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कैराना उपचुनाव के लिए अखिलेश यादव इनको दे सकते हैं सपा से टिकट

कैराना से पूर्व सांसद तबस्सुम हसन ने भी जताई है दावेदारी, डॉ. सुधीर पंवार और एमएलसी वीरेन्द्र सिंह भी हैं लाइन में

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akhilesh yadav

नोएडा। कैराना उपचुनाव का बिगुल बजते ही विभिन्न दलों से टिकट लेने के लिए नेताओं की दौड़ तेज हो गई है। दलित-मुस्लिम बाहुल्य वाले इस क्षेत्र में भाजपा से हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह और रालोद की तरफ से जयंत चौधरी के लड़ने की चर्चा चल रही है। इसी बीच एक नाम और सामने आया है, जा चौंकाने वाला है। यह नाम है कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष इमरान मसूद का। हालांकि, उन्होंने यह साफ कर दिया है कि अगर जयंत यहां से चुनाव लड़ेंगे तो वह उनका समर्थन करेंगे। ऐसे में सपा की तरफ से एक की दावेदारी मजूबत दिख रहा है। माना जा रहा समाजवादी पार्टी यहां से पूर्व सांसद की पत्नी को टिकट दे सकती है।

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ये भी हैं लाइन में

कैराना से समाजवादी पार्टी की तरफ से पूर्व सांसद तबस्सुम हसन की दावेदारी मजबूत दिख रही है। तबस्सुम हसन सपा से ही विधायक नाहिद हसन की मां हैं और पूूर्व एमपी मुनव्वर हसन की पत्नी हैं। भाजपा सांसद हुकुम सिंह से पहले तबस्सुम हसन ही यहां से सांसद थीं। इसके बाद उन्होंने कमान अपने बेटे नाहिद हसन को सौंप दी थी। नाहिद कैराना से लगातार दो बार विधायक रह चुके हैं।

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पहले बसपा से मांगा था टिकट

बताया जा रहा है कि तबस्सुम हसन ने पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से टिकट मांगा था लेकिन उनकी इन मांग को बसपा मुखिया ने मंजूर नहीं किया। इसके बाद उन्होंने सपा से टिकट की मांग की। यहां के जातीय समीकरण और उनके राजनीतिक करियर को देखकर यहां से उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। तबस्सुम हसन के अलावा यहां से योजना आयोग के सदस्य डॉ. सुधीर पंवार और एमएलसी वीरेन्द्र सिंह ने भी सपा की तरफ से अपनी दावेदारी जताई है।

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यह है जातीय गणित

कैराना की जातीय समीकरणों की बात करें तो यहां दलितों और मुस्लिमों की संख्या सबसे ज्यादा है। मतलब जिसकी तरफ ये दोनों जाएंगे, उसकी जीत पक्की है। इसलिए मामना जा रहा है कि सपा और बसपा के गठबंधन को फायदा होगा। हालांकि, बसपा ने खुद को उपचुनाव से दूर रखने का ऐलान किया है। दलितों और मुस्लिमों के बाद यहां जाट और गुर्जरों का वोटबैंक आता है। इसे देखते हुए ही रालोद की तरफ से जयंत चौधरी के चुनाव लड़ने की चर्चा है। उन्होंने गठबंधन का हिस्सा होने का भी संकेत दिया ळै लेकिन सपा का उम्मीदवार खड़ा होने पर इसकी गठबंधन की संभावना कम है।