
Many holidays will be available in August
सावन में शिव आराधना, व्रत व उपवास का विशेष महत्व होता है। कहा जाते है की इस महीने में शिव जी से तुरंत वरदान प्राप्त करने वाला माह माना जाता है। भगवान शिव को सबसे प्रिय है सावन महीना। लेकिन सावन माह में सोमवार ओर भी ज्यादा महत्व होता है। यह महीना पाप मिटाने वाला और मनोकामना की पूर्ति करने वाला माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में निराहारी या फलाहारी रहने की हिदायत दी जाती है। इस माह में शास्त्र अनुसार ही व्रतों का पालन करना चाहिए।
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सावन माह को व्रत के लिए नियुक्त किया गया है। वैसे यह चतुर्मास का पहला महीना होता है। इसमें व्रत, उपवास और नियम व धर्म माना जाता है। व्रत से ही मोक्ष प्राप्त किया जाता है। अधिकतर लोग सोमवार के दिन व्रत रख लेते हैं, लेकिन सिर्फ सोमवार को ही सावन में व्रत रखना आपको उतना लाभ नहीं देगा जितना आप चाहते हैं। चातुर्मास 4 महीने की अवधि होता है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। यह चार माह उन लोगों के लिए व्रतों का होता है जो ध्यान, साधना या उपासना कर रहे हैं, लेकिन श्रावण माह में व्रत रखना प्रत्येक हिंदू का कर्तव्य होता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से इसलिए करना चाहिए व्रत
चतुर्मास के 4 माह को व्रतों का माह इसलिए कहा गया है कि उक्त 4 माह में जहां हमारी पाचनशक्ति कमजोर पड़ती है वहीं भोजन और जल में बैक्टीरिया की तादाद भी बढ़ जाती है। इन 4 माह श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक इन माहों में व्रत करने के कई नियम बताए गए है, यदि उनका पालन किया जाए तो व्यक्ति का व्रत और उपसास पूर्ण हो सकता है। शास्त्रों के अनुसार इन 4 माह में क्या खाएं, क्या ना खाएं इसकी जानकारी दी गई है।
सावन में इन नियमों का करें पालन
- सावन में पत्तेदार सब्जियां जैसे- पालक, साग इत्यादि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल आदि का त्याग कर दिया जाता है।
Published on:
20 Jul 2019 03:37 pm
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