
CG News: छत्तीसगढ़ के दुर्ग में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना अब पंजीकृत श्रमिकों को केवल रोजगार उपलब्ध कराने तक ही सीमित नही है, अपितु यह पंजीकृत श्रमिक परिवारों को अब कुशल रोजगार के साथ बेहतर आजीविका की ओर ले जाने का कार्य भी कर रही है। मनरेगा के लाभार्थी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना के अंतर्गत पक्का पशु शेड बन जाने पर अतिरिक्त आमदनी का लाभ ले रही हैं। पशु शेड बन जाने से पशुओं को रखने में बहुत सहुलियत मिल रही है।
ऐसे ही एक श्रमिक परिवार ग्राम पंचायत रसमड़ा की रहने वाली कुमारी बाई साहू के परिवार की कहानी है। यह परिवार अब कुशल श्रम से स्वरोजगार की दिशा में कदम आगे बढ़ा चुके हैं और इस कार्य में मनरेगा के तहत बनने वाले पक्के पशु शेड ने उनकी काफी मदद की। वह खुद कहते है कि अब रोजगार की चिंता खत्म हो गई है। ज्यादा बड़ा मकान ना होने के कारण वह अच्छी तरह से पशुओं का देखभाल करने में असमर्थ थे।
उनके परिवार ने अपने भूमि पर पक्का पशु शेड बनाने का आवेदन ग्राम पंचायत में दिया। जिसे ग्राम सभा के प्रस्ताव के आधार पर स्वीकृत कर ग्राम पंचायत को एजेंसी बनाया गया। ग्राम पंचायत के माध्यम से राशि 93 हजार रूपए खर्च कर गत वर्ष शेड निर्माण का कार्य पूर्ण किया गया।
उन्होंने बताया कि शेड में रखे पशुओं से हर महीने आठ से दस हजार रूपए की आमदनी दुध बेचकर हो जाती है। इससे उनके परिवार के लिए एक नियमित आय का साधन बन गया है। पहले अकुशल रोजगार पर आश्रित रहने वाले कुमारी बाई साहू के परिवार के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना के तहत बना पशु शेड रोजगार का एक अच्छा साधन साबित हो रहा है। आज इनके पास दो दुघारू गाय है। इनसे प्रतिदिन सात लीटर से अधिक दुग्ध का उत्पादन हो रहा है। इनसे कुमारी बाई साहू के परिवार को लगभग आठ से दस हजार रूपए प्रतिमाह की अतिरिक्त आमदनी का स्त्रोत बन गया है। मनरेगा के हितग्राही कुमारी बाई साहू और उनका परिवार अब बेहतर जीवन यापन की दिशा में आगे बढ़ रहे है।
Updated on:
05 Sept 2024 03:34 pm
Published on:
05 Sept 2024 03:33 pm
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