भीलवाड़ा। भीलवाड़ा-कोटा राजमार्ग पर बीगोद के निकट त्रिवेणी संगम। यह आस्था का बड़ा केंद्र है। यहां बनास, बेड़च और मेनाली नदी का समागम होता है। इस बार मानसून की धमाकेदार बरसात ने त्रिवेणी को उफान पर ला दिया। बीसलपुर को भरने में त्रिवेणी नदी का अहम योगदान रहता है। तीनों नदियों ने इस बार त्रिवेणी महादेव और गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर बीसलपुर का अभिषेक कर दिया। त्रिवेणी संगम का विहंगम दृश्य। जहां तीनों नदियां मिलने के साथ महादेव का मंदिर नजर आ रहा।
भीलवाड़ा-कोटा राजमार्ग पर बीगोद के निकट त्रिवेणी संगम। यह आस्था का बड़ा केंद्र है। यहां बनास, बेड़च और मेनाली नदी का समागम होता है। इस बार मानसून की धमाकेदार बरसात ने त्रिवेणी को उफान पर ला दिया। बीसलपुर को भरने में त्रिवेणी नदी का अहम योगदान रहता है। तीनों नदियों ने इस बार त्रिवेणी महादेव और गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर बीसलपुर का अभिषेक कर दिया। त्रिवेणी संगम का विहंगम दृश्य। जहां तीनों नदियां मिलने के साथ महादेव का मंदिर नजर आ रहा।
भीलवाड़ा-कोटा राजमार्ग पर बीगोद के निकट त्रिवेणी संगम। यह आस्था का बड़ा केंद्र है। यहां बनास, बेड़च और मेनाली नदी का समागम होता है। इस बार मानसून की धमाकेदार बरसात ने त्रिवेणी को उफान पर ला दिया। बीसलपुर को भरने में त्रिवेणी नदी का अहम योगदान रहता है। तीनों नदियों ने इस बार त्रिवेणी महादेव और गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर बीसलपुर का अभिषेक कर दिया। त्रिवेणी संगम का विहंगम दृश्य। जहां तीनों नदियां मिलने के साथ महादेव का मंदिर नजर आ रहा।
भीलवाड़ा-कोटा राजमार्ग पर बीगोद के निकट त्रिवेणी संगम। यह आस्था का बड़ा केंद्र है। यहां बनास, बेड़च और मेनाली नदी का समागम होता है। इस बार मानसून की धमाकेदार बरसात ने त्रिवेणी को उफान पर ला दिया। बीसलपुर को भरने में त्रिवेणी नदी का अहम योगदान रहता है।