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शिवजी ने यहां तोड़ा था गजनवी का गुरूर, जल में करते हैं अखंड निवास

यहां शिवजी निवास करते हैं, इसलिए यह स्थान उन्हीं के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इतिहासकारों के अनुसार, पहले इस स्थान का नाम शिवालय था जो अब शिवाड़ हो गया।

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Rajeev sharma

Jul 25, 2016

सवाईमाधोपुर। राजस्थान में भगवान शिव के अनेक प्राचीन मंदिर हैं। इन प्राचीन एवं सिद्ध मंदिरों में सवाईमाधोपुर के शिवाड़ का नाम भी शामिल है। यह अपनी प्राचीनता, ऐतिहासिकता एवं आस्था के लिए जाना जाता है। इसको लेकर विद्वानों में मतभेद भी हंै। कुछ इसे शिव का अंतिम ज्योतिर्लिंग मानते हैं, वहीं कई विद्वान इस तर्क को खारिज करते हैं।

शिवभक्तों का इस स्थान से अटूट संबंध है। वे यहां भगवान के दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। भगवान शिव का यह धाम शिवाड़ में देवगिरि पहाड़ के अंचल में स्थित है। इसे घुश्मेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है। चूंकि यहां शिवजी निवास करते हैं, इसलिए यह स्थान उन्हीं के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इतिहासकारों के अनुसार, पहले इस स्थान का नाम शिवालय था जो अब शिवाड़ हो गया।

जल में निवास करते हैं शिवजी

भगवान शिव का क्रोध अत्यंत प्रलयंकारी होता है। अत: उन्हें सदैव शांत रखने का प्रयास किया जाता है। श्रद्धालु उन्हें जल चढ़ाते हैं। इस मंदिर में शिवजी सदैव शीतल जल में निवास करते हैं। माना जाता है कि इससे शिव का क्रोध शांत रहता है। एक कथा के अनुसार, किसी समय यहां सुधर्मा नामक ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम सुदेहा था। उसे कोई संतान नहीं थी।

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संतान प्राप्ति के लिए सुदेहा ने अपनी छोटी बहन घुश्मा का विवाह सुधर्मा से करवा दिया। घुश्मा भगवान शिव की भक्त थी। जब उसे पुत्र हुआ तो सुदेहा को ईर्ष्या हुई। उसने घुश्मा के पुत्र को मारकर सरोवर में डाल दिया।

जब घुश्मा भगवान शिव की पूजा करने गई तो शिवजी प्रकट हो गए। उन्होंने घुश्मा के पुत्र को जीवनदान दिया और और वरदान मांगने के लिए कहा। घुश्मा ने वरदान मांगा कि भोलेनाथ भक्तों की रक्षा के लिए इस स्थान पर अखंड वास करें। शिव ने वरदान दे दिया। कालांतर में जब यहां खुदाई की गई तो अनेक शिवलिंग निकले।

गजनवी को ऐसे मिली मात

कहा जाता है कि महमूद गजनवी भी यहां आया था। कत्लेआम और लूटमार मचाने के बाद उसने सेनापति सालार मसूद को खजाना लूटने के लिए शिवलिंग के पास भेजा। उसी क्षण शिव के कोप से बिजली प्रकट हुई और वह बेहोश हो गया। जब होश आया तो घबराकर भाग गया। इसके बाद उसने भविष्य में यहां न आने का फैसला किया और न ही फिर गजनवी यहां दिखाई दिया। आज भी शिवभक्त इस मंदिर से जुड़े चमत्कारों की चर्चा करते हैं।