सीएम योगी यहां जनता को यह बड़ा तोहफा देकर बिछाएंगे चुनावी बिसात, विपक्षियों के अभी से उड़े होश
दरअसल, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों पर होने वाले अत्याचार और उनके साथ होने वाले भेदभाव को रोकने के मकसद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 बनाया गया था। उसमें समय के अनुसार कई नियम और प्रावधान शामिल किए गए। लेकिन, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट में बदलाव करते हुए मामलों में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि शिकायत के बाद तुरंत मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा। इसमें पहले डीएसपी स्तर के पुलिस अफसर द्वारा सात दिन के अंदर शुरुआती जांच की जाएगी। जांच के बाद जो नतीजा निकालेगा, उसके बाद ही मामला दर्ज होगा या नहीं, इस पर फैसला लिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एससी एक्ट के बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल की बात को मानते हुए कहा था कि इस मामले में सरकारी कर्मचारी अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं। आरोप है कि चुनावी लाभ के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट को नए सिरे से लागू कर दलितों को खुश करने की सियासी कोशिश की है। प्रदर्शन में शामिल अखंड राष्ट्रवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह ने बताया कि उनकी मुख्य मांगों में दलित एक्ट समाप्त करना, आर्थिक आधार पर आरक्षण देने, एक परिवार को एक बार ही आरक्षण देने और प्रमोशन में आरक्षण बंद करना शामिल है।
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प्रदर्शन में शामिल एनईए के अध्यक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो रुलिंग दी थी, उसे ओवर रूल करते हुए केंद्र सरकार ने नया एससी /एसटी कानून बनाकर गैर दलितों को जेल जाने का रास्ता खोल दिया है। अगर केंद्र सरकार ने इस काले कानून को वापस नहीं लिया तो जिन लोगों ने 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनाई थी। वहीं, इस बार उसे सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा देंगे। नोएडा में बीते माह रिटायर्ड कर्नल को जेल भी इसी कानून के तहत जाना पड़ा, जबकि वे पूरी तरह से निर्दोष थे।