7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मद्रास उच्च न्यायालय ने एसआइटी से कहा पत्रकारों को परेशान नहीं करें

अन्ना विश्वविद्यालय में छात्रा के यौन उत्पीड़न की जांच कर रही महिला विशेष जांच दल (एसआइटी) को पत्रकारों से पूछताछ के बहाने उन्हें परेशान करने से रोकते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पत्रकारों से जांच में सहयोग करने को कहा है। जस्टिस जीके इलैंदेरियन ने यह आदेश तब पारित किया जब चार पत्रकारों […]

2 min read
Google source verification
Madras High Court Online Gaming

Madras High Court

अन्ना विश्वविद्यालय में छात्रा के यौन उत्पीड़न की जांच कर रही महिला विशेष जांच दल (एसआइटी) को पत्रकारों से पूछताछ के बहाने उन्हें परेशान करने से रोकते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पत्रकारों से जांच में सहयोग करने को कहा है।

जस्टिस जीके इलैंदेरियन ने यह आदेश तब पारित किया जब चार पत्रकारों ने एसआइटी के हाथों उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए अदालत का रुख किया। माना जा रहा है कि एसआइटी ने पत्रकार से कई हैरान करने वाले सवाल पूछे हैं और जानना चाहा है कि उन्हें मामले की एफआइआर कैसे मिली, जिसके लीक होने से पीड़िता की पहचान सार्वजनिक हो गई।

यह भी पढ़ें : सीएम ने विस को दिलाया विश्वास, आरोपी पर होगी निष्पक्ष कार्रवाई

पत्रकारों का तर्क

पत्रकारों के वकील ने दलील दी कि एसआइटी द्वारा पूछे गए सवाल मामले की जांच से संबंधित नहीं थे, साथ ही उन्होंने शिकायत की कि उनके फोन जब्त कर लिए गए थे। एसआइटी ने कुल मिलाकर कम से कम 12 पत्रकारों को अपने समक्ष पेश होने के लिए बुलाया था, साथ ही महिला आइपीएस अधिकारियों के सामने पेश होने वाले चार पत्रकारों के स्मार्टफोन जब्त कर लिए थे।

पुलिस द्वारा बुलाए गए सभी पत्रकार टेलीविजन चैनलों, समाचार पत्रों और साप्ताहिक पत्रिकाओं के लिए काम करते हैं। सूत्रों ने बताया कि कुल 14 लोगों ने एफआइआर देखी, जिनमें से करीब आठ पत्रकार हैं। उन्होंने कहा कि यह समन कानून के खिलाफ है, क्योंकि पत्रकारों ने अपने काम के तहत दस्तावेज डाउनलोड किए थे। कुछ पत्रकारों और समाचार संगठनों ने पीड़िता की पहचान छिपाए बिना सोशल मीडिया पर एफआईआर पोस्ट की, जिससे चौतरफा आलोचना हुई।

पुलिस का तर्क संदेह के चलते बुलाया
पुलिस ने कहा कि पत्रकारों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 179 और 94 के तहत इस संदेह पर बुलाया गया था कि उन्हें मामले की जानकारी हो सकती है। बता दें कि एफआइआर लीक होने के मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने बड़ा सख्त रुख अपनाया है। दोषी अधिकारी का शीघ्र पता लगाकर विभागीय कार्रवाई करने को कहा है। साथ ही पीडि़त को पच्चीस लाख रुपए के मुआवजे के आदेश भी दिए थे।