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कब होगा भगवान विष्णु का कल्कि अवतार, जानें कुछ खास रहस्य

कई धर्मग्रंथों में मिलता है वर्णन...

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secrets of Kalki Avatar of Lord Vishnu : till birth to his family

secrets of Kalki Avatar of Lord Vishnu : till birth to his family

सनातन धर्म में आदि पंच देवों के साथ ही त्रिदेवों का वर्णन है। वहीं त्रिदेवों में ब्रह्मा, विष्णु व शिव शामिल हैं, जिनके कार्य आपस में बटे होने का भी जिक्र मिलता है। इस ब्रह्मा जहां सृष्टि का निर्माण करते हैं, वहीं भगवान विष्णु को संसार का पालक और भगवान शिव संहार के देवता माने गए है।

वहीं पंडित सुनील शर्मा के अनुसा हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार जब जब धरती पर पाप बढ़ा है। तब तब भगवान विष्णु किसी ना किसी रूप में धरती पर पापियों का विनाश करने के लिए प्रकट हुए हैं। वामन अवतार,नृसिंह अवतार,मत्स्य अवतार,रामावतार,कृष्ण अवतार ये सभी इस बात के प्रमाण हैं।

शास्त्रों में विष्णु जी के दस अवतार का उल्लेख मिलता है। इनमें से अब तक वे नौ अवतार ले चुके हैं। लेकिन कलयुग में भगवान का अंतिम अवतार होना अभी बाकी है। ऐसा माना जाता है की जब कलयुग अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाएगा तब विष्णु जी कल्कि अवतार लेकर कलयुग का अंत करेंगे।

उसके बाद फिर धर्म की स्थापना करेंगे। कल्कि अवतार आज भी लोगों के लिए एक रहस्य है। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है की भगवान विष्णु अपना कल्कि अवतार कब लेंगे,कहां लेंगे,उनका रूप कैसा होगा,उनका वहां क्या होगा। ऐसे तमाम सवालों के जवाब श्रीमद्भागवत गीता में मौजूद है।

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यहां मिलता है कल्कि अवतार का वर्णन
भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है की जब जब धर्म की हानि होती है। अधर्म और पाप का बोलबाला होता है। तब तब धर्म की स्थापना के लिए मैं अवतरित होता हूं।

वहीं श्रीमदभागवत पुराण के बारहवें स्कन्द में लिखा है की भगवान का कल्कि अवतार कलयुग के अंत और सतयुग के संधि काल में होगा। शास्त्रों की माने तो प्रभु श्री राम और श्री कृष्ण का अवतार भी अपने-अपने युगों के अंत में हुआ था। इसलिए जब कलयुग का अंत निकट आ जायेगा तब भगवान कल्कि जन्म लेंगे।

वहीं 'अग्नि पुराण' के सौलहवें अध्याय में कल्कि अवतार का चित्रण तीर-कमान धारण किए हुए एक घुड़सवार के रूप में किया हैं और वे भविष्य में होंगे। कल्कि पुराण के अनुसार वह हाथ में चमचमाती हुई तलवार लिए सफेद घोड़े पर सवार होकर, युद्ध और विजय के लिए निकलेगा।

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कल्कि अवतार : कब और कहां
सनातन धर्म के धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार से सम्बंधित एक श्लोक का उल्लेख किया गया है। जो ये दर्शाता है की कलयुग में भगवान का कल्कि अवतार कब और कहां होगा और उनके पिता कौन होंगे ?

सम्भल ग्राम मुख्यस्य ब्राह्मणस्यमहात्मनः भवनेविष्णुयशसः कल्कि प्रादुर्भाविष्यति।।

अर्थात सम्भल ग्राम में विष्णुयश नामक श्रेष्ठ ब्राह्मण के पुत्र के रूप में भगवान कल्कि का जन्म होगा। ये देवदत्त नाम के घोड़े पर सवार होकर अपनी तलवार से दुष्टों का संहार करेंगे। तभी सतयुग प्रारम्भ होगा।

भगवान विष्णु का कल्कि अवतार निष्कलंक अवतार के नाम से भी जाना जाएगा। इस अवतार में उनकी माता का नाम सुमति होगा। इसके अलावा उनसे तीन बड़े भाई भी होंगे। जो सुमंत,कवि और प्राज्ञ के नाम से जाने जाएंगे। याज्ञवलक्य जी उनके पुरोहित और भगवान परशुराम गुरु होंगे।

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पत्नियां और पुत्र
भगवान श्री कल्कि की दो पत्नियां होंगी -लक्ष्मी रुपी पदमा और वैष्णवी रुपी रमा। उनके पुत्र होंगे जय,विजय,मेघमाल और बलाहक। पुराणों में बताया गया है की कलयुग के अंत में भगवान ये अवतार धारण करेंगे और अधर्मियों का अंत करके फिर से धर्म की स्थापना करेंगे। अभी कलयुग का कुछ समय ही बिता है। इसीलिए माना जाता है कि अभी इस अवतार के होने में काफी समय है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार कलियुग 432000 वर्ष का है जिसका अभी प्रथम चरण ही चल रहा है। कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था, जब पांच ग्रह; मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्‍पति और शनि, मेष राशि पर 0 डिग्री पर हो गए थे। इसका मतलब 3102+2017= 5119 वर्ष कलियुग के बित चुके हैं और 426881 वर्ष अभी बाकी है और अभी से ही कल्कि की पूजा, आरती और प्रार्थना शुरू हो गई है। वहीं जानकारों का कहना है कि ये अभी से नहीं करीब पौने तीन सौ साल से उनकी पूजा जारी है।

कल्कि पुराण के अनुसार कलयुग में भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतार लेंगे। कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा। यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा।

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कल्कि अवतार का ये होगा समय!
शास्त्रों के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा। यही कारण है कि इस तिथि को 'कल्कि जयंती' उत्सव रूप में मनाया जाता है। कल्कि अवतार के जन्म समय ग्रहों की जो स्थिति होगी उसके बारे में दक्षिण भारतीय ज्योतिषियों की गणना के अनुसार, जब चन्द्रमा धनिष्ठा नक्षत्र और कुंभ राशि में होगा। सूर्य तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में गोचर करेगा। गुरु स्वराशि धनु में और शनि अपनी उच्च राशि तुला में विराजमान होगा।