
possitive shukra
Shukra Ka Rashi Parivartan 2022: कुंडली में भाग्य के कारक शुक्र को नवग्रहों में अति विशेष माना जाता है। वैसे तो इन्हें दैत्यगुरु की उपाधि भी प्राप्त है। लेकिन भाग्य के कारक होने के चलते इनकी कारक देवी स्वयं माता लक्ष्मी हैं।
ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह का गोचर महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में भाग्य के कारक शुक्र का गोचर तो और भी अधिक विशेष महत्व रखता है। दरअसल इस साल यानि 2022 में मार्च के अंतिम दिन यानी 31 मार्च 2022, गुरुवार को 08.54 AM बजे शुक्र कुंभ राशि में गोचर करेंगे। इसके बाद शुक्र इसी राशि में मंगलवार,26 अप्रैल तक रहेगा।
पंडित एके शुक्ला के अनुसार यहां ये जान लें कि ज्योतिष में शुक्र ग्रह को वैवाहिक सुख, धन, वैभव,कला, सौंदर्य और प्रतिभा का भी प्रतीक माना गया है। जिसके चलते शुक्र का किसी भी प्रकार का परिवर्तन सभी राशियों पर विशेष असर डालता है। ऐसे में जिन लोगों के जन्म कुंडली में शुक्र मजबूत होता है। उनके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
वहीं कमजोर या नीच का शुक्र वाली कुंडली के जातक तमाम तरह की समस्याओं से घिरे रहते हैं। ऐसे में हर कोई अपने शुक्र को मजबूत रखना चाहता है। तो आइये जानते है कि किस प्रकार शुक्र को मजबूत रखा जा सकता है।
शुक्र को ऐसे रखें मजबूत
1. इसके लिए सफेद रंग के कपड़ों का इस्तेमाल ज्यादा करें। खासतौर पर सोमवार को सफेद वस्त्र जरूर पहनें। जबकि शुक्रवार को गुलाबी वस्त्र पहनें।
2. शुक्र को मां लक्ष्मी को सफेद मिठाई का भोग लगाएं।
3. शुक्रवार को जरूरतमंदों को चावल, दूध, शक्कर, दूध की मिठाई या सफेद कपड़े दान करने से शुक्र ग्रह मजबूत होता है।
4. शुक्रवार के दिन स्फटिक की माला से ऊं द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः मंत्र का जाप करें।
5. माना जाता है कि हाथ में चांदी का कंगन या गले में स्फटिक की माला पहनने से जन्म कुंडली में शुक्र मजबूत होता है।
शुक्र का वैदिक मंत्र -
ऊं अन्नात्परिस्नुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत क्षयं पयः सेमं प्रजापतिः।
ऋतेन सत्यमिन्दियं विपान ग्वं, शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोय्मृतं मधु।।
शुक्र का नाम मंत्र -
ऊं शुं शुक्राय नमः
शुक्र का मंत्र -
शुक्र महाग्रह मम दुष्टग्रह, रोग कष्ट निवारणं सर्व शांति च कुरू कुरू हूं फट्।
शुक्र का तान्त्रिक मंत्र -
ऊं द्रां द्रीं दौं सः शुकाय नमः।
शुक्र का पौराणिक मंत्र -
ऊं हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम।
शुक्र स्त्रोत का पाठ -
नमस्ते भार्गव श्रेष्ठ देव दानव पूजित। वृष्टिरोधप्रकर्त्रे च वृष्टिकर्त्रे नमो नम:।। देवयानीपितस्तुभ्यं वेदवेदांगपारग:। परेण तपसा शुद्ध शंकरो लोकशंकर:।। प्राप्तो विद्यां जीवनाख्यां तस्मै शुक्रात्मने नम:। नमस्तस्मै भगवते भृगुपुत्राय वेधसे।। तारामण्डलमध्यस्थ स्वभासा भसिताम्बरः। यस्योदये जगत्सर्वं मंगलार्हं भवेदिह।।
अस्तं याते ह्यरिष्टं स्यात्तस्मै मंगलरूपिणे। त्रिपुरावासिनो दैत्यान शिवबाणप्रपीडितान।। विद्यया जीवयच्छुक्रो नमस्ते भृगुनन्दन। ययातिगुरवे तुभ्यं नमस्ते कविनन्दन।। बलिराज्यप्रदो जीवस्तस्मै जीवात्मने नम:। भार्गवाय नमस्तुभ्यं पूर्वं गीर्वाणवन्दितम।। जीवपुत्राय यो विद्यां प्रादात्तस्मै नमोनम:। नम: शुक्राय काव्याय भृगुपुत्राय धीमहि।।
नम: कारणरूपाय नमस्ते कारणात्मने। स्तवराजमिदं पुण्य़ं भार्गवस्य महात्मन:।। य: पठेच्छुणुयाद वापि लभते वांछित फलम। पुत्रकामो लभेत्पुत्रान श्रीकामो लभते श्रियम।। राज्यकामो लभेद्राज्यं स्त्रीकाम: स्त्रियमुत्तमाम। भृगुवारे प्रयत्नेन पठितव्यं सामहितै:।। अन्यवारे तु होरायां पूजयेद भृगुनन्दनम। रोगार्तो मुच्यते रोगाद भयार्तो मुच्यते भयात।।
यद्यत्प्रार्थयते वस्तु तत्तत्प्राप्नोति सर्वदा। प्रात: काले प्रकर्तव्या भृगुपूजा प्रयत्नत:।। सर्वपापविनिर्मुक्त: प्राप्नुयाच्छिवसन्निधि:। इति स्कन्दपुराणे शुक्रस्तोत्रम।।
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Updated on:
24 Mar 2022 09:46 am
Published on:
24 Mar 2022 09:39 am
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