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पलायन का दंश: रनेह गांव में सिर्फ मजदूरों को लेने आती है गुजरात से बस, किराया १३०० रुपए

-जिले में पलायन रोकने के तमाम प्रयास बेअसर, लगातार बढ़ रही बेरोजगारी
नितिन राय

दमोहMay 20, 2025 / 11:51 am

आकाश तिवारी


रनेह. हटा ब्लॉक अंतर्गत आने वाले रनेह गांव में गुजरात से एक बस हर सोमवार को आती है। आप सोच रहे होंगे कि इसमें खासबात क्या है। मजेदार बात यह है कि यह बस सिर्फ मजदूरों को लेने के लिए आती है। इस गांव से पन्ना के भी मजदूर बैठते हैं। गुजरात के लिए रवाना होने वाली यह मजदूरों वाली बस पटेरा, कुंडलपुर, दमोह और सागर भी जाती है। एक मजदूर ने बताया कि सागर पहुंचते तक बस में क्षमता से तीन गुना तक मजदूर ठूंस-ठूंस कर भर दिए जाते हैं और उन्हें इसी अवस्था में गुजरात ले जाया जाता है।
बता दें कि हटा ब्लॉक में सबसे अधिक पलायन है। छोटे-छोटे गांवों में लोगों को काम नहीं मिलता है। रनेह के लोग बताते हैं कि गुजरात से आने वाली बस इसी का फायदा उठाती है और सिर्फ मजदूरों को लेने के लिए आती है।
-१३०० किराया, उधार लेकर जाते हैं
यह बस फ्री सेवा नहीं है। बल्कि गुजरात तक का सफर काफी ज्यादा है। १३०० रुपए किराया लगता है। ३० सीटर स्लीपर बस में सफर भी आसान नहीं है। ठसाठस भरकर जाने वाली बस में यात्रियों की हालत खराब हो जाती है। हैरानी की बात यह है कि बस की चैंकिग भी नहीं की जा रही है।
वर्शन
अब मजदूरों का मिलना टेढ़ी खीर हो गया है। ज्यादा मजदूरी के चक्कर में मजदूर बाहर जा रहे हैं। इससे गांव में खेती का काम कराने के लिए मजदूर नहीं मिलते।
श्रीकांत तिवारी, कृषक
वर्शन
शिक्षित होने के बाद भी जिले तक में नौकरी नहीं मिल रही है। घर चलाने के बाहर गुजरात जाना पड़ता है। उद्योग धंधे कुछ भी नहीं है।
अभिषेक नायक, युवा

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