
सावधान! अगर आप के बच्चों में भी दिख रहे हैं ये लक्षण तो वह इस बीमारी का है शिकार
नोएडा। बच्चे अगर पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पाते हों। बहुत ज्यादा बोलते हों। किसी जगह टिककर नहीं बैठते हों। छोटी-छोटी बात पर अधिक गुस्सा करते हैं। बहुत अधिक शरारती और जिद्दी हों तो माता-पिता को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। यह अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) की बीमारी हो सकती है। कई अध्ययन के बाद यह बात सामने आई है कि यह बीमारी स्कूल जाने वाले औसतन 12 फीसदी बच्चों में पाई जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ जागरुकता से ही इस बीमारी पर कारगर तरीके से काबू पाया जा सकता है।
स्कूल जाने वाले लगभग 12 फीसदी बच्चे पीड़ित
आज यानी 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस और विश्व अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) दिवस है। इस मौके पर चाइल्ड न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रेखा मित्तल ने बताया कि मौजूदा समय में एडीएचडी बीमारी स्कूल जाने वाले लगभग 12 फीसदी बच्चों में पाई जाती है। इसका इलाज आसान है। जरूरत इस बात की है कि ऐसे बच्चे की पहचान सही समय पर हो और उसे इलाज के लिए मनोचिकित्सक के पास लाया जाए। उन्होंने बताया कि इस बीमारी को दूर भगाने के लिए माता-पिता को सचेत रहना होगा। डॉ. रेखा मित्तल ने बताया कि इस बीमारी से बच्चों में आत्मविश्वास की कमी, उदासीनता (डिप्रेशन) और चिड़चिड़ापन जैसी समस्या हो सकती है। इससे बच्चे की कार्यक्षमता भी प्रभावित हो सकती है।
अभिभावकों को होना होगा जागरूक
वहीं, मेट्रो हास्पिटल की मनोचिकित्सक डॉ. अवनी तिवारी ने बताया कि बच्चों में इस बीमारी के लक्षणों की पहचान होते ही अभिभावकों को जागरूक होना होगा। बच्चे के अलावा अभिभावकों की भी काउन्सलिंग की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि इलाज से पहले बच्चे की क्लिीनिकल और साइकोलॉजिकल जांच की जाती है। इसके आधार पर ही काउंसलिंग की जाती है। डॉ. अवनी तिवारी ने बताया कि बिहैवियर थेरेपी के साथ ही जरूरत पड़ने पर दवाएं दी जाती हैं।
अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर बीमारी की महत्वपूर्ण बातें
- बच्चे के साथ डांट या मार समाधान नहीं है।
- माता-पिता को चाहिए कि वे ऐसे बच्चे की ऊर्जा को सकारात्मक काम में लगाने की कोशिश करें।
- बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाने की हरसंभव कोशिश करनी चाहिए।
- एडीएचडी से ग्रस्त बच्चे माता-पिता और शिक्षकों का पूरा अटेंशन चाहते हैं।
- बच्चे को अकेले में प्यार से समझाना चाहिए कि उसे कौन सा काम करना चाहिए और कौन सा नहीं।
- कई बार हाईपर एक्टिव बच्चे पैरेंट्स का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए बार-बार सवाल पूछते हैं।
Published on:
10 Oct 2018 11:22 am
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