7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राधारानी का है आठ सखियों संग मंदिर, रात ढ़ाई बजे होती है आरती, इनकी भक्ति से मिलते हैं कृष्ण

लाडली राधाजी का आठ सखियों के संग २२५ साल पुराना लाडलीजी का मंदिर जयपुर के परकोटे के रामगंज बाजार में है

2 min read
Google source verification

image

Sunil Sharma

Aug 29, 2017

Radha Rani Ladliji Temple Jaipur

ladliji temple jaipur

- जितेन्द्र सिंह शेखावत

लाडली राधाजी का आठ सखियों के संग २२५ साल पुराना लाडलीजी का मंदिर जयपुर के परकोटे के रामगंज बाजार में है। ललित सम्प्रदाय के मुताबिक देश में राधा का ऐसा अद्भुत पहला मंदिर जयपुर में ही है। सन् १७६५ में वृंदावन के ललित कुंज स्थित ललित सम्प्रदाय के महात्मा बंशी अलिजी राधाजी को आठ सखियों के साथ जयपुर लाए। बंशी अलि ने राधाजी को कृष्ण की बंशी का अवतार मान बरसों तक कठोर तपस्या की।

सवाई जयसिंह के दूसरे पुत्र माधोसिंह प्रथम के समय वे राधाजी को उनकी सखियों में विशाखा, चम्पकलता, रंगदेवी, चित्रलेखा, इंदुलेखा, सुदेवी व तुंग विद्या को भी साथ लाए। इन सखियों ने राधाजी को अपना पति मान खुद को सौभाग्यवती माना है। बंशी अलि ने राधा को जड़ चेतन की पराशक्ति के रूप में ब्रह्म मान सेवा की और कृष्ण को राधा का भक्त माना।

जयसिंह द्वितीय ने गोविंददेव मंदिर बनाया तब बंशी अलि पिता प्रद्युम्न के साथ गोविंददेवजी की श्रीमद् भागवत कथा में आए थे। वे राधा रानी के विग्रह को लाए तब नीलगरों का नला निवासी गोविंदराम बहुरा ने जीवराज सिंघी से भूमि खरीद लाडलीजी का मंदिर बनवाया। बंशी अलि के शिष्य जगन्नाथ भट्ट उर्फ किशोरी अलि सवाई प्रताप सिंह के गुरु थे।

मंदिर की खातिर रियासत ने सात गांवों की जागीर भी दी। लाडली की भक्त रही माधोसिंह द्वितीय (१८८८-१९२२) की महारानी जादूनजी ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवा रामगंज बाजार में मुख्य द्वार बनवाया। राधाष्टमी पर सुबह से शाम तक शहनाई वादन के साथ बधाइयां व वात्सल्य, चाव के पदों की रचनाएं सुनाई जाती हैं।

पंचामृत, सहस्त्रधारा से स्नान व छायादान के बाद लाडलीजी को हल्का गरम दूध, मक्खन, मलाई मिश्री का भोग लगाया जाता है। धूप आरती में राधा के चरणों के दर्शन कराते हैं। महंत राम किशोर गोस्वामी व आचार्य लवलेश के मुताबिक राधा अष्टमी पर छोंके हुए चने, फल, मावा और बेसन के मोदकों से भोग लगता हैं। राधाष्टमी को रात ढाई बजे आरती होती है। जयपुर फाउंडेशन के सियाशरण लश्करी ने बताया कि बंशीअलि का हस्त लिखित रास पंचायत ग्रंथ मंदिर में सुरक्षित है।

ये भी पढ़ें

image