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परेशानी: जगह नहीं है, कहां बनाए जाएंगे तीन सौ बिस्तर के लिए वार्ड

-एनएमसी की गाइड लाइन के अनुसार मेडिकल कॉलेज की अस्थाई मान्यता के लिए जरूरी है जिला अस्पताल का ६०० बिस्तरीय होना -कलेक्टर ने सीएमएचओ को दिए निर्देश, प्लानिंग पर चल रहा काम।

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दमोह

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Aakash Tiwari

Dec 18, 2024


दमोह. बरपटी में बनाए जा रहे मेडिकल कॉलेज की मान्यता को लेकर अब एक नया पेंच फंसता दिख रहा है। असल में एनएमसी ने मेडिकल कॉलेज को अस्थाई मान्यता के लिए जिला अस्पताल का ६०० बिस्तरीय होना जरूरी बताया है। जबकि अस्पताल में अभी ३०० बिस्तर स्वीकृत हैं। इतने ही बिस्तर के वार्ड अलग से बनाए जाना है। परेशानी की बात यह है कि जिला अस्पताल में इनती बड़ी संख्या में वार्ड बनाने के लिए जगह नहीं है।
बता दें कि हालही में कलेक्टर ने सीएमएचओ को एनएमसी की गाइड लाइन के संबंध में जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि अस्पताल के बाजू में खाली पड़ी वन विभाग की जगह पर भी यह अतिरिक्त ३०० बेड बना सकते हैं। इसकी मंजूरी दिला दी जाएगी। लेकिन प्रबंधन का मानना है कि एक परिसर में यदि यह बेड बढ़ाए जाते हैं तो मरीजों व चिकित्सकों को परेशानी नहीं होगी। बरहाल अस्पताल में जगह चिंहित की जा रही है और जगह चिंहित होने पर डिजाइन बनाए जाने का काम भी शुरू हो जाएगा।
-पुरानी बिल्डिंग तोडऩे की योजना पर चल रहा मंथन
सिविल सर्जन कार्यालय और जहां पर ओपीडी लग रही है। वह पुरानी बिल्डिंग हैं। इन दोनों जगहों को डिस्मेंटल करने की तैयारी भी चल रही है। सीएस कार्यालय वाली लाइन को तोड़कर नए सिरे से ५ मंजिला बिल्डिंग बनाने पर विचार चल रहा है। बताया जाता है कि ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग बनाई जाएगी। पीछे वाली एमसीएच बिल्डिंग की ऊंचाई के हिसाब से यहां पर ३०० बेड का अस्पताल बनाया जाएगा। वहीं, जहां पर ओपीडी संचालित हो रही है। वहां नीचे कैज्युअल्टी, पर्ची कांउटर, दवा वितरण केंद्र बनाए जा सकते हैं। ऊपर हॉल और सीएस रूम बनाया जा सकता है।
-डॉक्टर्स व स्टाफ भी मिलेंगे, मरीजों को नहीं होगी परेशानी
अमूमन देखा गया है कि इंफ्रास्ट्रक्चर तो आसानी से बनाया जाता है, लेकिन शासन स्तर से मैनपावर नहीं दिया जाता। अस्पताल में बनाए गए क्रिटिकल केयर यूनिट की बात करें तो बिल्डिंग बनकर तैयार हो चुकी है, लेकिन स्टाफ की मंजूरी अभी तक नहीं मिली है। हालांकि इस मामले में डॉक्टर्स, नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ निश्चित रूप से मिलने की बात कही जा रही है।

अभी यहां पर है यह चुनौती
-अस्पताल में पार्किंग की बड़ी समस्या।
-गर्मियों में पानी की रहती है किल्लत।
-एम्बुलेंस भी मुख्य द्वार पर जाम में फंसती हैं।

वर्शन
कलेक्टर ने तीन सौ बिस्तर अलग से बनाने के संबंध में निर्देश दिए हैं। जगह चिंहित की जा रही है। पुरानी बिल्डिंग को डिस्मेंटल करके उसकी जगह पर निर्माण कार्य कराया जा सकता है। डिजाइन तैयार कराई जा रही है।

डॉ. मुकेश जैन, सीएमएचओ