
सागर. वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व गिद्धों की कैप्टिव ब्रीडिंग से जन्मे बच्चों को प्राकृतिक रूप से विकसित करने के लिए सबसे सुरक्षित है। भोपाल स्थित वन विहार के केरवा में गिद्धों की कैप्टिव ब्रीडिंग पर काम चल रहा है और वहां जन्में गिद्ध के बच्चों के तीन जोड़े जल्द ही टाइगर रिजर्व भेजे जाएंगे। इसके लिए टाइगर रिजर्व के नरसिंहपुर जिले में स्थित डोंगरगांव रेंज में गिद्ध कोंच एरिया को किया चिन्हित किया गया है। टाइगर रिजर्व उप संचालक कार्यालय के अनुसार हालही में स्टेट लेवल कमेटी निरीक्षण के लिए आई थी, जिन्होंने स्थल निरीक्षण करते हुए अपनी रिपोर्ट मुख्यालय को सौंप दी है, जल्द ही उसमें काम शुरू कर रहे हैं।
टाइगर रिजर्व ने डोंगरगांव स्थित गिद्ध कोंच में एवियरी (जिसमें गिद्ध के बच्चों को रखा जाना है) बनाने का काम शुरू होने वाला है। प्रबंधन का कहना है कि इस एवियरी को तैयार करने में लगभग एक माह का समय लगेगा। इसके बाद यहां पर गिद्ध के बच्चों को रखा जाएगा। इस एवियरी में अवयस्क गिद्धों को वन विभाग इस प्रकार से ट्रेंड करेगा कि वे खुद से खाना-पीना सीख जाएं और लगभग पांच माह बाद उन्हें एवियरी से बाहर छोड़ दिया जाएगा।
इस साल प्रदेश में पहली बार ग्रीष्मकालीन गिद्ध गणना हुई थी, जिसमें सागर जिले के अलावा टाइगर रिजर्व में शामिल दमोह जिले के वन क्षेत्र को भी शामिल किया गया था। 29 अप्रेल से शुरू होकर एक मई तक तीन दिन चली इस गिद्ध गणना में चारों वन मंडल में कुल 872 स्थानीय गिद्ध मिले थे, जिसमें सबसे ज्यादा 492 गिद्ध वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पाए गए थे।
वीरांगना टाइगर रिजर्व बाघों को लेकर तो चर्चा में है ही, क्योंकि यहां उम्मीद से बढ़कर बाघों की संख्या में बढ़त हुई है। वर्तमान में यहां पर बाघों और शवकों को मिलाकर कुल संख्या 23 है। टाइगर रिजर्व के उप संचालक डॉ. एए अंसारी का कहना है कि देश में गिद्ध की 9 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 7 प्रजातियां टाइगर रिजर्व में मौजूद हैं। इस समय सबसे ज्यादा संकट में भारतीय गिद्ध हैं, लेकिन शीतकालीन व ग्रीष्मकालीन गणना के दौरान टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा संख्या भारतीय गिद्धों की मिली थी। यही कारण है कि कैप्टिव ब्रीडिंग से जन्में भारतीय गिद्ध के बच्चों को विकसित करने टाइगर रिजर्व को चिन्हित किया गया है।
डोंगरगांव में गिद्ध कोंच है, जहां गिद्धों के सबसे ज्यादा प्राकृतिक आवास हैं। गिद्ध गणना के दौरान अमले ने उन पेड़ों को भी चिन्हित किया था, जिन पर गिद्धों का बसेरा होता है। एक माह में एवियरी तैयार हो जाएगी उसके बाद यहां केरवा से गिद्ध के तीन जोड़ें आएंगे।
डॉ. एए अंसारी, उप संचालक, वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व
Updated on:
25 Oct 2024 02:15 pm
Published on:
25 Oct 2024 02:13 pm
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