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बड़ी खबर: 44 साल बाद आखिरकार इस जगह हो ही गया हरियाणा और यूपी का बंटवारा

44 साल बाद उत्तर प्रदेश-हरियाणा सीमा का बंटवारा आखिरकार हो गया है।

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नोएडा। यूपी और हरियाणा भले ही अलग-अलग प्रदेश हैं लेकिन आज भी कई जगह ऐसी हैं जहां इनकी सीमाओं के बंटवारे को लेकर विवाद है। ऐसा ही एक विवाद गौतमबुद्ध नगर जिले में 44 साल बाद समाप्त हुआ है। जिसमें उत्तर प्रदेश-हरियाणा सीमा का बंटवारा आखिरकार हो गया है। हालांकि अभी सीमा पर लगे गांवों की पैमाइश बाकि है जिसके बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि किस प्रदेश में कितनी जमीन अधिक आई या गई।

सर्वे ऑफ इंडिया की दो टीमों ने जेवर के झुप्पा से नोएडा के चक बसंतपुर तक 392 पिलर लगाकर सीमांकन का काम पूरा कर लिया है। इस दौरान कुछ जगह यमुना नदी का हिस्सा हरियाणा में गया है, जबकि कुछ जगह का हिस्सा गौतमबुद्ध नगर जिले में आया है।

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किसानों के विरोधल के बीच हुआ सीमांकन

इस बाबत सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वेक्षक अधिकारी करतार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि गत वर्ष 15 नवंबर को दीक्षित अवार्ड के तहत सीमांकन के लिए जेवर के झुप्पा से पिलर लगाने का काम शुरू किया गया था। जिसे 10 मार्च, 2018 तक जेवर से लेकर नोएडा के चक बसंतपुर गांव तक पूरा कर लिया गया है। इससे दोनों राज्यों का लंबे समय से चल रहा विवाद भी समाप्त हो गया है। उन्होंने बताया कि सीमांकन के दौरान पिलर लगाने के काम में कई जगह पर काफी परेशानी का भी सामना करना पड़ा। यहां किसानों के साथ बहुत विवाद हुआ लेकिन इन इलाकों में पुलिस फोर्स के साथ मिलकर पिलर लगाए गए।

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राजस्व रिकॉर्ड तैयार करने में होगी आसानी

एसडीएम सदर अंजनी कुमार ने बताया कि दोनों प्रदेशों के बीच सीमांकन होने से प्रशासन को राजस्व रिकॉर्ड तैयार करने में आसानी होगी क्योंकि अभी तक सीमा से सटे कई गांवों का राजस्व रिकॉर्ड नहीं है। इसके साथ ही सीमा तय नहीं होने के कारण हो रहे अवैध खनन और शराब की तस्करी पर लगाम लग सकेगी। उन्होंने बताया कि अभी पिलर लगाकर सीमांकन का काम कर लिया गया है। फिलहाल पैमाइश बाकि है जिसके बाद ही यह पता लग सकेगा कि कितना क्षेत्रफल में बदलाव हुआ है।

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उल्लेखनी है कि 1974 में उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमा तय की गई थी और दोनों राज्यों की सीमा के बीच पिलर लगाए गए थे।, लेकिन उस समय आई बाढ़ के कारण ज्यादातर पिलर गायब हो गए। जिसके बाद दोनों राज्यों के बीच विवाद शुरु हो गया और इस विवाद में कई बार किसानों के बीच खूनी संघर्ष हो चुका है।