
नोएडा। करीब साढ़े नौ साल तक चर्चा में रहे आरुषि-हेमराज हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट ने राजेश और नूपुर तलवार को मुख्य आरोपी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। लेकिन, हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दलवार दंपति को इस केस से बरी कर दिया था। अब वे जेल से बाहर हैं। इससे पहले सीबीआई ने इस केस में राजेश और नुपूर के अलावा तीन और लोगों को अभियुक्त बनाया था। जिन तीन लोगों को शुरुआत में इस केस में अभियुक्त बनाया गया , अब वे कहां हैं इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। लेकिन, लोगों के बीच आज भी यह सवाल बना हुआ है कि आरुषि का मर्डर किसने किया?
तलवार दंपती ही नहीं ये तीन नाम भी जुड़े थे इस हत्याकांड से...
कृष्णा थडारी (30 साल)
16 मई 2008 को दिल्ली से सटे नोएडा के जलवायु विहार स्थित घर में 14 साल की आरुषि की डेड बॉडी मिली थी। आरुषि की हत्या गला रेत कर की गई थी। 17 मई को नौकर हेमराज की लाश तलवार के घर के टेरेस पर मिली थी। करीब साढ़े पांच साल चली जांच और सुनवाई के बाद सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने उसके माता-पिता नूपुर और राजेश तलवार को दोषी करार दिया। लेकिन, इससे पहले आरुषि-हेमराज हत्याकांड में तीन अन्य लोगों को भी अभियुक्त बनाया गया था। यूपी पुलिस के बाद एक जून, 2008 को सीबीआई ने मामले की जांज अपने हाथ में ले ली थी। 13 जून, 2008 को सीबीआई ने हत्या का अभियुक्त मानते हुए सबसे पहले राजेश तलवार के कम्पाउंडर कृष्णा थडारी (30) को गिरफ्तार किया। कृष्णा मूलरूप से नेपाल का रहनेवाला है और हादसे की रात तलवार रेसिडेंस में ही मौजूद था। नार्को टेस्ट के दौरान उसने बताया था कि आरुषि और हेमराज की हत्या एक ही हथियार से की गई। टेस्ट में कृष्णा ने यह भी खुलासा किया था कि राजेश तलवार इस हत्या में शामिल नहीं हो सकते हैं। उसने इस हत्या के लिए राजकुमार और विजय नामक दो लोगों को दोषी ठहराया था। 12 सितंबर, 2008 को कृष्णा को लोअर कोर्ट से जमानत मिल गई और वो अपने घर नेपाल वापस चला गया।
राजकुमार (30 साल)
राजकुमार (30), तलवार के दोस्त दुर्रानी के यहां नौकर का काम करता था। राजकुमार भी मूलरूप से नेपाल का रहनेवाला था। नार्को टेस्ट के दौरान राजकुमार ने बताया कि हादसे की रात कृष्णा, विजय और वो राजेश तलवार के घर पर ही मौजूद था और तीनों शराब पी रहे थे। राजकुमार ने बताया कि नशे की हालत में कृष्णा आरुषि के कमरे के अंदर गया, लेकिन जब आरुषि उठी तो उसने उसकी हत्या कर दी। कुछ देर बाद जब कृष्णा का सामने हेमराज से हुआ तो उसने उसकी भी हत्या कर दी। 12 सितंबर, 2008 को लोअर कोर्ट ने सबूत के अभाव में राजकुमार को भी जमानत दे दी। करीब चार साल बाद 20011 में राजकुमार अपने घर नेपाल लौट गया।
विजय मंडल (30 साल)
इस केस से तीसरा नाम जुड़ा था विजय मंडल का, जो कि राजेश तलवार के पड़ोसी का नौकर था। घटना की रात वो भी कृष्णा और राजकुमार के साथ तलवार रेसिडेंस में मौजूद था। नार्को टेस्ट के दौरान विजय ने खुलासा किया कि हेमराज ने उसे बुलाया था, लेकिन आरुषि की हत्या कृष्णा और राजकुमार ने मिलकर किया। उसका यह भी दावा था कि जिस हथियार से आरुषि का मर्डर किया गया था वो खुखरी थी और वो उस वक्त कृष्णा के हाथ में था। उसने यह भी आरोप लगाया था कि हत्या से पहले आरुषि का रेप किया गया था। 12 सितंबर, 2008 को लोअर कोर्ट से विजय मंडल को भी जमानत मिल गई और वो अपने घर वापस चला गया।
इलाहाबाद कोर्ट के फैसले के बाद पांचों अभियुक्त बरी हो चुके हैं। लेकिन, इस मर्डर-मिस्ट्री से यह पर्दा नहीं उठ सका कि हत्यारा कौन है? साथ ही इतने सालों बाद भी आरुषि और हेमराज के हत्यारे आजाद घूम रहे हैं।
Updated on:
23 Oct 2017 07:35 pm
Published on:
23 Oct 2017 07:17 pm
बड़ी खबरें
View Allनोएडा
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
