
thursday the day of lord vishnu and maa saraswati
बृहस्पति यानि देवों के गुरु जिनका सप्ताह में दिन गुरुवार के नाम से जाना जाता है। एक ओर जहां इन्हें विद्या का कारक माना गया है। वहीं इस दिन के कारक देव जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु माने जाते हैं।
वहीं गुरुवार को भगवान श्री विष्णु जी और मां सरस्वती दोनों की पूजा का दिन माना जाता है। विद्या के कारक होने के कारण जहां एक ओर शिक्षा ग्रहण कर रहे व पढने-लिखने वाले व इसके व्यवसाय से जुडे लोगों के लिए मां सरस्वती के पूजन का यह दिन है, वहीं राशि आधार पर यह दिन जगत के पालनहार भगवान श्री विष्णु के पूजन के लिए उपयुक्त दिन माना जाता है।
जानकारों के अनुसार दरिद्रता को जीवन का अभिशाप माना गया है। यहां तक कि गरीब रहना पाप करने के समान निंदनीय कार्य माना गया है। अत: इस दरिद्रता के अभिशाप से छुटकारा पाने और गरीबी के कलंक को मिटाने के लिये, लक्ष्मी पति विष्णु को प्रसन्न करें, वैसे माना जाता है कि भगवान विष्णु आसानी से प्रसन्न नहीं होते हैं, लेकिन फिर भी छोटे-छोटे ऐसे कर्म हैं, जो भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इसके लिए सुबह उठकर नित्यकर्म के बाद 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय' के मंत्र का जाप करें, और पीले वस्त्रों का प्रयोग करने के साथ ही पीली खाद्य सामग्री का ही उपयोग करें।
ऐसे प्रसन्न होते हैं भगवान विष्णु
1. इंसान धर्म का पालन करे और ईमानदारी का जीवन जिए।
2. कठिनाई आने पर भी सत्य के मार्ग से नहीं हटें।
3. इन्द्रिय भोगों पर नियंत्रण रखते हुए सादगी व पवित्रता का जीवन जिएं।
4. अपने खून पसीने की कमाई का कुछ भाग, दुनिया को और भी सुन्दर बनाने में खर्च करें।
5. अपने कर्तव्य को पूरी तत्परता से पूरा करें और उसके परिणाम को भगवान की मर्जी समझ कर स्वीकारें।
विद्या ज्ञान के लिए मां सरस्वती
ज्ञान के बिना सफलता मिलना असंभव है इसलिए सफलता चाहने वाले को ज्ञान ही प्राप्त करना चाहिए। ज्ञान की प्राप्ति के लिए सबसे पहले माता सरस्वती की आराधना करनी चाहिए, पंडितों के अनुसार मां सरस्वती पूजा करते समय सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखें।
इसके बाद कलश स्थापित करके गणेश जी तथा नवग्रह की विधिवत् पूजा करनी चाहिए। इसके बाद माता सरस्वती की पूजा करें. सरस्वती माता की पूजा करते समय उन्हें सबसे पहले आचमन और स्नान कराएं. इसके बाद माता को फूल, माला चढ़ाएं। सरस्वती माता को सिन्दूर, अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करनी चाहिए।
इसके अलावा देवी सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं. प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदियां अर्पित करनी चाहिए।
ऐसे करें मां सरस्वती की वंदना
- प्रतिदिन सुबह उठकर नित्य कर्म व स्नान से निवृत्त होकर माता सरस्वती के चित्र का पंचोपचार पूजन करें।
- कमल के फूल चढ़ाएं व सफेद मिठाई को भोग लगाएं।
- कुश के आसन पर बैठकर स्फटिक या सफेद चंदन की माला से इस मंत्र का जप करें।
- कम से कम 5 माला जप अवश्य करें।
- एक ही समय, स्थान, माला व आसन होने से शीघ्र लाभ होता है।
- सफेद वस्त्रों को धारण करें।
यह है मां सरस्वती का मंत्र -
प्रथम भारती नाम द्वितीयं सरस्वती। तृतीयं शारदा देवी चतुर्थं हंसवाहिनी।।
पंचमं जगती ख्याता षष्ठं वागीश्वरी तथा। सप्तमं कुमुदी प्रोक्ता अष्टमं ब्रह्मचारिणी।
नवमं बुद्धिदात्री च दशमं वरदायिनी। एकादशं चंद्रकान्तिद्र्वादशं भुवनेश्वरी।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं च: पठेन्नर:। जिह्वाग्रे वसते नित्यं ब्रह्मरूपा सरस्वती।
कुंडली में है गुरु के दोष तो ऐसे होंगे दूर
1. गुरुवार को पीले कपड़े पहने, बिना नमक का भोजन करें और भगवान को पीले पकवानों का भोग लगाएं।
2. गुरु बृहस्पति की प्रतिमा या फोटो को पीले वस्त्र पर विराजित कर पूजा करें। पूजा में केसरिया चंदन, पीले चावल, पीले फूल, व प्रसाद में पीले पकवान और पीले फल चढ़ाएं।
3. गुरु मंत्र का 108 बार जाप करें- मंत्र- ऊँ बृं बृहस्पते नम:।
4. गुरु से जुड़ी पीली वस्तुओं का दान दें।
5. गुरुवार को सुर्योदय से पहले उठें, स्नान के बाद भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाएं और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
6.गुरुवार की शाम को केले के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं।
7. गुरुवार को विशेष पूजा के बाद केसर का तिलक लगाएं या हल्दी का तिलक भी लगाया जा सकता है।
8. इस दिन केला न खाएं।
राम का नाम भी है अचुक-
कुंडली में गुरु संबंधी परेशानी होने पर राम की पूजा भी लाभ पहुंचाती है। इसके लिए रामरक्षास्त्रोत अचूक बाण का काम करता है। राम आरती के अलावा राम परिवार का पूजन भी इस दिन करने से गुरु संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
Published on:
22 Apr 2020 02:15 pm
बड़ी खबरें
View Allट्रेंडिंग
