भीलवाड़ा। नगर विकास न्यास की प्रत्येक आवासीय व व्यवसायिक क्षेेत्र के भूखंड व आवास का पूरा चिट्ठा कम्प्यूटर में फीड किया जा रहा है। इसमें प्रत्येक योजना क्षेत्र की फाइलों के साथ ही उसके प्रत्येक दस्तावेज व विभागीय कार्रवाई का पूरा हिसाब-किताब होगा। ऐसे में अब न्यास में फाइलों को गायब करने, कांटछांट या फिर दस्तावेज हटाने की कोशिश भी हुई तो कम्प्यूटर हकीकत बयां कर देगा।
नगर विकास न्यास ने डिजिटलीकरण की तरफ बड़ा कदम उठाया है। न्यास की आवास, नियमन, तकनीकी, विधि, लेखा, राजस्व, स्थापना, भूमि अवाप्ति, उद्यान, मानचित्र, भूखंड, आवक-जावक समेत 17 विभिन्न शाखाओं में सभी प्रकार की फाइलों के साथ उसमें मौजूद दस्तावजों व विभागीय टिप्पणी का रेकाॅर्ड कम्प्यूटर में दर्ज किया जा रहा है।
पौने दो लाख फाइल
न्यास के अधीक्षण अभियंता राजू बडारिया ने बताया कि न्यास की विभिन्न शाखाओं में एक लाख 75 हजार से अधिक विभागीय फाइलें हैं। न्यास प्रशासक जसमीत सिंह संधू व सचिव ललित गोयल के मार्ग निर्देशन में सभी फाइलों का डिजिटलीकरण किया जा रहा है। नई दिल्ली की अनुबंधित एजेंसी समूचे कार्य को पूरा करने में लगी हुई है। न्यास की 13 हजार 725 फाइलों का तमाम डाटा कम्प्यूटर में फीड हो चुका है। इनके करीब 11 लाख लाख 51 हजार पेजों का स्कैन हो गया है। प्रत्येक डाटा कम्प्यूटर में लॉक रहेगा।
फाइलें न्यास में सुरक्षित रह सकेंगी
न्यास के रिटायर्ड अधिकारियों का मानना है कि न्यास की यह व्यवस्था कारगर साबित होगी। इससे भू माफियों व दलालों के फाइलों को गायब करने, फाइलों से दस्तावेज हटाने, विभागीय कार्रवाई में कांट छांट करने की प्रवृति पर अंकुश लगेगा। फाइलें भी न्यास में सुरक्षित रह सकेगी।
दिल्ली की टीम कर रही डिजिटलीकरण
न्यास की डिजिटलीकरण प्रक्रिया पर जानकारों ने चिंता भी जताई है। उनका मानना है कि अनुबंधित टीम के 11 सदस्यों में से कई स्थानीय है। ऐसे में महत्तवपूर्ण व विवादित फाइलों का डाटा लीक होने की संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता है। न्यास के अधिकारियों को डिजिटलीकरण की प्रक्रिया को गोपनीय बनाए रखने के साथ काम में पारदर्शिता बनाए रखने के प्रयास करने चाहिए।