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Nobel Prize Literature 2025: हंगरी के क्रास्ज़नाहोरकाई को मिला साहित्य का नोबेल पुरस्कार, इस उपन्यास की ये खासियत बनी आधार

Nobel Prize Literature 2025: हंगरी के लेखक लास्ज़लो क्रास्ज़नाहोरकाई को 'हर्श्ट 07769' के लिए 2025 का साहित्य नोबेल मिला। उनकी रचना हिंसा और कला के मिश्रण से सामाजिक अशांति दर्शाती है।

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भारत

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MI Zahir

Oct 09, 2025

Nobel Prize Literature 2025

हंगरी के मशहूर लेखक लास्ज़लो क्रास्ज़नाहोरकाई। (फोटो:एएनआई)

Nobel Prize Literature 2025: हंगरी के मशहूर लेखक(Hungarian Literature) लास्ज़लो क्रास्ज़नाहोरकाई (László Krasznahorkai)को 2025 का साहित्य नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize Literature 2025) मिला है। स्वीडिश अकादमी ने उनकी कृति 'हर्श्ट 07769' (Herszt 07769) की तारीफ करते हुए कहा कि यह उपन्यास हिंसा और सुंदरता का अनोखा मिश्रण है। इस किताब में जर्मनी के थुरिंजन शहर की सामाजिक अशांति को बाख की संगीतमय विरासत के साथ बेहतरीन ढंग से दर्शाया गया है। यह उपन्यास एक ऐसी दुनिया दिखाता है, जो अराजकता से भरी है, लेकिन कला की ताकत को भी रेखांकित करता है।

काफ्का और थॉमस बर्नहार्ड जैसे लेखकों का प्रभाव दिखता

क्रास्ज़नाहोरकाई का जन्म 1954 में हंगरी के ग्युला शहर में हुआ था। यह छोटा सा शहर रोमानिया की सीमा के पास है। उनकी पहली किताब 'सतन्तांगो' (1985) ने हंगरी में खूब वाहवाही बटोरी। इस उपन्यास में एक ग्रामीण क्षेत्र की कहानी थी, जो उनकी लेखन शैली का पहला नमूना थी। उनकी रचनाएँ मध्य यूरोपीय साहित्य की परंपरा आगे बढ़ाती हैं, जिसमें फ्रांज़ काफ्का और थॉमस बर्नहार्ड जैसे लेखकों का प्रभाव दिखता है। उनकी किताबें अक्सर बेतुकेपन और अतिशयोक्ति से भरी होती हैं, जो पाठकों को सोचने पर मजबूर करती हैं।

सुज़ैन सोनटैग ने उन्हें "सर्वनाश का मास्टर" कहा था

क्रास्ज़नाहोरकाई ने एशिया, खासकर मंगोलिया और चीन, से भी प्रेरणा ली है। उनकी किताबें जैसे 'द प्रिजनर ऑफ उर्गा' और 'डिस्ट्रक्शन' इस प्रभाव को दर्शाती हैं। उनकी रचनाएँ शहरों और गांवों में बिखरे लोगों की कहानियाँ बताती हैं, जो एक ऐसी दुनिया में अर्थ की तलाश करते हैं, जहाँ कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिलता। मशहूर अमेरिकी लेखिका सुज़ैन सोनटैग ने उन्हें "सर्वनाश का मास्टर" कहा था, जो उनकी लेखन शैली की गहराई दर्शाता है।

टैगोर को कविताओं के लिए 1913 में मिला था यह पुरस्कार

गौतलब है कि साहित्य का नोबेल पुरस्कार विश्व में साहित्य का सबसे बड़ा सम्मान माना जाता है। यह उन लेखकों को दिया जाता है, जो अपनी रचनाओं से दुनिया को नई दृष्टि देते हैं। सन 1901 से 2024 तक 121 लेखकों को यह पुरस्कार मिल चुका है। इनमें रवींद्रनाथ टैगोर (1913) और टोनी मॉरिसन (1993) जैसे लेखक शामिल हैं। टैगोर को उनकी संवेदनशील कविताओं के लिए और मॉरिसन को उनके गहरे सामाजिक उपन्यासों के लिए सम्मानित किया गया था। अल्बर्ट कामू (1957) ने भी इस पुरस्कार को जीता, जिन्होंने मानवीय नैतिकता और अस्तित्ववाद पर लिखा।

पुरस्कार साहित्य की ताकत उजागर करने के बराबर

बहरहाल क्रास्ज़नाहोरकाई को यह पुरस्कार मिलना साहित्य की ताकत उजागर करने के बराबर है। उनकी किताब 'हर्श्ट 07769' न केवल एक कहानी है, बल्कि यह समाज, कला और मानवता के बीच जटिल रिश्ते भी दर्शाती है। यह पुरस्कार साहित्य प्रेमियों के लिए एक नई प्रेरणा है और वैश्विक मंच पर हंगरी के साहित्य को और ऊँचा उठाता है।(एएनआई)