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आदेश की पालना करने पर दंड, अवहेलना पर पुरस्कार

पदोन्नत व्याख्याताओं में से कार्यग्रहण नहीं करने वालों को फोरगो का मौका, आदेश की पालना करने वालों को नहीं मौका, यथास्थान ज्वॉइन तथा नॉट ज्वॉइन को फोरगो अवसर में एकरूपता नहीं, शिक्षक संगठनों में विरोध

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Opportunity to forego those promoted lecturers who do not join the job

Opportunity to forego those promoted lecturers who do not join the job

हनुमानगढ़. पदोन्नत व्याख्याताओं के कार्यभार ग्रहण के मामले में फोरगो अवसर में एकरूपता नहीं होने से यथास्थान ज्वॉइन करने वालों में निराशा है। एक तरह से स्थिति यह हो गई है कि आदेश की पालना करने वालों को तो सजा मिल रही है और अवहेलना करने वालों को फोरगो का इनाम दिया जा रहा है। सभी पदोन्नत व्याख्याताओं को फोरगो का अवसर नहीं मिलने से यह हालात बने हैं।
जानकारी के अनुसार डीपीसी वर्ष 2021-22 व 2022-23 में चयनित व्याख्याताओं के लिए 17 दिसम्बर 2024 को आदेश जारी कर उन्हें अपने वर्तमान पद को अस्थाई रूप से यथा आवश्यकतानुसार क्रमोन्नत मानते हुए कार्यग्रहण का प्रावधान तय किया गया। इसके लिए अंतिम तिथि 23 दिसम्बर 2024 निर्धारित की गई थी। पदोन्नति पर यथास्थान कार्यग्रहण अनिवार्य किया गया अन्यथा स्वत: पदोन्नति परित्याग मानने का प्रावधान रखा गया था। मगर अंतिम तिथि से पहले ही 19 दिसम्बर को यथास्थान कार्यग्रहण के आदेश को आगामी आदेश तक स्थगित कर दिया गया। इसके बाद कोई नया आदेश भी जारी नहीं किया गया। इसलिए अनेक पदोन्नत व्याख्याता यथास्थान कार्यग्रहण नहीं कर सके। इससे पदोन्नत व्याख्याताओं के दो वर्ग बन गए। पहला जो यथा स्थान कार्यग्रहण कर चुके तथा दूसरा वो जिन्होंने यथा स्थान कार्यग्रहण नहीं किया।

अब किया जा रहा भेदभाव

शिक्षक नेताओं के अनुसार ऑनलाइन काउंसलिंग में यथास्थान कार्यग्रहण करने और नहीं करने वाले दोनों को प्रमोशन का पात्र मानकर स्कूल चयन करने का अवसर दिया गया। काउंसलिंग के बाद पोस्टिंग आदेश से यथास्थान कार्यग्रहण नहीं कर पाने और काउंसलिंग में भाग लेने वालों को अब फोरगो करने का अवसर दिया जा रहा है। काउंसलिंग में भाग ले चुके सभी व्याख्याता में से यथा स्थान कार्यग्रहण करने वालों को फोरगो का अवसर नहीं मिलना समीचीन नहीं है।

मूल सिद्धांत का उल्लंघन

शिक्षकों की माने तो अनेक यथा स्थान कार्यग्रहण करने वाले जूनियर तथा यथा स्थान कार्यग्रहण नहीं करने वाले सीनियर हैं। ऐसे सीनियर को नियमानुसार काउंसलिंग की प्राथमिकता से स्कूल चयन का पहले अवसर मिला है। केवल यथास्थान कार्यग्रहण नहीं करने वालों को ही फोरगो का अवसर देना काउंसलिंग के मूल सिद्धांत का उल्लंघन है। यथास्थान कार्यग्रहण नहीं कर पाने और काउंसलिंग से अपनी चयनित स्कूल में अब कार्यग्रहण नहीं करने पर वह स्कूल रिक्त रहेगा और यथास्थान कार्यग्रहण करने वाले को भी वह स्कूल नहीं मिला है।

समान रूप से मिले फोरगो का अवसर

व्याख्याता पदों पर यथा स्थान कार्यग्रहण नहीं करने वाले तथा यथास्थान कार्यग्रहण करने वालों में भेद नहीं कर जिन्हें काउंसलिंग में भाग लेने का अवसर दिया गया है, उन सभी को अब फोरगो करने का एक समान अवसर दिया जाना चाहिए। - बसन्त कुमार ज्याणी, प्रदेश प्रवक्ता, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ रेस्टा।


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