नागौर. नगरीय निकाय क्षेत्र में नक्शा के प्रतिकूल निर्माणों की संख्या तेजी से बढ़े हैं। विशेषकर मुख्य मार्गों के किनारे होने वाले व्यवसायिक भवनों के निर्माण में न तो सेटबैक छोड़े गए हैं, और न ही आंतरिक निर्माण नक्शा के खिलाफ किया गया है। प्रावधानों के खिलाफ हुए निर्माण शहर के ज्यादातर क्षेत्रों में कहीं भी देखे जा सकते हैं। विशेषकर बाजारों एवं मुख्य मार्गों के किनारों पर इस तरह के निर्माण खूब किए गए हैं। विशेष बात यह रही कि भवन निर्माण के पश्चात एनओसी देने वाले जिम्मेदारों ने मौके पर जाकर कभी भी जांच करने की जहमत नहीं उठाई। ऐसे में निर्माण करने वालों एवं जिम्मेदारों की मिलीभगत के खेल में शहरी ढांचा अव्यवस्थित होने लगा है।
शहरी एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में गत पांच सालों में निर्माणों की संख्या तेजी से बढ़ी है। विशेषकर व्यवसायिक निर्माण के दौरान नक्शा तो प्रावधानों के अनुसार दर्शाया जाता है, लेकिन निर्माण पूरा होने के बाद भवन का ढांचा ही बदल जाता है। इस संबंध में हुई पड़ताल में सामने आया कि शहर के कालेज रोड, डेह रोड, बीकानेर रोड, नया दरवाजा बाहर, दिल्ली दरवाजा, अजमेरी गेट, कुम्हारी दरवाजा आदि बाहर के क्षेत्रों के साथ ही विजयबल्लभ चौराहा एवं मानासर चौराहा से मूण्डवा चौराहा की ओर के क्षेत्रों में ऐसे व्यवसायिक निर्माण तो खूब हुए हैं, लेकिन नक्शानुसार पार्किंग, सेटबैक, ग्रीनरी आदि कहीं नहीं मिली।
टीम तो है, लेकिन कागजों पर ही जांच
नक्शानुसार निर्माण हुआ है कि नहीं की जांच या निगरानी के लिए परिषद की ओर से पूर्व में बाकायदा टीम का गठन किया गया था। इसके बाद भी टीम की ओर से यदि गत छह माह में में हुई कार्रवाइयों की स्थिति के आंकड़े तो देखें परिणाम शून्य ही रहा। विभागीय जानकारों की माने तो जांच करने के लिए टीम जाती जरूर है, लेकिन केवल भवन मालिक से बातचीत कर खानापूर्ति कर लौट जाती है। स्थिति यह हो गई है कि कागजों में तो यानि की नक्शे में स्वीकृति भवन विनिमय 2020 के अनुसार सेटबैक, पार्किंग आदि मिलती है, लेकिन मौके पर वास्तविक स्थिति ही कुछ और होती है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
नगरपरिषद के पूर्व सहायक नगर नियोजक मामराज से बातचीत हुई तो बताया कि 500 वर्गमीटर से 2500 वर्गमीटर तक के भूखंड पर नक्शा अनुमोदित कराना होता है। इसमें विशेषकर व्यवसायिक भवन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर, अग्नि शमन, भूकंप रोधी प्रावधान, ग्रीनरी और प्लांटेशन के नियमों की पालना करनी होती है। इसके अलावा व्यवसायिक भूखण्डों में प्रमाणित पार्किंग प्लान दर्शाने के साथ ही भवन विनियमों के प्रावधानों की पालना किए जाने का घोषणा पत्र और आवेदक का शपथ पत्र भी साथ ही लगाया जाता है। इन प्रावधानों की पालना पर ही निर्माण की स्वीकृति दी जा सकती है।
इनका कहना है…
भवन निर्माण की अनुमति बाकायदा जांच के बाद दी जाती है। निर्माण के बाद भी मौके की वस्तुस्थिति देखने के लिए टीम जाती है। इसके बाद भी यदि प्रावधानों की पालना नहीं की गई है तो इसकी जांच कर ली जाएगी।
रामरतन चौधरी, आयुक्त, नगरपरिषद नागौर