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पैरोल पर छूटे बंदी सलाखों में नहीं लौटे, 50 से ज्यादा फरार

सेंट्रल जेल से पैरोल पर बाहर निकले बंदियों के वापस जेल न लौटने का चलन लगातार बढ़ रहा है। इस वर्ष करीब 700 बंदियों को पैरोल दी, जिनमें से 20 ने लौटने...

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ग्वालियर . सेंट्रल जेल से पैरोल पर बाहर निकले बंदियों के वापस जेल न लौटने का चलन लगातार बढ़ रहा है। इस वर्ष करीब 700 बंदियों को पैरोल दी, जिनमें से 20 ने लौटने से बचते रहे, सात अब तक फरार हैं। पिछले वर्ष तो 50 से अधिक गंभीर अपराधों के बंदी पैरोल जंप कर गायब हो चुके हैं, जिससे जेल प्रशासन की ङ्क्षचता बढ़ गई है।
जेल अधिकारियों का कहना है कि कोरोना काल में पैरोल की छूट का दुरुपयोग सबसे ज्यादा देखने को मिला। उस समय संक्रमण के खतरे को देखते हुए बड़ी संख्या में बंदियों को पैरोल दी गई। कई बंदी एक बार सलाखों से बाहर निकले तो वापस लौटने में आनाकानी करने लगे।

सेंट्रल जेल में पैरोल जंप का सिलसिला जारी

ग्वालियर सेंट्रल जेल से पैरोल पर निकले बंदियों में इस साल सात बंदी अब तक लापता हैं। 20 से ज्यादा बंदियों ने पैरोल जंप करने की कोशिश की लेकिन जेल और पुलिस की समय रहते कार्रवाई से वे पकड़े गए। फरार बंदियों के परिवारों और जमानतदारों पर सख्ती बढ़ाई गई है, लेकिन कई मामलों में परिवार को भी पता नहीं कि बंदी कहाँ चले गए।

लौटने की तारीख पर कड़ी नजर

सजा काट रहा बंदी गुडडू उर्फ देवेंद्र यादव, निवासी खुडमास (मुरैना), हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। वह 28 फरवरी को पैरोल पर गया और 14 मार्च को वापस लौटना था, लेकिन पैरोल जंप कर फरार हो गया। गुडडू और उसके जमानतदारों पर एफआईआर दर्ज कर पुलिस खोज में जुटी है। जेल अधिकारियों के अनुसार ऐसे कई मामले हाल में सामने आए हैं।

क्या कहता है नियम

दो साल से अधिक जेल में बंद अंडरट्रायल और सजायाफ्ता दोनों बंदियों को पैरोल का अधिकार है।
बंदी साल में तीन बार, यानी हर चार माह में एक बार, अधिकतम 15 दिन की पैरोल ले सकते हैं।
इसमें 14 दिन की पैरोल अवधि और एक दिन आने-जाने का समय शामिल रहता है। पैरोल बंदी के आचरण और व्यवहार के आधार पर दी जाती है।

क्यों बढ़ रहा है पैरोल जंप का चलन

जेल मुख्यालय ने कुछ समय पूर्व पैरोल पर सख्ती बढ़ाई थी। बंदियों को लगा कि भविष्य में पैरोल मिलना मुश्किल हो जाएगा, इसलिए कई बंदियों ने बाहर निकलने के बाद वापस लौटने से ही इनकार कर दिया। कुछ बंदी प्रशासन की सख्ती से पकड़ में आ गए, जबकि कई चुपचाप गायब हो गए।

फरार बंदियों की सूची (चुङ्क्षनदा मामले)

  • गुडडू उर्फ देवेंद्र यादव, खुडमास, मुरैना - हत्या, आजीवन कारावास
  • राकेश उर्फ छोटू उर्फ लालू, उन्नाव (उ.प्र.) - दो हत्याएं, 27 फरवरी से फरार
  • लवकुश गुर्जर, गुढ़ागुढ़ी का नाका, कंपू - हत्या, 27 जुलाई से लापता
  • देवेंद्र सोलंकी, सेरेहरा, आगरा - हत्या, 18 अक्टूबर से गायब
  • धारा ङ्क्षसह जाटव, मनियर, शिवपुरी - बलात्कार, 18 अक्टूबर से फरार
  • सत्यवीर जाटव, जौरा, मुरैना - हत्या, 10 सितंबर से गायब
  • रामलखन राठौर, टेंटरा, मुरैना - हत्या, 22 नवंबर से लापता

जेल की टीम बनेगी

पैरोल पर जेल से निकले कई बंदी फरार हैं। इस हरकत में बंदियों को भविष्य में पैरोल और सजा माफी नहीं मिलती है। पैरोल जंप पर कसावट के लिए उनके जमानतदारों पर भी कानूनी कार्रवाई की जा रही है। अब इन बंदियों की तलाश के लिए जेल कर्मियों की टीम बनाई जा रही है। यह टीम पुलिस के साथ मिलकर पैरोल से फरार बंदियों की तलाश करेगी।
विदित सिरवैया जेल अधीक्षक ग्वालियर