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जंगली जानवरों के हमलों में हर वर्ष कर्नाटक में 50-60 लोगों की मौत

मंत्री ने बताया कि 1972 में बंडीपुर में केवल 12 बाघ थे, जबकि वर्तमान में उनकी संख्या 153 तक पहुंच गई है। बाघों की जनसंख्या में वृद्धि और उनके लिए जंगल के क्षेत्र में कमी इस समस्या को और गंभीर बना रही है।

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tiger

tiger (demo pic source bandhavgarh tiger reserv)

राज्य Karnataka के वन मंत्री ईश्वर खंड्रे ने बाघों TIger की बढ़ती संख्या और घटते वन क्षेत्र को मानव-वन्यजीव संघर्ष का मुख्य कारण बताया है। हर साल राज्य में 55 से 60 लोग जंगली जानवरों के हमलों में मारे जाते हैं।

उन्होंने रविवार को चामराजनगर में किसानों और अन्य हितधारकों के साथ एक बैठक की। इस दौरान उन्होंने मानव-वन्यजीव संघर्ष Human-wildlife conflict को कम करने के लिए सुझाव लिए। यह बैठक पिछले दो हफ्तों में तीन बाघ हमलों के बाद बुलाई गई थी, जिनमें दो किसानों की मौत और एक घायल हुआ था।

कभी बंडीपुर में थे केवल 12 बाघ

मंत्री ने बताया कि 1972 में बंडीपुर में केवल 12 बाघ थे, जबकि वर्तमान में उनकी संख्या 153 तक पहुंच गई है। बाघों की जनसंख्या में वृद्धि और उनके लिए जंगल के क्षेत्र में कमी इस समस्या को और गंभीर बना रही है।

कड़ी कार्रवाई का आश्वासन

किसानों की शिकायतों पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने किसी भी वन क्षेत्र में अवैध होमस्टे, रिसॉर्ट या पत्थर की खदान को अनुमति नहीं दी है। उन्होंने चेतावनी दी, यदि किसी भी अवैध गतिविधि की स्पष्ट शिकायत मिलती है, तो बिना किसी ढिलाई के कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

दो-सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित

उन्होंने बताया कि विभाग ने दो-सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की है, जो यह अध्ययन करेगी कि वन्यजीव मानव बस्तियों में क्यों प्रवेश कर रहे हैं और इससे बचाव के उपाय क्या हो सकते हैं। किसानों और जनता द्वारा दिए गए सुझावों को भी संकलित कर अमल में लाया जाएगा।

मुआवजा बढ़ाने की मांग

किसानों ने वन्यजीवों द्वारा फसल नुकसान पर अधिक मुआवजे की मांग की, जिस पर मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से चर्चा की जाएगी।

एकीकृत नियंत्रण केंद्र

मंत्री ने यह भी घोषणा की कि एक एकीकृत नियंत्रण केंद्र स्थापित किया जाएगा, जहां आधुनिक तकनीक का उपयोग कर वन्यजीवों की निगरानी की जाएगी और जनता को समय रहते चेतावनी दी जाएगी।

पशु चिकित्सक कैडर का प्रस्ताव

उन्होंने बताया कि वन्यजीवों के लिए अलग पशु चिकित्सक कैडर बनाने का प्रस्ताव भी दिया गया है ताकि घायल या बीमार जानवरों की शीघ्र चिकित्सा हो सके।

हमलों और मौतों पर एक नजर

- वर्ष 2021-22 में 28 हाथियों, 2 बाघों और 11 अन्य जानवरों के हमलों से 41 लोगों की मौत हुई।

- वर्ष 2022-23 में 32 हाथियों, 5 बाघों और 20 अन्य जानवरों के हमलों 57 लोगों की मौत हुई।

- वर्ष 2023-24 में 48 हाथियों, 5 बाघों और 12 अन्य जानवरों के कारण 65 मौतें हुईं।

- वर्ष 2024-25 में 36 हाथियों, 2 बाघों और 8 अन्य जानवरों के हमलों में 46 लोगों की मौत हुई।

- वर्ष 2025-26 में 20 हाथियों और 4 बाघों के हमलों में अब तक 30 लोगों की मौत हुई है।