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मोक्षदा एकादशी व्रत, इस दिन व्रत करने से मिलती है पितरों को मुक्ति, पढ़ें ये कथा

मोक्षदा एकादशी व्रत, जानें महत्व

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भोपाल

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Tanvi Sharma

Dec 04, 2019

मोक्षदा एकादशी व्रत, इस दिन व्रत करने से मिलती है पितरों को मुक्ति, पढ़ें ये कथा

एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। हर माह दो एकादशी व्रत पड़ते हैं। एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष में। मार्गशीर्ष मास मके शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। इस बार 8 दिसंबर 2019 को मोक्षदा एकादशी पड़ रही है। इस एकादशी को मोक्षदायिनी एकादशी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मोक्षदा एकादशी व्रत करने से जातक को पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है।

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मोक्षदा एकादशी 2019 शुभ मुहूर्त

एकादशी व्रत पारण का समय- 9 दिसंबर 2019 सुबह 7 बजकर 6 मिनट से 9 बजकर 9 मिनट तक रहेगा।

मोक्षदा एकादशी का महत्व

मोक्षदा एकादशी का संबंध महाभारत से जुड़ा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। महाभारत युद्ध के दौरान जब अर्जुन अपने सगे संबंधियों पर बाण चलाने से झिझक रहे थे तब द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का सार समझाया था। इसलिए आज के दिन गीता जयंती का पर्व भी मनाया जाता है।

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा

एक बार चंपा नामक एक नगरी में चारों वेदों के ज्ञाता राजा वैखानस राज करते थे। इस नगरी की प्रजा बहुत खुशहाल रहती थी। रजा वैखानस बहुत ही धार्मिक थे। एक बार राजा ने सपना देखा कि उनके पिता नरक की आग में जल रहे हैं। राजा ने सपने के बारे में अपनी पत्नी को बताया। पत्नी ने राजा को गुरुओं से सलाह लेने की बात की, इसके बाद राजा आश्रम गये और वहां गुरुओं के पास जाकर बहुत ही दुखी मन से अपने सपने के बारे में उन्हें बताया।

इस पर पर्वत मुनि ने राजा से कहा- 'तुम्हारे पिता को उनके कर्मों का फल मिल रहा है. उन्होंने तुम्हारी माता को यातनाएं दी थीं। इसी कारण वे पाप के भागी बने और अब नरक भोग रहे हैं.' इस पर मुनि ने उन्हें मोक्षदा एकादशी व्रत करने की सलाह दी। राजा ने पूर्वक व्रत किया और व्रत का पुण्य अपने पिता को अर्पण कर दिया। व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को नरक से मुक्ति मिल गई. तभी से मोक्षदा एकादशी पर व्रत रखने का प्रावधान है।