
भारत की धरती को चमत्कारों की भूमि कहा जाता है। भारत में पूजा-पाठ में लोगों का अटूट विश्वास हैं और उसी का नतीजा है कि कई ऐसे चमत्कारी मंदिर मौजूद हैं जहां पर ऐसे रोगों का इलाज देखते ही देखते हो जाता है, जिनका तोड़ आज तक डॉक्टर्स भी नहीं ढूढ़ पाए हैं। आज हम आपको ऐसे ही दो मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर एक मंदिर में लकवा ठीक होता है तो वहीं दूसरे मंदिर में टूटी हुई हड्डियां जुड़ जाती हैं।
बुटाटी धाम
कुछ लोग इस बात पर विश्वास करते हैं कि मंदिर में पूजा—अर्चना करने से लकवा ठीक हो जाता है तो कुछ नहीं। बता दें कि राजस्थान में नागौर से करीब 40 किलोमीटर दूर अजमेर-नागौर मार्ग पर कुचेरा कस्बे के पास स्थित बुटाटी धाम लकवा के रोग (Butati Dham for Treatment of Paralysis) को खत्म करने के लिए जाना जाता है। इसे यहां चतुरदास जी महाराज के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। लोगों का मानना है कि इस मंदिर में लकवा पीड़ित लोगों को राहत मिलती है।
मान्यताएं
लोगों को मानना है कि लकवा से पीड़ित व्यक्ति के बुटाटी धाम में जाने से काफी राहत मिलती है। यहां सालों पुरानी कई बीमारियों का इलाज होता है वो भी किसी हकीम या डॉक्टर के बिना। यह सब चतुर दास महाराज के कमाल से होता है। बता दें कि इस मंदिर में कोई दवा या टेबलेट नहीं दी जाती। यहां परिजन लकवा पीड़ित मरीज से मंदिर की 7 बार परिकृमा कर लगवाकर एक हवन करवाते हैं। इसके बाद पीड़ित की बीमारी अपने आप ठीक होती चली जाती है। इस मंदिर में मरीज और उनके परिजनों के खाने—रहने की नि:शुल्क व्यवस्था होती है।
कटनी का चमत्कारी मंदिर
मध्यप्रदेश के कटनी जिले से लगभग 35 किमी दूर मोहास गांव में हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर हैं। इस मंदिर का चमत्कार जान कर आप आश्चर्य चकित हो जाएंगे। क्योंकि यह चमत्कार बहुत ही अद्भुत व अकल्पनिय हैं, जी हां यहां किसी अस्पताल से ज्यादा भीड़ हड्डी रोग से पीड़ित लोगों की लगती है। वैसे तो यहां से कोई भी हनुमान भक्त खाली हाथ नहीं लौटता, लेकिन यहां विशेषतौर पर यहां हड्डी रोग से ग्रस्त लोग आते है और खुशी-खुशी ठीक होकर जाते है। कई मरीज तो यहां स्ट्रेचर पर आते हैं, तो किसी को एम्बुलेंस में लाया जाता है। लेकिन यहां हड्डी रोग से परेशान लोगों का इलाज भगवान हनुमान की दिव्य शक्ति से स्वयं हो जाता है।
कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर में दर्शन करता है उसकी टूटी हुई हड्डियां अपने आप जुड़ जाती हैं। वैसे तो इस मंदिर में रोज ही औषधि दी जाती है, पर मंगलवार तथा शनिवार की औषधि का प्रभाव ज्यादा होता है, इसलिए इन दो दिनों में ज्यादा मरीजों की भीड़ आती है।
Published on:
29 Oct 2020 02:06 pm
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