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निगम परिषद में गार्बेज शुल्क पर लगी मुहर, गोदाम-वेयरहाउस व दुकानों की दरें घटी,अब मिलेगी राहत

परिषद ने गोदाम, वेयरहाउस, दुकानों, शोरूम, पेट्रोल पंप और सर्विस सेक्टर से जुड़ी दरों में संशोधन को मंजूरी दे दी।

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परिषद ने गोदाम, वेयरहाउस, दुकानों, शोरूम, पेट्रोल पंप और सर्विस सेक्टर से जुड़ी दरों में संशोधन को मंजूरी दे दी।

नगर निगम परिषद की सोमवार को हुई बैठक में विवाद और असंतोष का कारण बने गार्बेज शुल्क की विसंगतियों को दूर करने के प्रस्ताव पर आखिरकार सर्वसम्मति से मुहर लग गई। परिषद ने गोदाम, वेयरहाउस, दुकानों, शोरूम, पेट्रोल पंप और सर्विस सेक्टर से जुड़ी दरों में संशोधन को मंजूरी दे दी। इस फैसले से व्यापारियों और आम नागरिकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। हालांकि, बैठक का बड़ा हिस्सा शहर के मुद्दों पर चर्चा के बजाय हंगामे, आरोप-प्रत्यारोप और आपसी टकराव में बीत गया। करीब ढाई घंटे तक पार्षद आपस में उलझते रहे, जबकि गार्बेज शुल्क संशोधन का अहम प्रस्ताव महज 25 मिनट में पारित हो गया।

गार्बेज शुल्क की विसंगतियों को लेकर चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल ने पत्र भेजा था। पत्र में बताया गया कि गार्बेज शुल्क के प्रस्ताव में ‘गोदाम’ नाम की कोई अलग श्रेणी नहीं है, इसके बावजूद टैक्स पोर्टल पर गोदाम को वेयरहाउस दर्शाकर 10 हजार रुपए शुल्क वसूला जा रहा है, जो अनुचित है। इसी तरह दुकानों के लिए 1000 वर्गफीट तक 240 रुपए शुल्क तय था, लेकिन इससे अधिक होते ही शुल्क सीधे 4 हजार रुपए कर दिया जा रहा था। इस विसंगति को दूर करने के लिए मेयर इन काउंसिल (एमआईसी) ने क्षेत्रफल के आधार पर नई दरें तय कीं, जिन्हें परिषद ने विस्तृत चर्चा के बाद मंजूरी दे दी।

अधूरी जानकारी पर भड़के पार्षद
पार्षद मोहित जाट, नागेंद्र राणा और ब्रजेश श्रीवास ने आरोप लगाया कि प्रश्नों के जवाब में दी जा रही जानकारियां आधी-अधूरी और छुपाकर दी जा रही हैं। इनमें कार्यशाला और गौशाला से जुड़ी जानकारी शामिल थी। इस पर सभापति मनोज सिंह तोमर ने निगमायुक्त संघ प्रिय से स्थिति स्पष्ट करने को कहा। निगमायुक्त ने जवाब दिया कि पार्षदों ने प्रतिदिन के हिसाब से दो-तीन वित्तीय वर्षों की जानकारी मांगी है, जिसे संकलित करने में समय लगेगा। इसके बावजूद सभापति ने गौशाला के रखरखाव पर होने वाले खर्च की पूरी जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

धरना और हंगामे के बीच निर्णय
बैठक के दौरान सत्तापक्ष के पार्षद मनोज राजपूत ने अपने पत्रों पर कार्रवाई न होने, वार्ड में 283 आम लोगों के हवाले से काम कराने की फाइल, और सीवर समस्या को लेकर एमआईसी सदस्य शकील मंसूरी के साथ सदन में बैठकर धरना दे दिया। इससे सदन का माहौल और गरमा गया।
इंजीनियर अभिषेक–रजनीश को वापस भेजा
पार्षद जितेंद्र मुद्गल ने चेतकपुरी सड़क मामले में इंजीनियरों के सस्पेंड और बहाल होने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की कमी बताकर ईई अभिषेक भदौरिया और रजनीश देवेश को प्रतिनियुक्ति पर बुलाया गया था, लेकिन मूल इंजीनियरों की बहाली के बाद भी उन्हें रिलीव नहीं किया जा रहा है। निगमायुक्त ने इंजीनियरों की जरूरत का हवाला दिया, लेकिन जब सभापति ने सदन की राय ली तो सर्वसम्मति से दोनों इंजीनियरों को रिलीव कर मूल विभाग भेजने का निर्णय लिया गया।

जेडओ पर झूठ बोलने का आरोप
पार्षद नागेंद्र राणा ने आरोप लगाया कि शिवाजी नगर, ज्योति नगर और इंद्रा नगर की 40–50 लाख की सड़कों को अवंतिका कंपनी ने खोद दिया। आयुक्त ने जेडओ द्वारा काम रुकवाने की बात कही, लेकिन पार्षद ने दावा किया कि काम मैंने रुकवाया, जेडओ ने आयुक्त से झूठ बोला।

सदन से ये तय हुआ है गार्बेज शुल्क
1-गैर आवासीय
1001 से 2000 वर्गफीट तक 1000 रुपए प्रतिवर्ष।
2001 से 3000 वर्गफीट तक 1500 रुपए प्रतिवर्ष।
3001 से 5000 वर्गफीट तक 2500 रुपए प्रतिवर्ष।
5001 से 8000 वर्गफीट तक 4000 रुपए प्रतिवर्ष।
8001 वर्गफीट से अधिक पर 8000 रुपए प्रतिवर्ष।


2- वेयर हाउस: 10 हजार वर्गफीट तक 10 हजार रुपए प्रतिवर्ष, अधिक पर 20 हजार रुपए था, अब इसे 10 हजार वर्गफीट तक एक रुपए और उससे अधिक पर डेढ़ रुपए प्रति वर्गफीट सालाना किया है।
3-पेट्रोल पंप: अभी 20 हजार रुपए प्रतिवर्ष गार्बेज शुल्क है। अब इसे एक रुपए प्रति वर्गफीट किया है।
4-शोरूम सह वर्कशाप: -10 हजार वर्गफीट तक 30 हजार रुपए और उससे अधिक क्षेत्रफल होने 60 हजार रुपए लिया जा रहा था। अब एक रुपए और दो रुपए प्रति वर्गफीट सालाना किया है।
5-मल्टी ब्रांड आउटलेट: 25 हजार प्रतिवर्ष लिया जा रहा है। अब 3000 वर्गफीट तक 4000 रुपए प्रतिवर्ष, अधिक पर दो रुपए प्रति वर्गफीट सालाना लिया जाएगा।
6-बैंक,ऑफिस,अन्य सर्विस सेक्टर कार्यालय-पांच हजार वर्गफीट तक 10 हजार रुपए और उससे अधिक होने पर 20 हजार रुपए प्रतिवर्ष किया गया था। अब दो रुपए प्रति वर्गफीट प्रतिवर्ष के हिसाब से लिया जाएगा।

परिषद में ये भी रहा खास

  • माइक बंद होने पर सभापति नाराज,
  • पार्षद मनोज राजपूत व भगवान सिंह कुशवाह ने अमर्यादित भाषा का उपयोग किया।-महापौर के मौजूद न रहने पर विपक्षी पार्षदों ने सवाल उठाए।-पार्षदों के न मानने पर सभापति खुद अपनी सीट से खड़े हो गए और नियम न जानने पर पार्षदों को शांत होने की सीख दी।-ऊर्जा मंत्री के प्रतिनिधि के रूप में पूर्व नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित की नियुक्त पर परिषद में स्वागत किया गया।

ये बोले पार्षद
हमें तो महापौर,एमआईसी व अफसरों ने लूट दिया है। रोड स्वीपिंग के नाम पर दस करोड़ पानी में बर्बाद कर दिए,इतना मुर्ख मत बनाओ।
भगवान सिंह कुशवाह

जीआईएस सर्वें का कार्य करने वाले कर्मचारी रिटायर्ड उपायुक्त एपीएस भदौरिया के नाम से नोटिस थमा रहे है। पीएचई कर्मी भी कार्य कर रहे है। कंपनी की जांच के लिए समिति गठित कर जांच के बाद कार्रवाई की जाए।
नागेंद्र राणा,पार्षद

निगम में मंत्री,सांसद व विधायक के हस्तक्षेप से शहर का विकास नहीं हो पा रहा है। इन्हें निगम के कार्य में हस्तक्षेप करने से रोका जाए।
मनोज राजपूत,पार्षद

महापौर को शहर की चिंता नहीं इसलिए वह परिषद में नहीं आती है। तीन बार से महापौर गायब है, आज शहर में बहुत समस्या है।
सोनू त्रिपाठी,पार्षद