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मोटा चश्मा अब पढ़ाकू बच्चों की निशानी नहीं, डिजिटल लत से कम उम्र में बढ़ रहा चश्मे का नंबर

गांवों से भी दृष्टि दोष के शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहे बच्चे बच्चे रोज 4 घंटे डिजिटल उपकरणों पर कर रहे खराब बच्चों को धुंधला दिखने, सिर दर्द और थकावट का बड़ा कारण आरयूएचएस मेडिकल कॉलेज में बच्चों पर अध्ययन

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जयपुर

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Vikas Jain

Oct 11, 2024

जयपुर। तीन-चार वर्ष की आयु से ही बच्चों में स्मार्टफोन और डिजिटल उपकरणों के प्रति आकर्षण बढ़ता जा रहा है। डिजिटल दुनिया की चमक-दमक से वे चकाचौंध रहते हैं और समय का ध्यान नहीं रखते। इसके कारण उनकी आंखों पर दुष्प्रभाव के मामले बढ़ते जा रहे हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार, इस लत के कारण छोटे-छोटे बच्चों में भी चश्मे का नंबर बढ़ता जा रहा है। पहले जहां मोटे चश्मे पढ़ाकू बच्चों की निशानी होते थे, अब डिजिटल लत की गिरफ्त में रहने वाले बच्चे भी मोटा चश्मा लगवाने को मजबूर हैं।

राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के संघटक आरयूएचएस मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विशेषज्ञों की ओर से किए गए अध्ययन में सामने आया है कि एक बच्चा औसतन 4 घंटे रोजाना डिजिटल उपकरणों पर बिता रहा है, जिसमें से 75 प्रतिशत समय उनकी नजरें स्मार्टफोन की स्क्रीन पर टिकी हुई रहती हैं। डिजिटल उपकरणों की गिरफ्त में होने के कारण पहले शहरी क्षेत्र के बच्चे आंखों की कमजोरी के शिकार अधिक होते थे, लेकिन अब नेत्र रोग विशेषज्ञों के पास ग्रामीण क्षेत्र से भी इस तरह के मामले आ रहे हैं, जिनमें दस वर्ष आयु के बच्चे भी शामिल हैं।

60 प्रतिशत अभिभावक बोले...बच्चे डिजिटल लत के शिकार

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आरुषी प्रकाश ने डॉ. निशा दुलानी के नेतृत्व में अब तक 300 मरीजों पर यह अध्ययन किया है। इसके प्रारंभिक विश्लेषण में ये नतीजे सामने आए हैं। इस अध्ययन में 60 प्रतिशत माता-पिता ने बताया कि उनके बच्चे प्रतिदिन 3 घंटे से अधिक समय स्मार्टफोन पर बिताते हैं। इसके दुष्प्रभाव के सामान्य लक्षणों में आंखों में थकावट, सिरदर्द और कभी-कभी धुंधला दिखना शामिल है। यह अध्ययन 17 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर किया गया है।

मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर, चिड़चिड़े हो रहे बच्चे

आंखों की सेहत के अलावा, अध्ययन में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी चिंता जताई गई है। कई माता-पिता ने बताया कि उनके बच्चे चिड़चिड़े हो गए हैं और बाहरी खेलों में कम रुचि दिखाते हैं। कुछ ने नींद के पैटर्न में बदलाव की भी शिकायत की। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. किशोर के अनुसार, आंखों की समस्याओं से बचने के लिए हमें अपने बच्चों की आंखों की सेहत को प्राथमिकता देने, बाहरी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने, स्क्रीन से नियमित ब्रेक दिलवाने और समय-समय पर आंखों की जांच करवाने की आवश्यकता है।