
treasure Padmanabhaswamy Temple Hindu Temple khazana
नरसिंहपुर। राजा बहादुर भानुप्रताप सिंह से जुड़ा यह लाल महल इतिहास का एक हिस्सा है। जब तक इसमें राज परिवार रहे तब तक इसकी रौनक बरकरार रही। बाद में इसे स्कूल और सरकारी कार्यालय के रूप में उपयोग गिया गया, परन्तु अब काफी समय से ताला जड़ा हुआ है। शहर के बीचों बीच स्थित लाल महल कभी नरसिंहपुर की शान हुआ करता था पर अब उपेक्षा के रंग से यह बदरंग हो चुका है। कभी अपनी राजसी शान की लालिमा बिखेरने वाला यह महल अतीत की विरासत के रूप में अभी भी अपने अस्तित्व का बोध कराता है पर इसकी शाही रौनक खत्म हो चुकी है।
खजाने की है चर्चा
इस महल को लेकर यदा कदा खजाने की चर्चा भी होती रहती है। चर्चाओं के मुताबिक इस महल में एक गुप्त द्वार है जिससे होकर खजाने के लिए मार्ग जाता है। यह खजाना किसका है और इसमें किस तरह की मुद्राओं और जेवरातों आदि का भंडार है इसे लेकर भी लोग कई तरह की कहानियां सुनाते हैं। स्थानीय इतिहासकार आनंद श्रीवास्तव बताते हैं कि यह महल मुगल बुंदेली वास्तु शिल्प का बेहतरीन नमूना है। जिले प्रमुख महलों में से यह एक है। लोग खजाने के चक्कर में इसे बेवजह ही नुकसान पहुंचा रहे हैं जिससे इसके अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा गया है।
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रहता था राजपरिवार
इमझिरा के तालुकेदार राजा बहादुर भानुप्रताप सिंह से जुड़ा यह लाल महल इतिहास का एक हिस्सा है। जब तक इसमें राज परिवार रहे तब तक इसकी रौनक बरकरार रही बाद में देश आजाद होने के बाद इसका उपयोग शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए किया जाता रहा है। वर्षों तक इस महल से शिक्षा की लौ प्रदीप्त होती रही। काफी समय तक इसका उपयोग शासकीय कार्यालयों के संचालन के लिए भी होता रहा। सरकारी कार्यालय संचालित होने तक इसकी रौनक बरकरार रही पर बाद में शासकीय विभागों के अपने भवन तैयार होने के बाद इसमें ताले जड दिए गए और फिर इसका रखरखाव न होने से यह साल दर साल क्षतिग्रस्त होता गया। कई सालों से इसकी मरम्मत न होने से इसका काफी हिस्सा जीर्ण शीर्ण हो चुका है। मुगल बुंदेली वास्तु शिल्प में निर्मित इस महल की मोटी दीवारें अभी भी मजबूत स्थिति में है पर ऊपरी मंजिल की छत व अन्य हिस्से जर्जर हो चुके हैं।
Updated on:
21 Aug 2017 12:44 pm
Published on:
21 Aug 2017 12:40 pm
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