
उत्तराखंड के देवीधुरा में रक्षा बंधन पर सैंकड़ों रणबांकुरे पाषाण युद्ध में भाग लेते हैं, फाइल फोटो
unique tradition:उत्तराखंड के चम्पावत जिले के देवीधुरा स्थिति प्रसिद्ध मां वाराही मंदिर में हर साल रक्षा बंधन को बग्वाल मेला आयोजित होता है।हजारों की संख्या में लोग इस अनूठी परंपरा के साक्षी बनने को पहुंचते हैं। इस बार एतिहासिक बग्वाल सोमवार दिन में करीब 2:05 बजे शंखनाद के साथ शुरू हुई। इससे पहले लमगड़िया खाम, चमियाल खाम, गहरवाल खाम और वालिक खाम के सैकड़ों रणबाकुरों ने खोलीखांण दूर्वाचौड़ मैदान की ढोल नगाड़ों के साथ विधिपूर्वक परिक्रमा की। दिन में 2:05 बजे शंखनाद के साथ बग्वाल शुरू हो गई थी। 11 मिनट तक चली इस बग्वाल में करीब 80 लोग घायल हुए, जिनका नजदीकी अस्पताल में उपचार किया गया।
शुरुआत में रणबाकुंरों ने एक-दूसरे दल पर फलों से प्रहार किए। उसके बाद मौके पर पाषाण युद्ध शुरू हो गया था। रणबांकुरों ने मां वाराही के जयकारों के साथ एक-दूसरे पर पत्थर और ईंटे बरसानी शुरू कर दी थी। । दिन में 2:16बजे पुजारी ने मैदान में पहुंकर शंखनाद कर चंवर झुलाते हुए बग्वाल के समापन की घोषणा की।
देवीधुरा का प्रसिद्ध बग्वाल लोगों की धार्मिक मान्यता का पवित्र रूप है। किंवदंती है कि एक वृद्धा के पौत्र का जीवन बचाने के लिए यहां के चारों खामों की विभिन्न जातियों के लोग आपस में युद्ध कर एक मानव के रक्त के बराबर खून बहाते हैं। क्षेत्र में रहने वाली विभिन्न जातियों में से चार प्रमुख खामों चम्याल, वालिक, गहरवाल और लमगडिय़ा खाम के लोग पूर्णिमा के दिन पूजा अर्चना कर एक दूसरे को बगवाल का निमंत्रण देते हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी एतिहासिक बग्वाल के साक्षी बनने के लिए आज देवीधुरा पहुंचे हुए थे। उन्होंने लोगों को रक्षा बंधन और बग्वाल मेले की शुभकामनाएं दीं। इसके अलावा देश-विदेश से हजारों लोग इस अनूठी परंपरा के साक्षी बनने को देवीधुरा पहुंचे हुए थे। समूचा क्षेत्र मां वाराही के जयकारों से गूंज रहा था। मेला कमेटी के पदाधिकारियों ने सीएम सहित अन्य अतिथियों का स्वागत किया।
Published on:
19 Aug 2024 04:27 pm
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