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Ganesh utsav 2018: यहां बदल रहा है हर दिन गणपति जी की मूर्ति का आकार, चमत्कार को देखने फूटा भक्तों का सैलाब

यहां बदल रहा है हर दिन गणपति जी की मूर्ति का आकार, चमत्कार को देखने फूटा भक्तों का सैलाब

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Tanvi Sharma

Sep 07, 2018

kanipakkam mandir

Ganesh utsav 2018: यहां बदल रहा है हर दिन गणपति जी की मूर्ति का आकार, चमत्कार को देखने फूटा भक्तों का सैलाब

प्रथमपूज्य गणपति जी की महिमा अपरंपार है। यूं तो गणेश जी की भरत देश में अनेकों अद्भुत व चमत्कारी मूर्ति स्थापित हैं, लेकिन जिस अद्भुत मंदिर की हम बात कर रहे हैं यहां गणपति जी की मूर्ति का आकार प्रतिदिन बढ़ता है। आपको जानकर हैरानी हुई होगी लेकिन यह आश्चर्य कर देने वाला चमत्कारी मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर में स्थापित हैं। ऐसी मूर्ति आपने कहीं नहीं देखी होगी जो हर दिन अपना आकार बदलती है। यह मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिर है। इस प्रसिद्ध मंदिर को कनिकक्कम गणपति मंदिर के नाम से जाना जाता है। कनिपक्कम गणपति मंदिर में हर दिन बड़ी संख्या में श्रृद्धालु दर्शन करने आते हैं। दर्शन करने आए श्रृद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

संवर जाती है बिगड़ी किस्मत

कनिपक्कम मंदिर में आए भक्तों की यहां दर्शन करने से बिगड़ी किस्मत संवर जाती है। मंदिर में विराजीत भगवान श्री गणेश की स्वयंभू मूर्ति बहुत ही सुंदर व अद्भुत है। बप्पा का आशीर्वाद लेने यहां पूरे साल भक्त आते हैं लेकिन गणेशोत्सव व बुधवार के दिन यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। श्रृद्धआलुओं का कहना है की यहां मांगी हुई हर मुराद पूरी होती है। काले पाषाण की प्रतिमा बेहद अद्भुत नज़र आती है। इस मंदिर की कीर्ति दूर - दूर तक है। कई श्रद्धालु यहां दर्शन कर खुद को धन्य मानते हैं।

चोल राजाओं ने करवाया था ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण

प्रचलित कथा के अनुसार बताया गया है की यहां तीन भाई रहा करते थे। जिसमें एक भाई अंधा था, एक गूंगा था और तीसरे को कुछ सुनाई नहीं देता था। ये लोग खेती कर अपनी आजीविका चलाते थे। एक दिन इन्हें खेत में कुंआ खोदने की जरूरत हुई। कुंआ खोदते समय इनकी कुदाल एक पत्थर से टकरा गई। जब लोगों ने उस पत्थर को हटाया तो वहां खून की धारा निकलने लगी। इसके बाद इन लोगों को वहां एक मूर्ति दिखाई दी। जब तीनों भाईयों ने मूर्ति के दर्शन किए तो तीनों की शारीरिक कमजोरी दूर हो गई। इस तरह के चमत्कार की जानकारी जब गांव के अन्य लोगों को मिली तो वे खेत की ओर पहुंचने लगे। यहां पहुंचकर सभी ने भगवान की इस अद्भुत मूर्ति के दर्शन किए। बाद में इस मूर्ति को 11 वीं सदी के चोल राजा कुलोतुंग चोल प्रथम ने कनिपक्कम गणपति मंदिर बनाकर प्रतिष्ठापित किया।

लगातार बढ़ रहा है मूर्ति का आकार

यहां मंदिर बनने पर बड़े पैमाने पर लोग पहुंचने लगे। कहते हैं कि इस मंदिर में मौजूद विनायक की मूर्ति का आकार हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। इस बात से आपको भी हैरानी हो रही होगी, लेकिन यहां के लोगों का मानना है कि प्रतिदिन गणपति की ये मूर्ति अपना आकार बढ़ा रही है।इस बात का प्रमाण उनका पेट और घुटना है, जो बड़ा आकार लेता जा रहा है। कहा जाता है कि विनायक की एक भक्त श्री लक्ष्माम्मा ने उन्हें एक कवच भेंट किया था, लेकिन प्रतिमा का आकार बढऩे की वजह से अब उसे पहनाना मुश्किल हो गया है।