
बीकानेर के डीडू सिपाहियान मोहल्ले में मिट्टी-मीठे चूने से बनता है ताजिया
बीकानेर. मोहर्रम पर ताजिया बनाने की परंपरा दशकों से है। हर साल ताजिया कलाकार आस्था और श्रद्धा भाव के साथ कलात्मक ताजियों का निर्माण करते है। मोहर्रम की नौंवी तारीख की पूरी रात और दसवी तारीख को पूरे दिन ताजियों की जियारत का दौर चलता है। सामान्यत: ताजियों को गत्ता, कागज, लकड़ी इत्यादि से बनाया जाता है। इन पर सुंदर चित्रकारी भी उकेरी जाती है। लेकिन बीकानेर के डीडू सिपाहियान मोहल्ले में बनने वाला ताजिया न केवल अनोखा और ऐतिहासिक है बल्कि इस ताजिये का जहां निर्माण होता है, उसी स्थान पर इसे ठंडा भी किया जाता है। यहां ताजिया चौकी पर कच्ची ईंट, मिट्टी, मीठा चूना, पीओपी से बनाया जाता है। मोहर्रम की दसवीं तारीख की शाम को इस ताजिये को परंपरागत रूप से पानी से ठंडा भी किया जाता है।
12 फीट ऊंचा, 4 फीट चौड़ाई
मिट्टी-पीओपी से बनने वाले ताजिये के कार्य से वर्षों से जुड़े हाजी लियाकत अली के अनुसार मोहल्ला डीडू सिपाहियान में तैयार होने वाले ताजिये की ऊंचाई 12 फीट होती है। इसकी चौड़ाई 4 फीट होती है। इस ताजिये का निर्माण कच्ची ईंट, मिट्टी, मीठा चूना, पीओपी से किया जाता है। छह से सात दिन में यह ताजिया बनकर तैयार होता है। इस ताजिये को जहां बनाया जाता है, उसी स्थान पर ठंडा किया जाता है।
उस्ता शैली में बारीक चित्रकारी
करीब पच्चीस वर्षों से डीडू सिपाहियान मोहल्ले में तैयार होने वाले ताजिये पर चित्रकारी करने वाले उस्ता कलाकार इदरीश उस्ता के अनुसार ताजिये पर उस्ता शैली में बारीक चित्रकारी की जाती है। रंगा बेजी में चित्रकारी की जाती है। फूल और पत्तियों की कलात्मक चित्रकारी सोनलिया, लाल, हरे रंग से की जाती है। भित्ति चित्रों की तरह ताजिये पर चित्रकारी की जाती है।
दर्जनों कलाकार, कई दिनों की मेहनत
डीडू सिपाहियान मोहल्ले में बनाए जाने वाले मिट्टी के ताजिये में कलाकारों की बेजोड़ कारीगरी देखने को मिलती है। लियाकत अली के अनुसार 5 कारीगर, 15 मजदूर, 10 उस्ता पेंटर इस ताजिये को छह से सात दिन में तैयार करते है। वहीं मोहल्लेवासियों का इसमें सहयोग रहता है। मोहर्रम के दौरान ताजिया चौकी के पास अखाड़े का भी आयोजन होता है।
दर्शन कर मांगते है मन्नते, चढ़ाते है प्रसाद
डीडू सिपाहियान मोहल्ले में तैयार होने वाले ताजिये के प्रति हिन्दू परिवारों की विशेष आस्था और श्रद्धा है। लियाकत अली बताते है कि हर साल मोहर्रम के अवसर पर हिन्दू परिवारों के सदस्य ताजिये के दर्शन कर शीश झुकाते है, मन्नते मांगते है व प्रसाद अर्पित करते है। छोटे बच्चों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना को लेकर बच्चों को ताजियों के नीचे से निकालते भी है।
Published on:
17 Jul 2024 12:39 am
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