
नोएडा। आज के समय में पैडमैन जैसी फिल्म बनाकर भले ही महिलाओं व युवतियों को सैनेटरी नेपकिन का इस्तेमाल करने के लिए जागरुक किया जा रहा हो, लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो ग्रामिण व गरीब तबके की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के मामलें सबसे अधिक हैं। दरअसल, सेक्टर-39 स्थित नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं में होने वाले सभी तरह के कैंसर में 22 फीसदी का आंकड़ा सर्वाइकल कैंसर का है। जिसका कारण महिलाओं द्वारा सैनेटरी नेपकिन का इस्तेमाल नहीं किया जाना बताया है।
इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर डॉ. रवि महरोत्रा के मुताबिक इनमें सबसे ज्यादा महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों व गरीब तबके से होती हैं। सैनेटरी नेपकिन का इस्तेमाल नहीं करना इसकी एक बड़ी वजह है। यह महिलाएं पहले एचपीवी वायरस की चपेट में आती हैं और बाद में यह धीरे-धीरे कैंसर का रूप ले लेता है।
जिले में 70 फीसदी से अधिक महिलाएं नहीं करती सेनेटरी नेपकिन का इस्तेमाल
जिला अस्पताल के सीनियर के गाइनोकॉलजिस्ट डॉ अजय के मुताबिक गौतमबुद्ध नगर जिले में 70 फीसदी से भी अधिक महिलाएं आज भी सैनेटरी नेपकिन का इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं। जिसकी वजह से वह सर्वाइकल कैंसर (बच्चेदानी का कैंसर) जैसी घातक बीमारी की चपेट में आ रही हैं। शहर के सेक्टर-39 स्थित नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च सेंटर में आए दिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। सैनेटरी नेपकिन के मार्केट पर ब्रैंडेड कंपनियों का कब्जा है। इसके चलते एक आम महिला के लिए इन्हें इस्तेमाल करना उनके बजट से बाहर है।
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महेंगे दाम की वजह से नहीं इस्तेमाल करते सैनेटरी नेपकिन
जिला अस्पताल के सीनियर गाइनोकॉलजिस्ट डॉ. अजय के मुताबिक हर रोज ओपीडी में 150-120 महिलाएं आती हैं। इनमें से 70 फीसदी से भी ज्यादा ऐसी हैं जो सैनेटरी नेपकिन का इस्तेमाल नहीं करती हैं। इसका मुख्य कारण है उनके आर्थिक हालात है और वह महीने में 100-200 रुपये सैनेटरी नेपकिन पर खर्च नहीं कर सकती। इसकी वजह से उन्हें कई तरह के इन्फेक्शन होते रहते हैं। डॉक्टर के मुताबिक मात्र 30-35 की उम्र में ही महिलाओं के पेप्समीयर टेस्ट पॉजिटिव आ रहा है।
ज्यादा ब्लीडिंग तो ज्यादा खर्च
महीने में हर महिला आमतौर पर सैनेटरी नेपकिन पर करीब 150 से 200 रुपये तक खर्च करती हैं क्योंकि अच्छी क्वॉलिटी के सैनेटरी पैड इससे कम खर्च में नहीं मिल पाते। वहीं डॉक्टरों के मुताबिक महिलाओं को इंफेक्शन से बचाव के लिए हर 4-5 घंटे में पैड बदलना जरूरी है। इसके चलते हर महीने एक महिला के औसतन 15-20 पैड खर्च हो जाते हैं। हालांकि कई बार ज्यादा ब्लीडिंग होने पर महिलाओं को एक बार में तीन-तीन पैड का भी इस्तेमाल करने पड़ता है। इससे महीने में सैनेटरी नेपकिन पर खर्च 400-500 रुपये तक हो जाता है।
Updated on:
20 Feb 2018 04:58 pm
Published on:
20 Feb 2018 03:35 pm
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