
विनाशकारी बाढ़ के बाद खुलने वाले हैं सबरीमाला मंदिर के द्वार, इन्हीं तारीखों में कर सकते हैं दर्शन
केरल में पिछले महीने यानी अगस्त माह में विनाशकारी बाढ़ आई थी। जिसके कारण वहां का प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर भी चारों तरफ से बाढ़ से घिर गया था और इसी कराण मंदिर के द्वार बंद कर दिए गए थे। द्वार बंद करने से की वजह से मंदिर को करीब 100 करोड़ का नुकसान हुआ। लेकिन मलयालम महीने कान्नी के दौरान मंदिर के द्वार फिर से खुलने वाले हैं। ये द्वार पांच दिवसीय परंपरागत पूजा के लिए खोले जा रहे हैं। बाढ़ के बाद श्रृद्धआलुओं पर लगे प्रतिबंध हटाते हुए यए यह मंदिर 16 सितंबर से 21 सितंबर तक के लिए खोले जाएंगे।
केवल निलकल्लम तक जाएंगे वाहन
बाढ़ के बाद की स्थिति की समीक्षा करने के लिए पंपा में एक उच्च-स्तरीय बैठक के बाद टीडीबी के अध्यक्ष एम पद्मकुमार ने कहा, अय्यप्पा भक्त कान्नी पूजा के दौरान पूजा करने के लिए मंदिर जा सकेंगे। इस दौरान श्रद्धालुओं के दोपहिया वाहन समेत निजी वाहनों को केवल निलक्कल आधार शिविर तक ही जाने की अनुमति दी जाएगी। केरल राज्य सड़क परिवहन की बस लोगों को पंपा नदी के किनारे तक पहुंचाएगी जहां से श्रद्धालु मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं।
यहां है सबरीमाला मंदिर
करेल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से करीब 175 किलोमीटर की दूर स्थित है पंपा क्षेत्र। पंपा से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर लंबी पर्वत श्रृंखला और घने वन हैं। इसी वन क्षेत्र में स्थित है सबरीमाला मंदिर। यह पत्तनमत्तिट्टा जिले के अंतर्गत आता है। पंपा से सबरीमाला मंदिर तक पैदल यात्रा करनी होती है।
अयप्पा उत्सव का है विशेष महत्व
केरल के सबरीमाला मंदिर में अयप्पा स्वामी का मंदिर स्थित है। इस मंदिर के बारे में भी अनेक मान्यताएं हैं, लेकिन एक खास तरह का चमत्कार है जो हर साल ही यहां होता है। दरअसल, इस मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात थोड़ी-थोड़ी देर में एक ज्योति दिखाई देती है। जब ये रोशनी नजर आती है तो इसके साथ कुछ आवाज भी आती है। यह सब घने अंधेरे में होता है, जो किसी आश्चर्य से कम नही है। इस ज्योति को लेकर मान्यता है कि खुद भगवान इसे जलाते हैं। ये एक मकर, देव ज्योति है। यह मंदिर भगवान अयप्पा को समर्पित है। अयप्पा उत्सव सबरीमाला मंदिर का प्रमुख उत्सव है।
Published on:
15 Sept 2018 04:18 pm
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