scriptExclusive Report: Hariyali ka Sach:- जेब में हैं सिर्फ 300 रुपये तो आपको मिल सकती पेड़ को काटने की मंजूरी ! | About 1500 trees were cut in Noida in 2016-2017 | Patrika News

Exclusive Report: Hariyali ka Sach:- जेब में हैं सिर्फ 300 रुपये तो आपको मिल सकती पेड़ को काटने की मंजूरी !

locationनोएडाPublished: Jul 12, 2018 01:13:10 pm

Submitted by:

Ashutosh Pathak

2016-2017 में जिले में लगभग 1500 पेड़ काट दिए गए

noida

जेब में हैं सिर्फ 300 रुपये हैं तो आपको मिल सकती पेड़ को काटने की मंजूरी

नोएडा। देश में पेड़ काटने पर जुर्माने के साथ-साथ कड़ी सजा का प्रावधान है। लेकिन यूपी के नोएडा में जो कुछ भी इन दिनों हो रहा है वो ,उन कानूनों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। हम ऐसा इस लिए कह रहे हैं कि क्योंकि अगर आप की जेब में सिर्फ 300 रुपये हैं तो आपको किसी भी पेड़ को काटने की मंजूरी मिल जाएगी। अगर आपने पेड़ काटने के बदले दूसरा पौधा नहीं लगाया तो भी कोई बात नहीं है। छह वर्ष इंतजार के बाद आपके जमा 200 रुपये से वन विभाग खुद ही प्लांटेशन कर देगा। चौंकिये मत…ये सब नोएडा में हो रहा है, अधिकारी कहते है यह उत्तर प्रदेश वन विभाग का कानून है।
जानिए क्या है पूरा मामला-

दरअसल गौतमबुद्ध नगर में बिल्डर प्रोजेट और विकास के लिए जरूरी मेट्रो के नाम पर हजारों पेड़ धराशायी कर दिये गए है। नियाम के तहत एक पेड़ काटने के बदले दो पेड़ लगाने हैं। इस बात पर डीएफओ एचवी गिरीश अपनी मुहर भी लगाते हैं। उनका कहना है कि साल-2016 और 2017 में जिले में लगभग 1500 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई। इसमें वर्ष-2016 में 900 और वर्ष-2017 में लगभग 500 पेड़ों को काटा गया। जिसके बदले गौतमबुद्ध नगर में 10 लाख पौधे लगाए गए हैं। इनमें वन विभाग की भागीदारी 3 लाख पौधों की रही। शेष जिले की तीनों अथॉरिटी, दूसरे विभाग और निजी संस्थान शामिल हैं।
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डीएफओ बताते हैं कि मेट्रो रेल, पुल, फ्लाई ओवर, सड़क या किसी भी विकास कार्य के लिए पेड़ों को काटने की मंजूरी दी जाती है तो इसके लिए बाकायदा मौके पर जांच की जाती है, और उस स्थान की फोटोग्राफी कराई जाती है। उसके बाद ही पेड़ों को काटने की अनुमति दी जाती है। उन्होंने बताया कि नियमानुसार किसी पेड़ को काटने से पहले प्रार्थी के आवेदन पर मौके की जांच की जाती है। बाकायदा उसके फोटोग्राफी कराई जाती है। जरुरी समझने पर उसे पेड़ काटने की मंजूरी दी जाती है। लेकिन इसके लिए 100 रुपये प्रोसेसिंग फीस ली जाती है। यह रकम सरकार को राजस्व के तौर पर मिलती है। इसके अलावा 200 रुपये प्रति पेड़ सिक्योरिटी ली जाती है। यह रकम डीएफओ के नाम से आती है। दरअसल किसी भी व्यक्ति को इस शर्त पर पेड़ काटने की मंजूरी दी जाती है कि वह एक पेड़ काटने के बदले दो पौधे का रोपण करेगा। इसके छह वर्ष बाद वह व्यक्ति पौधे को जीवित दिखाकर विभाग के पास जमा अपनी सिक्योरिटी मनी वापस ले सकता है। अगर प्रार्थी छह वर्ष बाद जीवित पौधे दिखने में नाकाम रहता है तो उसकी सिक्योरिटी मनी जब्त कर ली जाती है और उसे पैसे से वन विभाग खुद प्लांटेशन करता है।
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डीएफओ ने पेड़ काटने के नियम और कानून तो गिना दिए साथ ही कटे पेड़ों की संख्या के बदले में लगाए गए पेड़ों की संख्या भी बता दी। लेकिन अगर आप शहर में ध्यान दे तों कटे हुए पेड़ के अवशेष तो आपको मिल जाएगे, पर 10 लाख पौधे कहा लगे हैं इसे तलाश करने पर भी आपको नहीं मिलेंगे।
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वहीं पर्यावरणविद सरकार के इस नियम को उचित नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि एक पेड़ का स्थान एक पौधा नहीं ले सकता है। पौधा कुछ वर्ष बाद ही हमारे लिए उपयोगी होता है। इसके अलावा एक पेड़ को काटने के बाद उसके कीमत हजारों में होती है, जबकि विभाग सिर्फ 200 रुपये में ही लोगों को हजारों के आमदनी का रास्ता खोल देता है। इस नियम का लाभ उठाकर वन और लकड़ी माफिया अपनी जेब भरने के लिए पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करते हैं। इसका खामियाजा हम सभी को भुगतना पड़ता है।
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