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परेशानी: अस्पताल में तीन महीने से नहीं स्नैक बाइंट के इंजेक्शन, मरीजों की बढ़ रही परेशानी

-एक दिन में ५ लोग हुए सर्पदंश के शिकार, बारिश थमने के बाद भी सामने आ रहे सर्पदंश के मामले

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दमोह

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Aakash Tiwari

Oct 08, 2024


-एक दिन में ५ लोग हुए सर्पदंश के शिकार, बारिश थमने के बाद भी सामने आ रहे सर्पदंश के मामले
दमोह. जिला अस्पताल में इन दिनों स्नैक बाइट के पीडि़तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। रविवार को अलग-अलग थाना क्षेत्रों से स्नैक बाइट के पांच घायल इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हुए हैं। खासबात यह है कि बीते तीन महीने से जिला अस्पताल में स्नैक बाइट के इंजेक्शन नहीं हैं। ऐसे में मरीजों की जान सांसत में फंसी हुई है। प्रबंधन को यहां-वहां से इंजेक्शन की व्यवस्था करनी पड़ रही है।
अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार प्रबंधन ने शासन से स्नैक बाइट के इंजेक्शन की डिमांड तीन महीने पहले भेजी थी। पर अभी तक इंजेक्शन नहीं मिल पाए हैं।
हालही में बारिश थम गई है। लेकिन नदी, तालाब व जंगल किनारे बसे मोहल्लों में सांप के काटने का खतरा अधिक भी भी बना हुआ है। सर्प दंश के केस अभी भी आ रहे हैं। सरकारी अस्पताल में एंटी स्नैक बाइट वेनम उपलब्ध नहीं है। यदि वर्तमान में सर्पदंश का मरीज आ जाए तो उसको रैफर करने के अलावा अस्पताल प्रबंधन के पास कोई चारा नहीं है।
-हर साल ६० से अधिक लोगों की हो रही मौत
सरकारी आंकड़ों की मानें तो हर साल सांप काटने से जिले में लगभग 60 लोगों की मौत हो जाती है। इसके बाद भी सरकारी अस्पतालों में सांप काटने पर बचाव को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। जानकारी करने पर सामने आया कि पिछले तीन महीने से इंजेक्शन नहीं है। कर्मचारियों ने बताया कि सांप के काटने के मरीज आने पर उनसे बाहर से इंजेक्शन मंगवाया जा रहा है। जबकि सरकारी अस्पतालों में यह इंजेक्शन निस:शुल्क लगाया जाता है।
-ग्रामीण अस्पतालों में गिनती के इंजेक्शन
वहीं दूसरी ओर जिला अस्पताल और प्रमुख सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को छोड़कर बाकी ग्रामीण क्षेत्र में संचालित होने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्रों में इंजेक्शन का अभाव है। इसके चलते ग्रामीण क्षेत्र में होने वाली सर्पदंश की घटनाओं में यदि मरीजों को अस्पताल ले जाते हैं तो वहां सांप काटने का इंजेक्शन नहीं मिलता। ऐसे में मरीजों को जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। ऐसे में लोगों को भटकना पड़ता है। इसके कारण भी कई लोग अपने आसपास के बैगा-गुनिया के चक्कर में पड़ जाते हैं।

वर्शन
१००० इंजेक्शन आज ही अस्पताल को मिले हैं। तीन महीने से कमी थी। कटनी, जबलपुर व सीएमएचओ स्तर से उधार मांगे जा रहे थे। औसतन २० इंजेक्शन प्रतिदिन की खपत है।

डॉ. विक्रम सिंह, पीआरओ जिला अस्पताल