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शनि का रत्न ‘नीलम’ इन दो राशियों के लिए माना जाता है वरदान, इन क्षेत्र में देता है खूब लाभ

आज यहां हम शनि के रत्न नीलम के बारे में बात करने जा रहे हैं। जानिए ये रत्न किन राशियों के लिए भाग्यवर्धक माना जाता है।

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शनि का रत्न 'नीलम' इन दो राशियों के लिए माना जाता है वरदान, इन क्षेत्र में देता है खूब लाभ

Neelam Ratna: माना जाता है कि राशि के अनुसार रत्न धारण करने से जीवन में शुभ ग्रहों का प्रभाव और भी अधिक बढ़ जाता है। हर राशि का कोई न कोई स्वामी ग्रह होता है और इन्हीं ग्रहों का किसी न किसी रत्न से संबंध होता है। ग्रहों की स्थिति को और भी ज्यादा मजबूत करने के लिए रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। लेकिन एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि जब भी कोई रत्न धारण करने जा रहे हैं तो किसी योग्य ज्योतिष का परामर्श जरूर ले लें। आज यहां हम शनि के रत्न नीलम के बारे में बात करने जा रहे हैं। जानिए ये रत्न किन राशियों के लिए भाग्यवर्धक माना जाता है।

नीलम रत्न इन राशियों के लिए शुभ: मकर और कुंभ वालों के लिए नीलम रत्न शुभ माना जाता है।क्योंकि इन दोनों ही राशियों के स्वामी शनि देव हैं। इन राशियों के जातकों को कुंडली में शनि देव के शुभ फलों की प्राप्ति के लिए नीलम रत्न धारण करना चाहिए। ये रत्न आपकी सोई हुई किस्मत जगाने का काम कर सकता है।

नीलम रत्न का ज्योतिषीय महत्व: ये रत्न शनि ग्रह को शांत करता है। मान्यता है शनि साढ़े साती के दौरान इस रत्न को पहनने से शनि के बुरे प्रभावों का असर कम होता है। इस रत्न को धारण करने से शनि के शुभ प्रभावों में वृद्धि होने लगती है। अंग्रेजी में इस रत्न को ब्लू सेफायर कहते हैं। कश्मीर में पाया जाने वाला नीलम रत्न सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। इसके साथ ही ये रत्न रूस, अमेरिका, श्रीलंका, बर्मा आदि देशों में भी मिलता है।

नीलम रत्न के लाभ:
-इस रत्न का असर तुरंत ही दिखता है और व्यक्ति को सफलता मिलने शुरू हो जाती है।
-ये जीवन में समृद्धि लेकर आता है।
-ये नकारात्मकता दूर करता है।
-ये व्यक्ति की एकाग्रता में वृद्धि करता है।
-बिगड़े काम बनाता है।
-जीवन की जटिलताओं को दूर करता है।
-अगर ये रत्न सूट कर जाए तो व्यक्ति को विभिन्न क्षेत्रों में लाभ मिलने लगता है।

नीलम रत्न कितने रत्ती का पहनना चाहिए? ये रत्न कम-से-कम 2 रत्ती का होना चाहिए। इस रत्न को धारण करने के लिए शनिवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है। ये रत्न धारण करने से पहले इसे गंगाजल, शहद और दूध के मिश्रण में कुछ देर डूबोकर रख दें। फिर पूजास्थल पर दीप और पांच अगरबत्तियां जलाएं और ‘ॐ शम शनिचराय नमः’ मंत्र का 11 बार उच्चारण करें। फिर इस रत्न जड़ित अंगूठी को दाएं हाथ की मध्य अंगुली में धारण कर लें।
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(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।)