
मेरठ। लोकसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए मंडलीय बैठकों की कमान बसपा प्रमुख मायावती ने खुद संभाल ली है। वह अलग-अलग मंडलों के पदाधिकारियों को दिल्ली बुलाकर बैठक ले रही हैं। इसी के तहत मायावती ने शुक्रवार को भी लखनऊ समेत कई मंडलों के पदाधिकारियों के साथ बैठक की और बूथ स्तर तक कमेटियों के गठन का निर्देश दिया। शुक्रवार को बसपा के मेरठ में हुए मेरठ और सहारनपुर मंडल के मंडलीय सम्मेलन में पार्टी के दोनों मंडलों के सभी पदाधिकारी मौजूद रहे। इस सम्मेलन में बसपा में बड़ा फेरबदल देखने को मिला।
दरअसल पार्टी हाईकमान द्वारा इस सम्मेलन में प्रत्येक मंडल में एक 23 सदस्यों की बथ कमेटी बनाने को कहा गया। जिसमें एक अध्यक्ष, एक महामंत्री व एक कोषाध्यक्ष के अलावा 20 सचिव भी रहेंगे। जबकि जिला कोऑर्डिनेटर अब सेक्टर स्तर पर काम देखेंगे। इसी के मद्देनजर मेरठ में 49 जिलाकोऑर्डिनेटर बनाए गए हैं। दो महीने पहले पश्चिमी यूपी के प्रभारी शमशुद्दीन राइन के साथ चार और मुख्य जोन कोऑर्डिनेटर बनाए गए थे।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने अब इन चारों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। अब पश्चिमी यूपी का प्रभार सिर्फ शमशुद्दीन राइन के पास रहेगा। पश्चिमी यूपी के चार मंडलों से हटाए गए मुख्य जोन कोऑर्डिनेटर राजकुमार गौतम को अब बरेली मंडल, गिरीश चंद को मुरादाबाद मंडल, सूरज सिंह को मेरठ मंडल पर लगाया है। इसके अलावा मेरठ-सहारनपुर मंडल के प्रभारी सतपाल पेपला से सहारनपुर का प्रभार लेकर मेरठ का कोऑर्डिनेटर बनाया है। साथ ही कमल सिंह को भी मेरठ में लगाया है। सहारनपुर मंडल में नरेश गौतम और जनेश्वर प्रसाद को मंडल कोऑर्डिनेटर बनाया है।
आपको बता दें कि लोकसभा और मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बसपा सुप्रीमो मायावती लम्बे समय से दिल्ली में हैं। गठबंधन को लेकर भी वह कई अन्य दलों के सम्पर्क में हैं। यही वजह है कि पिछले दिनों उन्होंने पहली बार राष्ट्रीय समन्वयक का पद बनाकर यह जिम्मा वीर सिंह और जय प्रकाश सिंह को सौंप दिया था। उनको ही यूपी में मंडलीय सम्मेलनों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन लखनऊ में हुए मंडलीय सम्मेलन में जय प्रकाश के द्वारा राहुल गांधी पर दिए गए विवादित बयान के कारण उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया।
कार्यकर्ताओं को दी यह नसीहत
मायावती ने कार्यकर्ताओं को यह नसीहत दी कि वे सिर्फ संगठन के काम पर अपनी नजर रखें। बूथ स्तर तक कमेटियों का गठन करें। पार्टी को समर्पित और मिशनरी कार्यकर्ताओं की जरूरत है। ऐसे लोगों को ही संगठन में प्राथमिकता दें। साथ ही युवाओं को संगठन में अधिक से अधिक अहमियत दें। बूथ स्तर तक हर कमेटी में 50 प्रतिशत युवाओं को तरजीह दी जाए। साथ ही गठबंधन का फैसला अपने राष्ट्रीय नेतृत्व पर छोड़ दें।
Updated on:
04 Aug 2018 08:20 pm
Published on:
04 Aug 2018 07:05 pm
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