
इमरजेंसी पर संसद में विपक्ष बंटा दिखाई दिया। इमरजेंसी को लेकर स्पीकर के प्रस्ताव का विरोध सिर्फ कांग्रेस सांसदों ने किया। सूत्रों के मुताबिक, इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल समाजवादी पार्टी और टीएमसी ने कांग्रेस का इस मुद्दे पर साथ नहीं दिया। सपा और तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा में आपातकाल के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन किया।
स्पीकर के प्रस्ताव के बाद सदन में हंगामा
दरअसल, लोकसभा सत्र के तीसरे दिन स्पीकर बनने के बाद ओम बिरला ने अपनी पहली स्पीच में 1975 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाई गई इमरजेंसी को लेकर विपक्ष पर जमकर हमला बोला। इस दौरान सदन में इमरजेंसी में मारे गए लोगों की याद में दो मिनट का मौन भी रखा गया। स्पीकर के प्रस्ताव के बाद विपक्ष ने सदन में काफी देर तक हंगामा और नारेबाजी की।
लेकिन, इस मुद्दे पर विपक्ष की एकजुटता नहीं दिखाई दी। सूत्रों के मुताबिक, सिर्फ कांग्रेस पार्टी ने स्पीकर के प्रस्ताव का विरोध किया। जबकि, टीएमसी और सपा सांसदों ने इस पर कांग्रेस का साथ नहीं दिया। इतना ही नहीं इमरजेंसी के दौरान मारे गए लोगों को समाजवादी पार्टी और टीएमसी के सांसदों ने श्रद्धांजलि भी दी।
PM मोदी ने स्पीकर का किया समर्थन
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के इमरजेंसी पर दिए बयान कहा, ''मुझे खुशी है कि माननीय अध्यक्ष ने आपातकाल की कड़ी निंदा की, उस दौरान की गई ज्यादतियों को उजागर किया और यह भी बताया कि किस तरह से लोकतंत्र का गला घोंटा गया। आपातकाल के समय पीड़ित सभी लोगों के सम्मान में मौन रहना भी एक अद्भुत भाव था।
आपातकाल 50 साल पहले लगाया गया था। लेकिन, आज के युवाओं के लिए इसके बारे में जानना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इस बात का एक उपयुक्त उदाहरण है कि जब संविधान को रौंदा जाता है, जनमत को दबाया जाता है और संस्थाओं को नष्ट किया जाता है तो क्या होता है। आपातकाल के दौरान की घटनाओं ने एक तानाशाही का उदाहरण दिया।"
आपातकाल का कड़े शब्दों में निंदा करता हूं-बिरला
वहीं, आपातकाल की 50वीं बरसी पर विपक्षी दलों के हंगामे के बीच लोकसभा स्पीकर ने सदन में निंदा प्रस्ताव पारित किया। ओम बिरला ने सदन में आपातकाल लगाए जाने के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि ये सदन 1975 में देश में आपातकाल लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसके साथ ही हम, उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं, जिन्होंने इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया। भारत के इतिहास में 25 जून 1975 के उस दिन को हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई और बाबा साहब आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान पर प्रचंड प्रहार किया था।
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Published on:
26 Jun 2024 05:51 pm
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