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23 साल में वीरान पहाड़ी को बनाया जंगल, दो गांव की 1030 एकड़ जमीन पर पहले उगती थी घास, अब है सागौन की बहार

– यह रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के पास का इलाका कम पथरीली जमीन का हिस्सा ज्यादा लगता था। – प्रकृतिप्रेमी रजनीश मिश्रा के संकल्प ने बदली गांव की तस्वीर, बंजर स्थान हरियाली में बदल गया सागर. जिले के देवरी ब्लाक के मानेगांव और डूंगरिया गांव की 1030 एकड़ की पहाड़ी पर दो दशक पहले घास भी […]

सागरJun 03, 2024 / 08:14 pm

प्रवेंद्र तोमर

– यह रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के पास का इलाका कम पथरीली जमीन का हिस्सा ज्यादा लगता था।

– प्रकृतिप्रेमी रजनीश मिश्रा के संकल्प ने बदली गांव की तस्वीर, बंजर स्थान हरियाली में बदल गया
सागर. जिले के देवरी ब्लाक के मानेगांव और डूंगरिया गांव की 1030 एकड़ की पहाड़ी पर दो दशक पहले घास भी बड़ी मुश्किल से उगती थी। यह रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के पास का इलाका कम पथरीली जमीन का हिस्सा ज्यादा लगता था। प्रकृतिप्रेमी रजनीश मिश्रा के संकल्प ने गांव के दूसरे लोगों के भीतर भी हरियाली की ललक जगाई और देखते ही देखते यह बंजर स्थान हरियाली में बदल गया। आज इस वन में 70 प्रतिशत सागौन के पेड़ हैं। इसके अलावा महुआ, बरगद, सेज सहित अन्य प्रजाति के औषधीय पेड़, पौधे लहलहा रहे हैं।
मानेगांव  500 व डूंगरिया मे 530 एकड़ की पहाड़ी है। दक्षिण वन मंडल व रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व से घिरी यह राजस्व भूमि है। इंडिया-कनाडा सरकार ने संयुक्त प्रोजेक्ट के तहत पर्यावरण बचाने व ग्रामीणों को रोजगार देने के उद्देश्य से इस वीरान पहाड़ी पर पौधे रोपने का निर्णय लिया था। इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर को ऑपरेटिव लिमिटेड (इफको)के माध्यम से अक्टूबर 1998 तक यहा दो लाख पौधे रोपे गए। प्राथमिक क्षेत्र वानिकी समिति देवरी को इसकी देखभाल का जिम्मा दिया गया। समिति के तत्कालीन सचिव रजनीश मिश्रा इसकी रखवाली करने लगे। इससे नए पौधों के साथ-साथ पुराने जंगली पौधों की सुरक्षा भी होने लगी। पानी की कमी के कारण नए रोपे गए पौधे तो नीचे नष्ट हो गए परंतु पुराने पेड़ों की जड़े प्राकृतिक रूप से विकसित होने लगी और वे जड़ेबड़ेपेड़ों का रूप लेने लगी l
मानदेय बंद हुआ लेकिन पेड़ों की सेवा बंद नहीं की

इफको द्वारा रजनीश मिश्रा और सदस्यों 2002 तक 5000 रुपए मानदेय दिया जाता रहा। मानदेय बंद होने के बाद भी उन्होंने जंगल की रखवाली बंद नहीं की। एक पेड़ सौ पुत्रों बराबर है, इस ध्येय के साथ वे लगातार जंगल की सेवा करते रहे। उनकी लगन और दिन रात का समर्पण देखकर ग्रामीण गणपत ठाकुर, रतिराम बाबा, माखन लोधी, मुन्ना महराज, राजकुमार तिवारी, हरलाल ठाकुर, राजेश महराज आदि साथी जंगल के पेड़ों को अपना पुत्र मानने लगे l
सभी लोग तो सुरक्षा करते ही हैं, सबने मिलकर एक चौकीदार भी रखा है और कुत्ते भी पाले हैं।अब मजाल है कि यहां किसी की बुरी नजर भी पहुंच जाए।

पेड़ों को पुत्रों की तरह पालेंगे
जंगल की सुरक्षा के लिए दिए जाने वाला खर्च जैसे बंद हुआ तो मेरे और मेरे साथियो के मन में विचार आया कि इस जंगल को अपने पुत्रों की तरह पालेंगे। इसके लिए चौकीदार भी रखा। सुरक्षा के लिए कुत्ते भी पाल रखे हैं। अब जंगल की हरियाली देखकर मन हरा हो जाता है। अगली पीढ़ी इसकी जिम्मेदारी ले तो बहुत खुशी होगी l
– रजनीश मिश्रा प्रकृतिप्रेमी, देवरी

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