31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट: सेटेलाइट इमेज के आधार पर मुआवजा

373 भूस्वामियों को कलेक्टर गाइडलाइन से मिलेगा मुआवजा

2 min read
Google source verification

भोपाल. मेट्रो परियोजना प्रोजेक्ट में जिन 373 लोगों की जमीनें ली गई हैं, उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मुआवजा मिलेगा। 2020 तक की जमीन की फोटोग्राफी और सैटेलाइट इमेज के जरिए मुआवजा तय किया जा रहा है। शहर का यह पहला प्रोजेक्ट होगा, जिसमें प्रभावितों को नकद मुआवजा मिलेगा। इससे पहले बीआरटीएस, स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट जैसे प्रोजेक्ट के प्रभावितों को कोई मुआवजा नहीं मिला। गौरतलब है कि मेट्रो के लिए यूरोपीय निवेश बैंक से 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज लिया जा रहा है। ऐसे में मुआवजे के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों से ही काम करना होगा।
2018 में ली जमीन
2018 से मेट्रो विकास के पहले चरण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गयी थी। स्टड फार्म से एम्स भोपाल तक प्रायोरिटी कॉरिडोर के लिए जमीनें अधिग्रहीत की गईं। इसमें लगभग सभी भूमि सरकारी थी और मामूली अतिक्रमण थे। इसमें भारतीय रेलवे की भूमि भी शामिल थी, जिसकी कीमत लगभग 6 करोड़ रुपए तय की गयी। भोपाल मेट्रो के लिए भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास के लिए अनुमानित बजट 446 करोड़ रुपए तय किया है।
करोंद तक 100 बड़ी संपत्तियां
करोंद से भोपाल रेलवे स्टेशन और अन्य घनी आबादी वाले क्षेत्रों से गुजर रही मेट्रो लाइन में लगभग 100 को बड़ी संपत्तियां ली गयी हैं। इसके लिए जिला प्रशासन एडीएम की टीम बनाई है जो मेट्रो कारपोरेशन से सामंजस्य स्थापित कर मुआवजे वाली संपत्तियों की स्थितियां की पड़ताल कर रही है।
300 से ज्यादा निजी जगहों का अधिग्रहण
मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने भोपाल में प्रोजेक्ट के लिए करीब 300 से अधिक निजी भूखंडों की पहचान की है। जिन्हें परियोजना के लिए अधिग्रहीत करने की आवश्यकता होगी। मेट्रो के पहले चरण के लिए भूमि अधिग्रहण अपेक्षाकृत आसान था क्योंकि अधिकांश आवश्यक भूमि सरकारी स्वामित्व वाली थी या उस पर अतिक्रमण किया गया था। इस बार मेट्रो डिपो से करोंद तक 373 निजी संपत्तियों की पहचान की गयी है, जिसमें भोपाल रेलवे स्टेशन क्षेत्र भी शामिल है। इनमें से 100 संपत्तियां काफी बड़ी हैं। फूलबाग, ऐशबाग, गल्ला मंडी, भोपाल स्टेशन, नादिरा बस स्टैंड, सिंधी कॉलोनी, डीआईजी बंगला और कृषि मंडी जैसे क्षेत्रों में मामूली चुनौतियों की आशंका है।
मेट्रो रेल कारपोरेशन व हमारी टीम लगातार संपर्क में है और मेट्रों की बाधाओं को हटाने के साथ ही मुआवजे के मामलों को भी निपटाया जा रहा है।
कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर