इधर कृषि विभाग ने इन कीट के लक्षण भी बताए हैं। बताया गया कि यह कीट आम तौर पर रात में धान के खेतों को नुकसान पहुंचाता है। यह कीट पत्तियों के साथ-साथ बालियों को भी काटता है। यह कीट दिन के समय में खेत की मेढ़ों में छिप जाता है, जो शाम होते ही अंधेरे में फसलों को चट करना शुरू कर देता है। इस संबध में कृषि विशेषज्ञों ने खेतों का सर्वे करना शुरू कर दिया है। जिन क्षेत्रों से धान की फसल पर फौजी कीट की सूचनाएं मिल रही हैं। विशेषज्ञ मेढ़ों का निरीक्षण कर किसानों को दवा के छिडक़ाव की सलाह दे रहे। विभिन्न प्रकार की दवाईयां कृषि विशेषज्ञ किसानों को बता रहे हंै। सर्व प्रथम मेंढो पर दवाईयों का छिड़ांव किया जाए।
कीटों के इस प्रकोप को लेकर लांजी बाघ नदी के किनारे के क्षेत्र में भी परेशानी बताई जा रही है। ग्राम पंचायत कुलपा के पुर्व जनपद सदस्य राजू मेंढे ने सर्वे किए जाने की मांग कर बताया की बाघ नदी के किनारे में बसे गांव जो कि बाघ नदी के किनारे स्थित है। अधिकतर किसानों की फसल नदी के किनारे के क्षेत्र है। इस वर्ष बाघ नदी में बाढ़ आने से लगभग पूर्ण रूप से खेती प्रभावित हो गई है और जो बची कुची फसलें है, उन पर अब कीटों का प्रकोप देखने मिल रहा है। यह सावरदेही, माहू, आर्मी वर्म आदि कीट के चलते फसलें नष्ट हो रही है। शासन प्रशासन से मांग है कि जल्द जल्द फसलों का सर्वे कार्य किया जाकर किसानो को मुआवजा प्रदान करना चाहिए।