से लौटते। उनका पिछला मुबई दौरा 13 मई को था और वे सात लाख की कीमत की 2,300 टैबलेट लेकर आए थे। पार्त्तिपन और रणजीत हैदराबाद से दवाएं खरीदते थे।

दवा विक्रेताओं की मिलीभगत की आशंका

पिछले कुछ दिनों में दर्द निवारक दवाओं के अल्टरनेटिव यूजेज की खबरें सामने आई हैं। बड़ी मात्रा में दवाएं उपलब्ध हो रही हैं तो निश्चित रूप से इनमें केमिस्ट और ड्रग मर्चेंट की मिलीभगत होगी। डॉक्टरी पर्चे के बिना दवा विक्रेता को दवा नहीं बेचनी चाहिए, लेकिन अधिक कमाई के लालच में कायदों का मखौल उड़ा दिया जाता है। देखा जाए तो दवा विक्रेता को ग्राहक से डॉक्टर की पर्ची लेकर अपने ही पास रख लेनी चाहिए लेकिन सामान्य जीवन में हम ऐसा कहीं नहीं देख पाते।

- विकास ललवानी, दवा कारोबारी