
किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 57 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (03 दिसंबर 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 57 में भेजी गई कहानियों में ये कहानियां सराहनीय रही हैं।
अंश और उसके तीन साथी
मिताली गोयल, उम्र- 11 वर्ष
एक बार एक अंश नाम का लड़का पार्क में खेलने आया तब उसे एक टोकरी में तीन पिल्ले दिखाई दिए उसे पिल्लों के साथ खेलना बहुत पसंद था,इसलिए वो एक पिल्ले को अपने साथ घर ले गया और उसके साथ खेलता लेकिन कुछ दिन उस पिल्ले का अपने साथियों के बिना मन नहीं लगा तो अंश उसका मन लगाने के लिए सुबह और शाम पार्क में उसके साथियों के साथ मस्ती करने के लिए उसी पार्क में ले जाता था जिससे वे सभी अच्छे मित्र बन गए।
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टोकरी में नन्हे पिल्ले
देवाश सिंह राठौड़, उम्र- 8 वर्ष
एक दिन सुबह-सुबह रोहन अपने बगीचे में घूमने गया। उसने अपनी पसंदीदा लाल टोपी पहन रखी थी और खुशी-खुशी गुनगुना रहा था। जैसे ही वह झाड़ियों के पास पहुंचा, उसे वहां एक बड़ी टोकरी दिखाई दी। रोहन को आश्चर्य हुआ- वह टोकरी वहां कैसे आई ? जब पास गया तो उसकी आंखें खुशी से वह चमक उठी। टोकरी के अंदर तीन छोटे-छोटे सफेद पिल्ले बैठे थे। मैं बहुत मुलायम और प्यारे थे। उनकी काली-काली आंखें रोहन को देखते ही चमक उठी। इस समय रोहन ने देखा कि एक और पिला टोकरी के बाहर बैठा है। उसकी गर्दन में लाल रिबन बना था। और वह अपनी छोटी सी पूछ ला रहा था। रोहन मुस्कुराए हुए उसे उठता है और कहता है, अरे तुम तो सबसे ज्यादा शरारती हो। उसके बाद वह उन पिल्लो के साथ खेलने लगा।
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रोहन की आंखों में आसूं आ गए
सम्यक जैन, उम्र- 11 साल
रोहन एक दिन सुबह टहल रहा था जब उसे तीन कुत्ते के बच्चे दिखे तो उसने उन बच्चों में से एक बच्चे को उठाया और अपने माता-पिता के पास ले गया। लेकिन उसे अपने माता-पिता से निराशा प्राप्त हुई। तो वह उस बच्चे को वापस ले गया और उन्हें झाड़ियों के पीछे छुपा दिया। हर दिन रोहन उन बच्चों को खाना खिलाता, उनके लिए पानी लाता और उनके साथ खेलता। रोहन ने उनका नाम शेरू, टाईगर और चीता रखा। करीब दो महीने बाद वह देखता है कि वहाँ शेरू और चीता नहीं थे। वे दोनों एक आदमी के हाथों में थे। वो आदमी रोहन से पूछता है‘क्या मैं इन को लेकर जा सकता हूं? ’। रोहन ने उस आदमी के हाथो में शेरू और चीता को खुश देखा और हां कह दिया। फिर वापस आदमी रोहन से पूछा 'क्या मैं तीसरे बच्चे को लेकर जा सकता हूं' रोहन ने उस आदमी को हां कह दिया। लेकिन उस वक्त रोहन की आंखों में आसूं आ गए और वह घर चला गया।
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जन्मदिन पर तोहफा
विदिशा सिंह राजपूत, उम्र- 12 साल
एक छोटे से कस्बे में मोनू नाम का लड़का रहता था। उसे जानवरों से बड़ा प्यार था। वह हमेशा से ही चाहता था कि उसके पास भी एक पालतू जानवर हो। उसे सड़क के कुत्तों को खिलाने में बड़ा आनंद आता। लेकिन उसके माता-पिता को यह पसंद नहीं था। उसकी इस आदत से परेशान होकर एक दिन उसके माता-पिता ने उसे बहुत डांटा और जानवरों को खिलाने से मना कर दिया। अब वह गुमसुम-सा रहने लगा और उसके चेहरे पर जो खुशी झलकती थी वह भी गायब-सी हो गई। उसका व्यवहार देखकर उसके माता-पिता समझ गए कि उसे क्या चाहिए। मोनू का जन्मदिन आने वाला था तो उसके माता-पिता ने आपस में प्लान बनाया कि उसे तोहफे में पेट डॉग देते हैं। मोनू अपने जन्मदिन पर तोहफे में पेट डॉग पाकर खुशी से कूद पड़ा। उन तीनों पेट डॉग के गले में एक प्यारा सा लाल रंग का रिबन बंधा था। मोनू की खुशी वापस लौट आई।
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सबसे छोटे और प्यारे सफेद पिल्ले
वेदांश दुबे, उम्र- 10 साल
एक छोटे से गांव में जहां हरियाली और शांति थी। वहां एक लड़का रहता था। जिसका नाम था आरव। आरव को जानवर बहुत पसंद थे, खासकर कुत्ते। एक दिन उसके पड़ोसी के कुत्ते ने चार प्यारे पिल्लों को जन्म दिया। आरव बहुत उत्साहित था। पड़ोसी ने आरव को एक पिल्ला पालने की अनुमति दी। आरव ने खुशी-खुशी सबसे छोटे और प्यारे सफेद पिल्ले को चुना। उसने उसका नाम 'बादल' रखा। क्योंकि वह बादलों की तरह सफेद था। आरव और बादल का रिश्ता बहुत खास हो गया। आरव हर दिन बादल के साथ खेलता उसे घुमाने ले जाता और उसकी देखभाल करता। बादल भी आरव के बिना एक पल नहीं रह पाता था। चित्र में आरव को अपने प्यारे बादल को प्यार से उठाते हुए देखा जा सकता है। जबकि बाकी तीन पिल्ले टोकरी में आराम कर रहे हैं। आरव के चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान है। जो बादल के लिए उसके गहरे प्यार को दर्शाती है। बादल भी आरव की बाहों में सुरक्षित और खुश महसूस कर रहा है। आरव और बादल का बंधन समय के साथ और भी मजबूत होता गया और वे गांव के सबसे अच्छे दोस्त बन गए। उनकी दोस्ती ने सभी गांव वालों के दिलों को छू लिया।
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बंटू और प्यारे पिल्ले
आराध्या पालीवाल, उम्र- 7 साल
एक छोटे से गांव में बंटू नाम का एक प्यारा लड़का रहता था। एक दिन वह अपने बगीचे में खेल रहा था। तभी उसे एक टोकरी दिखी। टोकरी के अंदर तीन छोटे, प्यारे पिल्ले थे। बंटू बहुत खुश था उसने एक पिल्ले को प्यार से उठा लिया। जिसके गले में एक छोटा लाल रिबन बंधा था। बाकी दो पिल्ले टोकरी में आराम कर रहे थे। बंटू ने सभी पिल्लों को अपने घर ले जाने और उनकी देखभाल करने का फैसला किया। वह जानता था कि अब उसका हर दिन इन प्यारे दोस्तों के साथ बहुत मजेदार होगा। फिर कुछ दिनों बाद बंटू ने अपने नए दोस्तों के अच्छे से नाम भी रखे।
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कुत्ते के तीन छोटे बच्चे
शिव्या वर्मा, उम्र- 9 साल
एक बार की बात है, एक गांव में किशन नाम का लड़का रहता था। उसे पालतू जानवर बहुत ही पसंद थे। जैसे कि कुता, बिल्ली, गाय आदि। एक दिन वह रास्ते से गुजर रहा था। तभी उसे पीले कलर का लकड़ी का डिब्बा मिला। उसके अंदर कुत्ते के तीन छोटे बच्चे थे। तभी किशन ने उन तीनों में से एक को उठाया और उसके साथ खेलने लगा। उसे बहुत मजा आया। वह उन बच्चों को अपने साथ अपने घर लेकर चला गया। उनका ध्यान रखने लगा।
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दामोदर और छोटे पिल्ले
केतन सैनी, उम्र- 8 साल
एक बार एक रजत नाम का लड़का था। उसके पास तीन पिल्ले थे। पहले का नाम था मयूर, दूसरे का ट्विंकल और तीसरे का नाम था रिंकू। मयूर का स्वभाव बिल्कुल मोर जैसा था। इसलिये उसका नाम मयूर पड़ा। उसे नाचना बहुत पसंद था। इसलिए वह रजत का पसंदीदा था। रजत उन तीनों को एक खास टोकरी में रखता था। एक दिन वह मयूर के साथ खेल रहा था। तभी मयूर का सिर भिड़ने से रजत की टोपी गिर गयी। उसने मयूर पर गुस्सा किया। तब रजत ने देखा कि मयूर सिर हिला रहा था और गड़ी आंखों से उसकी तरफ देख रहा था। तो रजत समझ गया कि मयूर माफी मांगना चाहता है। रजत ने उसे माफ कर दिया और वे फिर से साथ साथ खेलने लगे।
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आरव के प्यारे पप्पी
दिनेश, उम्र- 9 साल
एक दिन दामोदर अपने घर के बगीचे में खेल रहा था। तभी उसने एक टोकरी में तीन छोटे-छोटे सफेद पिल्ले देखे। वे बहुत प्यारे थे और धीरे-धीरे रो रहे थे। दामोदर को उन पर बहुत दया आई। उसने सोचा इन्हें मां के पास पहुंचा देना चाहिए। तभी पास झाड़ियों में उसे एक और नन्हा पिल्ला दिखा। दामोदर उसे प्यार से उठाकर गोद में ले लिया। पिल्ला उसकी शर्ट को सूंघने लगा और पूंछ हिलाने लगा। दामोदर हंस पड़ा। वह उस पिल्ले को टोकरी में रखे बाकी पिल्लों के पास ले गया। तभी उनकी मां दौड़ती हुई आई। अपने बच्चों को देखकर वह बहुत खुश हुई। दामोदर ने सब पिल्लों को मां के पास दे दिया। मां ने जैसे धन्यवाद में दामोदर को देखा। दामोदर को बहुत अच्छा लगा और उसने तय किया कि वह हमेशा जानवरों से प्यार करेगा।
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सड़क के किनारे टोकरी में कुछ पप्पी दिखे
युक्तासिंह, उम्र- 12 साल
सुबह का वक्त था। सड़क पर हल्की धुंध छाई हुई थी। दस साल का आरव स्कूल जा रहा था। बिल्कुल हर दिन की तरह। लेकिन आज रास्ते में उसे कुछ ऐसा दिखा जिसने उसके कदम रोक दिए। सड़क के किनारे टोकरी में कुछ पप्पी दिखे। ठंड से कांप रहे थे। उनकी आंखो में बस एक ही सवाल था क्या कोई मेरी मदद करेगा। धीरे-धीरे आरव उनके पास पहुंचा। जैसे ही पिल्लों ने आरव को देखा उनकी उदास आखों में एक छोटी सी उम्मीद झलक उठी। आरव जमीन पर बैठ गया और उसे अपना लंच खिलाया। आरव जब जाने लगा तो उनमें से एक ने उसे रोक दिया जैसे कह रहा हो मुझे छोड़कर मत जाओं। आरव ने उन्हें उठाया और धीरे-धीरे घर की और बढ़ा। घर में सब आरव और उसके साथ छोटे छोटे पप्पी को देखकर खुश हो गये।
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कुत्ता मेरा साथी
उदित राज सिंह कानावत, उम्र- 6 साल
एक बार की बात है कोटडी नामक शहर में एक लड़का रहता था। जिसका नाम था पीयूष। पीयूष बहुत ही समझदार लड़का था। एक दिन वह अपने घर के बाहर कहीं घूमने गया। उसने देखा कि एक डिब्बे के अंदर तीन कुत्ते के बच्चे पड़े हुए हैं। वह उसे देखकर आश्चर्यचकित हो गया और उसने उन्हें उठा लिया और अपने घर लेकर आ गया। उसने उन कुत्ते के बच्चों की खूब सेवा की और उन्हें पाल-पोस कर बड़ा किया और उसकी मदद से वह बच्चे उसके घर में ही खुश रहने लगे और बड़े-बड़े बन गए। उसके घर की रखवाली करने लगे। इस तरह पियूष को मिले हुए कुत्ते उसके साथी बन गए।
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अंश और उसके तीन साथी
मिताली गोयल, उम्र- 11 वर्ष
एक बार एक अंश नाम का लड़का पार्क में खेलने आया तब उसे एक टोकरी में तीन पिल्ले दिखाई दिए उसे पिल्लों के साथ खेलना बहुत पसंद था,इसलिए वो एक पिल्ले को अपने साथ घर ले गया और उसके साथ खेलता लेकिन कुछ दिन उस पिल्ले का अपने साथियों के बिना मन नहीं लगा तो अंश उसका मन लगाने के लिए सुबह और शाम पार्क में उसके साथियों के साथ मस्ती करने के लिए उसी पार्क में ले जाता था जिससे वे सभी अच्छे मित्र बन गए।
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टोकरी में नन्हे पिल्ले
देवाश सिंह राठौड़, उम्र- 8 वर्ष
एक दिन सुबह-सुबह रोहन अपने बगीचे में घूमने गया। उसने अपनी पसंदीदा लाल टोपी पहन रखी थी और खुशी-खुशी गुनगुना रहा था। जैसे ही वह झाड़ियों के पास पहुंचा, उसे वहां एक बड़ी टोकरी दिखाई दी। रोहन को आश्चर्य हुआ- वह टोकरी वहां कैसे आई ? जब पास गया तो उसकी आंखें खुशी से वह चमक उठी। टोकरी के अंदर तीन छोटे-छोटे सफेद पिल्ले बैठे थे। मैं बहुत मुलायम और प्यारे थे। उनकी काली-काली आंखें रोहन को देखते ही चमक उठी। इस समय रोहन ने देखा कि एक और पिला टोकरी के बाहर बैठा है। उसकी गर्दन में लाल रिबन बना था। और वह अपनी छोटी सी पूछ ला रहा था। रोहन मुस्कुराए हुए उसे उठता है और कहता है, अरे तुम तो सबसे ज्यादा शरारती हो। उसके बाद वह उन पिल्लो के साथ खेलने लगा।
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रोहन की आंखों में आसूं आ गए
सम्यक जैन, उम्र- 11 साल
रोहन एक दिन सुबह टहल रहा था जब उसे तीन कुत्ते के बच्चे दिखे तो उसने उन बच्चों में से एक बच्चे को उठाया और अपने माता-पिता के पास ले गया। लेकिन उसे अपने माता-पिता से निराशा प्राप्त हुई। तो वह उस बच्चे को वापस ले गया और उन्हें झाड़ियों के पीछे छुपा दिया। हर दिन रोहन उन बच्चों को खाना खिलाता, उनके लिए पानी लाता और उनके साथ खेलता। रोहन ने उनका नाम शेरू, टाईगर और चीता रखा। करीब दो महीने बाद वह देखता है कि वहाँ शेरू और चीता नहीं थे। वे दोनों एक आदमी के हाथों में थे। वो आदमी रोहन से पूछता है‘क्या मैं इन को लेकर जा सकता हूं? ’। रोहन ने उस आदमी के हाथो में शेरू और चीता को खुश देखा और हां कह दिया। फिर वापस आदमी रोहन से पूछा 'क्या मैं तीसरे बच्चे को लेकर जा सकता हूं' रोहन ने उस आदमी को हां कह दिया। लेकिन उस वक्त रोहन की आंखों में आसूं आ गए और वह घर चला गया।
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जन्मदिन पर तोहफा
विदिशा सिंह राजपूत, उम्र- 12 साल
एक छोटे से कस्बे में मोनू नाम का लड़का रहता था। उसे जानवरों से बड़ा प्यार था। वह हमेशा से ही चाहता था कि उसके पास भी एक पालतू जानवर हो। उसे सड़क के कुत्तों को खिलाने में बड़ा आनंद आता। लेकिन उसके माता-पिता को यह पसंद नहीं था। उसकी इस आदत से परेशान होकर एक दिन उसके माता-पिता ने उसे बहुत डांटा और जानवरों को खिलाने से मना कर दिया। अब वह गुमसुम-सा रहने लगा और उसके चेहरे पर जो खुशी झलकती थी वह भी गायब-सी हो गई। उसका व्यवहार देखकर उसके माता-पिता समझ गए कि उसे क्या चाहिए। मोनू का जन्मदिन आने वाला था तो उसके माता-पिता ने आपस में प्लान बनाया कि उसे तोहफे में पेट डॉग देते हैं। मोनू अपने जन्मदिन पर तोहफे में पेट डॉग पाकर खुशी से कूद पड़ा। उन तीनों पेट डॉग के गले में एक प्यारा सा लाल रंग का रिबन बंधा था। मोनू की खुशी वापस लौट आई।
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सबसे छोटे और प्यारे सफेद पिल्ले
वेदांश दुबे, उम्र- 10 साल
एक छोटे से गांव में जहां हरियाली और शांति थी। वहां एक लड़का रहता था। जिसका नाम था आरव। आरव को जानवर बहुत पसंद थे, खासकर कुत्ते। एक दिन उसके पड़ोसी के कुत्ते ने चार प्यारे पिल्लों को जन्म दिया। आरव बहुत उत्साहित था। पड़ोसी ने आरव को एक पिल्ला पालने की अनुमति दी। आरव ने खुशी-खुशी सबसे छोटे और प्यारे सफेद पिल्ले को चुना। उसने उसका नाम 'बादल' रखा। क्योंकि वह बादलों की तरह सफेद था। आरव और बादल का रिश्ता बहुत खास हो गया। आरव हर दिन बादल के साथ खेलता उसे घुमाने ले जाता और उसकी देखभाल करता। बादल भी आरव के बिना एक पल नहीं रह पाता था। चित्र में आरव को अपने प्यारे बादल को प्यार से उठाते हुए देखा जा सकता है। जबकि बाकी तीन पिल्ले टोकरी में आराम कर रहे हैं। आरव के चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान है। जो बादल के लिए उसके गहरे प्यार को दर्शाती है। बादल भी आरव की बाहों में सुरक्षित और खुश महसूस कर रहा है। आरव और बादल का बंधन समय के साथ और भी मजबूत होता गया और वे गांव के सबसे अच्छे दोस्त बन गए। उनकी दोस्ती ने सभी गांव वालों के दिलों को छू लिया।
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बंटू और प्यारे पिल्ले
आराध्या पालीवाल, उम्र- 7 साल
एक छोटे से गांव में बंटू नाम का एक प्यारा लड़का रहता था। एक दिन वह अपने बगीचे में खेल रहा था। तभी उसे एक टोकरी दिखी। टोकरी के अंदर तीन छोटे, प्यारे पिल्ले थे। बंटू बहुत खुश था उसने एक पिल्ले को प्यार से उठा लिया। जिसके गले में एक छोटा लाल रिबन बंधा था। बाकी दो पिल्ले टोकरी में आराम कर रहे थे। बंटू ने सभी पिल्लों को अपने घर ले जाने और उनकी देखभाल करने का फैसला किया। वह जानता था कि अब उसका हर दिन इन प्यारे दोस्तों के साथ बहुत मजेदार होगा। फिर कुछ दिनों बाद बंटू ने अपने नए दोस्तों के अच्छे से नाम भी रखे।
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कुत्ते के तीन छोटे बच्चे
शिव्या वर्मा, उम्र- 9 साल
एक बार की बात है, एक गांव में किशन नाम का लड़का रहता था। उसे पालतू जानवर बहुत ही पसंद थे। जैसे कि कुता, बिल्ली, गाय आदि। एक दिन वह रास्ते से गुजर रहा था। तभी उसे पीले कलर का लकड़ी का डिब्बा मिला। उसके अंदर कुत्ते के तीन छोटे बच्चे थे। तभी किशन ने उन तीनों में से एक को उठाया और उसके साथ खेलने लगा। उसे बहुत मजा आया। वह उन बच्चों को अपने साथ अपने घर लेकर चला गया। उनका ध्यान रखने लगा।
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दामोदर और छोटे पिल्ले
केतन सैनी, उम्र-8 साल
एक बार एक रजत नाम का लड़का था। उसके पास तीन पिल्ले थे। पहले का नाम था मयूर, दूसरे का ट्विंकल और तीसरे का नाम था रिंकू। मयूर का स्वभाव बिल्कुल मोर जैसा था। इसलिये उसका नाम मयूर पड़ा। उसे नाचना बहुत पसंद था। इसलिए वह रजत का पसंदीदा था। रजत उन तीनों को एक खास टोकरी में रखता था। एक दिन वह मयूर के साथ खेल रहा था। तभी मयूर का सिर भिड़ने से रजत की टोपी गिर गयी। उसने मयूर पर गुस्सा किया। तब रजत ने देखा कि मयूर सिर हिला रहा था और गड़ी आंखों से उसकी तरफ देख रहा था। तो रजत समझ गया कि मयूर माफी मांगना चाहता है। रजत ने उसे माफ कर दिया और वे फिर से साथ साथ खेलने लगे।
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आरव के प्यारे पप्पी
दिनेश, उम्र- 9 साल
एक दिन दामोदर अपने घर के बगीचे में खेल रहा था। तभी उसने एक टोकरी में तीन छोटे-छोटे सफेद पिल्ले देखे। वे बहुत प्यारे थे और धीरे-धीरे रो रहे थे। दामोदर को उन पर बहुत दया आई। उसने सोचा इन्हें मां के पास पहुंचा देना चाहिए। तभी पास झाड़ियों में उसे एक और नन्हा पिल्ला दिखा। दामोदर उसे प्यार से उठाकर गोद में ले लिया। पिल्ला उसकी शर्ट को सूंघने लगा और पूंछ हिलाने लगा। दामोदर हंस पड़ा। वह उस पिल्ले को टोकरी में रखे बाकी पिल्लों के पास ले गया। तभी उनकी मां दौड़ती हुई आई। अपने बच्चों को देखकर वह बहुत खुश हुई। दामोदर ने सब पिल्लों को मां के पास दे दिया। मां ने जैसे धन्यवाद में दामोदर को देखा। दामोदर को बहुत अच्छा लगा और उसने तय किया कि वह हमेशा जानवरों से प्यार करेगा।
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सड़क के किनारे टोकरी में कुछ पप्पी दिखे
युक्तासिंह, उम्र- 12 साल
सुबह का वक्त था। सड़क पर हल्की धुंध छाई हुई थी। दस साल का आरव स्कूल जा रहा था। बिल्कुल हर दिन की तरह। लेकिन आज रास्ते में उसे कुछ ऐसा दिखा जिसने उसके कदम रोक दिए। सड़क के किनारे टोकरी में कुछ पप्पी दिखे। ठंड से कांप रहे थे। उनकी आंखो में बस एक ही सवाल था क्या कोई मेरी मदद करेगा। धीरे-धीरे आरव उनके पास पहुंचा। जैसे ही पिल्लों ने आरव को देखा उनकी उदास आखों में एक छोटी सी उम्मीद झलक उठी। आरव जमीन पर बैठ गया और उसे अपना लंच खिलाया। आरव जब जाने लगा तो उनमें से एक ने उसे रोक दिया जैसे कह रहा हो मुझे छोड़कर मत जाओं। आरव ने उन्हें उठाया और धीरे-धीरे घर की और बढ़ा। घर में सब आरव और उसके साथ छोटे छोटे पप्पी को देखकर खुश हो गये।
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कुत्ता मेरा साथी
उदित राज सिंह कानावत, उम्र 6 साल
एक बार की बात है कोटडी नामक शहर में एक लड़का रहता था। जिसका नाम था पीयूष। पीयूष बहुत ही समझदार लड़का था। एक दिन वह अपने घर के बाहर कहीं घूमने गया। उसने देखा कि एक डिब्बे के अंदर तीन कुत्ते के बच्चे पड़े हुए हैं। वह उसे देखकर आश्चर्यचकित हो गया और उसने उन्हें उठा लिया और अपने घर लेकर आ गया। उसने उन कुत्ते के बच्चों की खूब सेवा की और उन्हें पाल-पोस कर बड़ा किया और उसकी मदद से वह बच्चे उसके घर में ही खुश रहने लगे और बड़े-बड़े बन गए। उसके घर की रखवाली करने लगे। इस तरह पियूष को मिले हुए कुत्ते उसके साथी बन गए।
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प्यारे बच्चे
आर्या गालवा
एक बार की बात है। एक लड़का था, उसका नाम रोहन था। वह एक दिन एक बगीचे में गया। वहां उसको 3 छोटे छोटे कुत्ते के बच्चे दिखाई दिए। शायद उनकी मां उनको छोड़कर कही चली गई थी। वो भूख से रो भी रहे थे। रोहन उन तीनों को अपने घर ले आया। घर पर वह उनका पूरा ध्यान रखता। उनको अच्छे से खिलाता पिलाता। इन सबके बावजूद भी वो तीनों थोड़ा उदास रहते थे। शायद उनको अपनी मां की याद आती थी। रोहन हर रोज बगीचे में उन बच्चों को घुमाने ले जाता और उनकी मां को ढूंढने की कोशिश करता। एक दिन उन बच्चों की मां दिखाई दी और अपने बच्चों को देखते ही वह उनके पास आके उन्हें प्यार करने लगी, वो बच्चे बहुत खुश हुए और रोहन को भी बहुत अच्छा लगा। रोहन ने सोचा कि इनको बगीचे में इनकी मां के साथ ही छोड़ देता हूं। वह उनको बगीचे में छोड़ के जाने लगा तो वो तीनों बच्चे उदास हो गए तो रोहन बोला, उदास न हो में रोज तुम लोगों से मिलने आऊंगा। फिर हर रोज रोहन उनसे मिलने आता और उनके लिए खाने की चीजें भी लाता। इस तरह से रोहन हमेशा के लिए उनका दोस्त बन गया।
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प्यारे पिल्ले
रुद्रांश पंचोली, 11 साल
छोटू को जानवरों से बहुत प्यार था, खासकर पिल्लों से। एक दिन जब वह अपने घर के पीछे खेल रहा था। तो उसे झाड़ियों के पास एक बड़ी-सी टोकरी दिखी जिसमें तीन छोटे, सफेद पिल्ले थे। खुशी से छोटू ने धीरे से एक पिल्ले को उठाया और बाकी पिल्ले अपनी छोटी-छोटी पूंछ हिलाते हुए उसे देखने लगे। उसने सबके साथ थोड़ा खेला और उन्हें प्यार किया, और फिर फैसला किया कि वह अपने माता-पिता से उन सभी पिल्लों को घर में रखने के लिए पूछेगा। उस दिन से छोटू और वे प्यारे पिल्ले सबसे अच्छे दोस्त बन गए, घंटों एक साथ खेलते और मस्ती करते थे, जिससे छोटू का जीवन खुशियों से भर गया। पिल्ले स्वस्थ हो गए।
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पिल्लों पर बहुत दया आई
कृषा तोलवानी, उम्र 10 साल
राघव बहुत प्यारा और दयालु बच्चा है l एक दिन वह सड़क के किनारे जा रहा था तो उसने छोटे-छोटे कुत्ते के पिल्लो को ठंड में अकड़ते देखा उसकी मां नहीं थी और वह भूख से तड़प रहे थे l दयालु राघव को पिल्लो पर बहुत दया आई वह उन्हें अपने घर ले आया और एक टब में बैठा कर उनके लिए कपड़े और खाने की व्यवस्था की। फिर दो दिनों में ही वे पिल्ले स्वस्थ हो गए।
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राजू की जानवरों के प्रति दयालुता
एंजिल जैन, उम्र -9 साल
राजू अपने घर जा रहा था तभी उसने सड़क किनारे एक टोकरी देखी उसमें दो पिल्ले थे। एक पिल्ला सड़क पर भाग रहा था तभी राजू ने भाग कर उस पिल्ले को उठाया और उसके साथ थोड़ी देर मस्ती की फिर उसने पिल्ले को टोकरी में रख दिया और काफी देर तक उस टोकरी की देखभाल करने लगा तभी उस टोकरी का मालिक आ गया। मालिक ने उसे धन्यवाद बोला और राजू फिर अपने घर चला गया।
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मेरे तीन नए प्यारे दोस्त
मीरा सैनिक, उम्र 11 साल
आज शाम मैं आंगन में बैठी थी। तभी टोकरी से हल्की‑सी कूं‑कूं की आवाज आई। मैंने झांककर देखा तो तीन छोटे‑छोटे सफेद पिल्ले दुबके हुए थे। उनका नाक गोल‑सा और कान मुलायम जैसे रूई के बने हों। मैं तो बस 'ओ माय गॉड, कितने क्यूट हैं' बोलकर ही रह गई। मम्मी हंसते हुए बोलीं, 'ये तेरे लिए सरप्राइज है।' मैं बारह साल की हूं पर उस पल, मैं खुद भी पिल्लों जैसी उछलने लगी। मैंने एक पिल्ले को गोद में उठाया। उसने मेरी उंगली हल्के से काटी, जैसे कह रहा हो, 'हाय, मैं तेरी फ्रेंड हूं।' उसके गले में छोटी‑सी नारंगी रिबन बंधी थी। इसलिए मैंने उसका नाम रख दिया 'गुड़िया', बाकी दो पिल्ले टोकरी में से सिर बाहर निकालकर हमें देख रहे थे। जैसे पूछ रहे हों, 'हमें भी प्यार मिलेगा ना?' मैंने उन्हें सहलाया, तो वे खुशी से पूंछ हिलाने लगे और मुझ पर चढ़ने की कोशिश करने लगे। मम्मी बोलीं, 'जिम्मेदारी भी लेनी पड़ेगी, सिर्फ खेलना नहीं।' मुझे उनकी बात समझ आई, पर दिल में तो बस यही था कि कल सुबह स्कूल से लौटकर इनसे खेलूंगी। मैंने तय किया कि हर दिन मैं ही इन्हें खाना दूंगी, नहलाऊंगी और टहलाने ले जाऊंगी। पापा बोले, 'देखते हैं, तू अपना प्रॉमिस कितना निभाती है।' मैंने मुस्कुराकर गुड़िया को ऊपर उठा लिया। वह मेरी तरफ देख कर हल्का‑सा भौंकी, जैसे मेरे वादे पर मुहर लगा रही हो। उस शाम मुझे लगा, जैसे मेरा छोटा‑सा परिवार अचानक तीन नए दोस्तों से भर गया हो।
Published on:
11 Dec 2025 01:40 pm
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