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तीन साल से अधूरा पड़ा श्यामडीह-कनवाही मार्ग, बारिश में आवागमन होता है मुश्किल

25 गांवों को जिला मुख्यालय से जोडऩे के लिए बन रही सडक़, ग्रामीणों का बढ़ रहा इंतजार

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25 गांवों को जिला मुख्यालय से जोडऩे के लिए बन रही सडक़, ग्रामीणों का बढ़ रहा इंतजार
शहडोल. गोहपारू व बुढ़ार ब्लॉक के करीब 25 गांव को मुख्यालय से जोडऩे के लिए लोक निर्माण विभाग सेतु परिक्षेत्र से श्यामडीह- कनवाही के बीच पुल व सडक़ निर्माण कराया जा रहा है। पुल निर्माण का कार्य तो पूर्ण हो चुका लेकिन सडक़ का कार्य बीते 3 वर्षों से अधर में लटका हुआ है, जिससे ग्रामीणोंं को आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आधी अधूरी सडक़ बनने से बारिश के दिनों में दलदल की स्थिति बनती है, इसके साथ भी चिकित्सा वाहन की सुविधा भी मुहैया नहीं हो पाती। ग्रामीणों की माने तो सडक़ निर्माण पूर्ण करने को लेकर कई बार प्रशासन को अवगत करा चुके हैं, फिर भी ग्रामीणों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सडक़ न बनने से ग्रामीणों को 35-40 किमी. अतिरिक्त घूमकर मुख्यालय तक आने की मजबूरी बनती है।

462.30 लाख से होना था निर्माण

जानकारी के अनुसार श्यामडीह-कनवाही सडक़ निर्माण का कार्य की स्वीकृति 17 अगस्त 2015 में मिली थी, जिसका अनुबंधन ठेका कंपनी के साथ 30 सितम्बर 2015 को हुआ था। निर्माण कार्य की लागत 462.30 लाख रुपए बताई जा रही है, जिसे 2021 में पूर्ण हो जाना था। पुल निर्माण के साथ ही दोनों तरफ सडक़ निर्माण कराया जाना था। ठेका कंपनी किसी तरह पुल का निर्माण तो करा दी, लेकिन सडक़ निर्माण का कार्य अब भी अधूरा है।

रिवाइज के कारण अधर में लटका

सेतु निर्माण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पहले यह कार्य 462.30 लाख रुपए की लागत से स्वीकृत हुआ था, लेकिन पुल के दोनों तरफ तरफ 1100 मीटर सडक़ बनाए जाने से इसकी लागत और बढ़ गई। विभाग ने इसके रिवाइज कर साढ़े 6 करोड़ का प्रस्ताव भेजा, जिसे शासन ने अभी तक मंजूरी नहीं दी। सवाल यह उठता है कि 2015 में स्वीकृत हुए निर्माण कार्य को ठेका कंपनी ने समय सीमा में पूर्ण न करते हुए बीते 10 वर्षों से अधर लटका कर रखा है। 3 वर्ष पहले रास्ता बनाने के लिए पहाड़ को काट दिया, जिसमें अब हल्की सी बारिश के बाद दलदल की स्थिति निर्मित होती है।

सडक़ न होने से काफी परेशानियों को सामना करना पड़ता है। बारिश के दिनों में यह समस्या और बढ़ जाती है। प्रशासन को भी कई बार अवगत कराया गया लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा।
अनमोल सिंह, ग्रामीण

सडक़ बनाने के लिए पहाड़ काटा गया है, जो बीती तीन साल से अधर पर लटका है। जिस उद्देश्य से सडक़ का निर्माण कराया जा रहा है, बीते 10 साल से यह सपना पूरा होते नहीं दिख रहा है।
लल्लू सिंह, ग्रामीण

पहले पुल निर्माण में लेट लतीफी की गई अब सडक़ का कार्य अधर में लटका है। बारिश के दिनों में परेशानी होती है। सडक़ बन जाने से 25 गांव के लोगों का आवागमन आसान हो जाएगा।
राम प्रकाश, ग्रामीण

कनवाही से 35-40 किमी. अतिरिक्त घूम कर मुख्यालय जाने की मजबूरी बनती है। जबकि यह सडक़ बन जाने से 15 किमी.का सफर तय कर लोग आसानी से पहुंच सकते हैं।
राजकूपर, ग्रामीण

इनका कहना
यह सडक़ 2012 में पूर्ण हो जानी थी, पहाड़ कटिंग के लिए फॉरेस्ट की अनुमति व रिवाइज एस्टीमेट की शासन स्तर से स्वीकृति नहीं मिल पाने के कारण, अधर पर लटका हुआ है। पत्राचार किया जा रहा है। स्वीकृति मिलते ही कार्य शुरू किया जाएगा। जल्द ही सडक़ मार्ग सुगम हो जाएगा।
वसीम खान, कार्यपालन यंत्री सेतू निर्माण