
भगवान शिव कथा में शिव-पार्वती विवाह प्रसंग का वाचन
बेंगलूरु. दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से यलहंका में आयोजित भगवान शिव कथा के पांचवें दिन गुरुवार को कथावाचक डॉ. सर्वेश्वर ने भगवान शिव व माता पार्वती के विवाह का प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया । कथावाचक ने कहा कि भगवान भोलेनाथ ने पार्वती को दिए वरदान का पालन किया और विवाह करने बारात लेकर हिमालयराज के द्वार पर पहुंचे। उनके साथ बारात में नंदी आदि के साथ शिवगण नाचते-झूमते चल रहे थे। माता पार्वती की मां शिव की वेशभूषा व बारात को देखकर व्याकुल हो उठी थी। पार्वती व अन्य के मनाने के बाद शिव के साथ अपनी पुत्री का विवाह करने को राजी हुई। इसके बाद धूमधाम से शिव-पार्वती का विवाह रचाया गया।
कथावाचक ने कहा कि माता पार्वती जीवात्मा का प्रतीक और भगवान शिव साक्षात परब्रह्म परमेश्वर हैं। नारद मुनि मां पार्वती के गुरु बन कर के आए और जीव को परमात्मा से मिलाकर अटूट बंधन में बांधने में मदद की। हमें भी अपने जीवन में ऐसे ही सद्गुरु का सान्निध्य चाहिए जिनके माध्यम से हम ईश्वर का साक्षात्कार कर पाएं। नशा नहीं करने की सीख देते हुए कहा कि ईश्वर के अमृत रस को छोड़कर सांसारिक नशों का पान गलत हैं। हमें देश भक्ति का नशा करना चाहिए। सभी को राष्ट्र व समाज के निर्माण में अपना सच्चा योगदान देना चाहिए।
Updated on:
29 Nov 2024 08:53 pm
Published on:
29 Nov 2024 08:52 pm
बड़ी खबरें
View Allसमाचार
ट्रेंडिंग
